मेडिकल कालेज का आरोग्य भवन बदहाल
गोरखपुर:मेडिकल कालेज में तीमारदारों के लिए बना आरोग्य भवन बदहाल है। आरोग्य भवन बीआरडी
गोरखपुर:मेडिकल कालेज में तीमारदारों के लिए बना आरोग्य भवन बदहाल है। आरोग्य भवन बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर में तीमारदारों की सुविधा के लिए बना है। कार्यदायी संस्था जीडीए की बेरुखी से भवन पूरी तरह बदहाल हो गया है। 27 वर्ष पूर्व लोकार्पित भवन की विभागीय उपेक्षा का आलम यह है कि कमरों के दरवाजे और बेड टूटे पड़े है और गद्दे फटे। बाथरूम और रसोईघर तो इस कदर जर्जर हो गए हैं कि उनका अंतर करना भी मुश्किल है। सिर्फ इतना ही नहीं, लंबे समय से बिल बकाया की वजह से बिजली भी काट दी गई है। ऐसे में पानी की सुविधा से भी यह भवन महरूम है।
दुखद यह है कि इसे लेकर जीडीए को चिंता है और न ही कॉलेज प्रशासन को। दोनों की लापरवाही का खामियाजा मरीजों के तीमारदारों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें वार्डो या उनकी गैलरी में जमीन पर रात गुजारनी पड़ रही है। मरीजों के तीमारदारों को आसरा देने के लिए तीन दशक पहले मेडिकल कॉलेज परिसर में तत्कालीन जीडीए प्रशासक डीके कोटिया ने अपने विशेष प्रयास से दो भवनों का निर्माण कराया था। आरोग्य भवन नाम देकर वर्ष 1991 में बाकायदा इसका लोकार्पण हुआ। दो मंजिल के एक भवन में 30 कमरों की व्यवस्था बनाई गई, जबकि दूसरे भवन में आठ डारमेट्री बनाकर बेड उपलब्ध कराने की सुविधा थी। कमरों का रेट 100 रुपये, तो बेड का रेट 10 रुपये था।
शुरुआती दिनों में तीमारदारों को इसका भरपूर लाभ मिला, पर जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे जीडीए का ध्यान भी हटता गया। नतीजा यह हुआ कि देखरेख के अभाव में दोनों भवन जर्जर होते चले गए। इस बीच 2007 में तत्कालीन कमिश्नर के आदेश से डारमेट्री भवन को विकलांग कल्याण विभाग को दे दिया गया, जो अब मनोविकास केंद्र बन गया है, लेकिन 30 कमरों वाले भवन को अभी भी जीडीए की इनायत का इंतजार है।
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कॉलेज और जीडीए की रस्साकसी में कट गई बिजली
आरोग्य भवन के लिए बिजली का कनेक्शन मेडिकल कॉलेज से लिया गया गया था। ऐसे में जो बिल मेडिकल कॉलेज देता था, उसका भुगतान जीडीए द्वारा किया जाता था। शुरुआती दौर में यह सिलसिला ठीक चला, लेकिन एक बारगी जब कॉलेज प्रशासन ने मानक से अधिक बिल दे दिया तो जीडीए ने उस बिल का भुगतान करने से इन्कार कर दिया। यह सिलसिला लंबा खींचा तो बिल बढ़कर 29 लाख पहुंच गया। अंत में बिजली विभाग ने 2014 में कनेक्शन ही काट दिया, तबसे आरोग्य भवन में न बिजली आपूर्ति है और न पानी।
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कॉलेज प्रशासन ने की थी भवन हैंडओवर की मांग
जीडीए द्वारा भवन की देखरेख में बरती जा रही लापरवाही को देखते हुए चार वर्ष पहले तत्कालीन मेडिकल कॉलेज प्राचार्य प्रो. केपी कुशवाहा ने भवन को कॉलेज प्रशासन को हैंडओवर करने की मांग की थी, लेकिन जीडीए ने न तो हैंडओवर की दिशा में कोई कदम उठाया और न ही भवन के दुरुस्तीकरण की दिशा में।
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गोरखपुर विकास प्राधिकरण के सचिव राम सिंह का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में आरोग्य भवन को लेकर चार सदस्यीय कमेटी का गठन जीडीए प्रशासन द्वारा किया गया है। मुझे कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। जल्द भवन पर मौका-मुआयना किया जाएगा और कमियों को दूर कर तीमारदारों के लिए इनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।