महंगाई की मार से फल बाजार बेजार
गोरखपुर : फल बाजार में इस समय महंगाई के चलते लगन के मौसम में भी मंदी छायी है। बाहर से आने व
गोरखपुर : फल बाजार में इस समय महंगाई के चलते लगन के मौसम में भी मंदी छायी है। बाहर से आने वाले फलों का राजा आम भी मंदी तोड़ पाने में समर्थ नहीं हो सका। आम के साथ ही कुछ नए फल- महाराष्ट्र व पंजाब से आ रहा शारदा (खरबूजे जैसा), दक्षिणी अफ्रीका से आया बाबू गोसा व ग्रीस से आया किवी से भी बाजार की जड़ता टूटने का नाम नहीं ले रही है। ऑफ सीजन के कारण फलों की उपलब्धता कम होने तथा महंगे होने का असर बाजार पर पड़ रहा है। साथ ही व्यापारी गेहूं की कटाई के समय को भी इसका कारण मान रहे हैं।
सेब और अंगूर लगभग खत्म हैं। सेब केवल जम्मू-कश्मीर के सोपियान से ही आ रहा है। मंडी में अच्छी क्वालिटी का सेब 100 रुपये से 130 रुपये किलो बिक रहा है। अंगूर अब वही आ रहे हैं जो कोल्ड स्टोर में रखे गए हैं। इनकी कीमत ने छलाग लगा ली है, जो 100 रुपये किलो बिक रहे हैं। एक सेकेंड वैरायिटी का अंगूर जो हैदराबाद में पैदा होता है, जिसमें बीज होते हैं, उसकी खरीद बागान में 30 से 35 रुपये किलो है जो यहा आकर 40-50 रुपये किलो बिक रहा है। इसमें बीज होने तथा मिठास कम होने से इसकी पूछ ज्यादा नहीं है।
अनार 80 रुपये किलो पहुंच चुका है। आमतौर पर 40-50 रुपये किलो बिकने वाला संतरा कम आवक के चलते 400 रुपये पसेरी पर पहुंच चुका है अर्थात 80 रुपये किलो। वारंगल, मद्रास से आ रहे फलों के राजा आम खरीद रेट से भी कम में मंडी में बेचा जा रहा है, लेकिन उठान नहीं के बराबर है। इसलिए फुटकर बाजार में यह बहुत कम जगह दिख रहा है। इसलिए व्यापारी इसे बहुत कम मंगा रहे हैं। तोता आम 40-50, बैगन फुली, गुलाब खास व बादाम आम 70-80 रुपये बिक रहे हैं। इनकी खरीद भी लगभग नही है। उठान न होने से एक तो आधा खराब हो जाने से खरीद रेट दूना हो जा रहा है और दूसरे व्यापारी इन्हें 50-60 रुपये किलो बेचने को मजबूर हैं।
साउथ अफ्रीका से आया बाबू गोसा 1800 रुपये पेटी अर्थात 14 किलो और नागपुर व पंजाब से आया शारदा 40-50 रुपये किलो बिक रहा है। इजिप्त से आया माल्टा 1200 रुपये में 15 किलो है। ग्रीस से आ रहा किवी 25 रुपये पीस है। सस्ते फलों में केवल खरबूज, तरबूज व पपीता जो 10-25 रुपये किलो बिक रहे हैं, इन्हीं के बल पर बाजार संभला हुआ है। इस समय सुबह केवल दो-तीन घटे मंडी में भीड़ दिख रही है, शेष पूरे दिन सन्नाटा पसरा हुआ है।
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मंदी का मूल का कारण महंगाई और गेहूं की कटाई है। ग्राहक मंडी में आ ही नहीं रहे हैं। महंगाई के कारण फुटकर में भी फलों की बिक्त्री नाममात्र हो रही है। आम तो खरीद रेट से भी कम पर हम बेचने को मजबूर हैं, फिर भी उठान बहुत कम है।
- राजेंद्र सोनकर, अध्यक्ष, गोरखपुर फ्रूट एसोसिएशन
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ऑफ सीजन है। सभी फल समाप्त होने के कगार पर हैं। मद्रास से आम आ रहा है, लेकिन खरीद रेट ज्यादा होने से वह बहुत महंगा है, इसलिए उठान नहीं हो रही है। जब तक लीची व लोकल आम नहीं आ जाएंगे, इसी तरह मंदी छायी रहेगी।
-विजय कुमार सोनकर, महामंत्री, गोरखपुर फ्रूट एसोसिएशन
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जो भी फल हैं, उनकी उपलब्धता बहुत कम है, इसलिए वे महंगे हैं। मंडी में खरीदारी कम है इसलिए लोग ज्यादा मात्रा में मंगा नहीं रहे हैं। कुछ फल तो विदेश से मंगाए जा रहे हैं, इसलिए उनकी कीमत और ज्यादा हो जा रही है।
- मनोज कुमार, फल व्यापारी
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इस समय एक तो फल महंगे हो गए हैं, दूसरे गेहूं की कटाई चल रही है, इसलिए ग्राहक मंडी में आ नहीं रहे हैं। जिनके वहा शादी है, वे भी पाच-सात किलो की ही खरीद कर रहे हैं। फुटकर बाजार में बिक्त्री कम है, इसका असर मंडी पर है।
- बैजनाथ, फल व्यापारी
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फुटकर के भाव (रुपये प्रति किलो)
सेब- 140 से 200
अंगूर- 150-160
संतरा- 100-125
अनार- 120
शारदा- 80
पपीता- 30
किवी- 30 रुपये प्रति पीस