Move to Jagran APP

फ्रांस की मशीन ने गोरखपुर में शुरू किया आक्सीजन का उत्पादन, 400 लीटर प्रति मिनट है उत्पादन क्षमता

फ्रांस के सहयोग से एम्स गोरखपुर में आक्सीजन प्लांट स्थापित हो गया है। प्लांट का ट्रायल शुरू हो गया। प्लांट से प्रति मिनट चार सौ लीटर आक्सीजन का उत्पादन हो गया। सोमवार को प्लांट शुरू होने की उम्मीद है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 04 Jul 2021 03:30 PM (IST)Updated: Sun, 04 Jul 2021 03:30 PM (IST)
फ्रांस की मशीन ने गोरखपुर में शुरू किया आक्सीजन का उत्पादन, 400 लीटर प्रति मिनट है उत्पादन क्षमता
फ्रांस के सहयोग से एम्स गोरखपुर में आक्सीजन प्लांट स्थापित हो गया है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। फ्रांस के सहयोग से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आक्सीजन प्लांट स्थापित हो गया है। प्लांट का ट्रायल शुरू हो गया। प्लांट से प्रति मिनट चार सौ लीटर आक्सीजन का उत्पादन हो गया। सोमवार को प्लांट शुरू होने की उम्मीद है। अमेरिका की वायुयान बनाने वाली कंपनी बोइंग के सहयोग से प्लांट लगाया गया है।

loksabha election banner

ऑक्‍सीजन की अचानक बढ़ गई थी मांग

कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या अचानक बढऩे से अस्पताल में सभी बेड फुल हो गए। कोविड अस्पताल बनाए गए नर्सिंग होम भी मरीजों से भर गए। संक्रमण के कारण मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हुई तो आक्सीजन की मांग अचानक बढ़ गई। मरीजों तक आक्सीजन पहुंचाने में प्रशासन को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी।

फ्रांस से आया है आक्सीजन प्लांट

कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी को देखते हुए बोइंग कंपनी ने आक्सीजन प्लांट लगाने के एिल केंद्र सरकार से बात की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बोइंग ने एम्स में प्लांट लगाने की शुरुआत की। फ्रांस से आक्सीजन प्लांट मंगाए गए।

एक दर्जन सिलेंडर में भरा आक्सीजन

मेडिकल आक्सीजन का उत्पादन करने वाली प्रेशर स्विंग एडसार्पशन (पीएसए) मशीन से हवा से आक्सीजन बनाई जाएगी। शनिवार को एक दर्जन सिलेंडर में आक्सीजन भरा गया।

हवा में होता है 21 फीसद आक्सीजन

वायुमंडल में सबसे ज्यादा 78 फीसद नाइट्रोजन गैस होती है। इसके बाद 21 फीसद आक्सीजन की मात्रा होती है। पीएसए मशीन में लगा कंपे्रसर वायुमंडल से गैस इकट्ठा करता है। मशीन इकट्ठा गैस से नाइट्रोजन को पूरी तरह अलग कर देती है। फिर आक्सीजन को टैंक में इकट्ठा कर लिया जाता है। यहां से आक्सीजन को सिलेंडर में भरा जाता है।

बाहर भी दिया जा सकता है आक्सीजन

एम्स में फिलहाल ज्यादा आक्सीजन की जरूरत नहीं है। प्लांट में उत्पादन शुरू होने के बाद जरूरत को देखते हुए दूसरे अस्पतालों को भी सिलेंडर दिए जा सकेंगे।

तीन सौ बेड का इंडोर शुरू करने की तैयारी

एम्स में तीन सौ बेड का इंडोर वार्ड शुरू करने की तैयारी तेज हो गई है। यहां 15 बेड का इंडोर कुछ दिनों पहले शुरू किया गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.