लाॅकडाउन में मंदिर में फंसा फ्रांसीसी परिवार दिल्ली रवाना, जानें- छह माह में कितना बदल गया था रहन-सहन
लॉकडाउन में पिछले छह माह से महराजगंज में फंसा फ्रांसीसी परिवार महराजगंज से दिल्ली रवाना हो गया है।
महराजगंज, जेएनएन। महराजगंज जिले के पुरंदरपुर थानाक्षेत्र के कोल्हुआ उर्फ सिहोरवा शिव मंदिर परिसर में पिछले पांच माह से ठहरा फ्रांसीसी परिवार कोल्हुआ से रवाना हो गया है। इस परिवार की बेटी ओफली के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद फ्रांसीसी परिवार दिल्ली दूतावास जाएगा। वहां से उनकी उत्तराखंड यात्रा पर जाने का कार्यक्रम है। मंदिर परिसर से जाते समय यहां ग्रामीणों के साथ बिताए पल को समेटे हुए वह काफी भावुक नजर आए।
स्थानीय शिव मंदिर परिसर में छह माह से रुका था यह परिवार
फ्रांस के टूलोज शहर निवासी पैट्रीस पैलारे परिवार संग 22 मार्च को सोनौली सीमा पर पहुंचे थे। लेकिन कोराना संक्रमण के कारण नेपाल सीमा सील होने से फ्रांसीसी परिवार कोल्हुआ उर्फ सिहोंरवा स्थित शिव मंदिर परिसर में रुक गए।
यहां वह पत्नी वर्जिनी, बेटा टॉम, बेटी लोला व ओफली के साथ रह रहे थे। बीते 13 अगस्त 2020 को फ्रांसीसी परिवार की बेटी ओफली पैलेरस की तबीयत अचानक बिगड़ गई। 19 अगस्त को युवती के स्वास्थ परीक्षण के बाद डाक्टर ने एक सप्ताह बाद जांच के लिए बुलाया था।
थानाध्यक्ष पुरंदरपुर शाह मुहम्मद ने बताया कि फ्रांसीसी परिवार के सदस्य गुरुवार को गोरखपुर में ओफली का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद दिल्ली जाएंगे। वहां से उनके उत्तराखंड घूमने की योजना है।
मांसाहार छोड़ा बने शाकाहारी
यहां रहने के दौरान यह परिवार कभी-कभार ही खाना बनाता था। शिव मंदिर से नियमित भोजना उपलब्ध कराया जाता था। भोजन में रोटी, चावल, दाल साग-सब्जी दिया जाता था। चावल-दाल और पालक की साग सबसे ज्यादा पसंद था। मंदिर के पुजारी हरिदास बाबा ने पैट्रीस को नंदबाबा, उनकी पत्नी वर्जिनी को यशोदा, बेटियों ओफली को राधा, लोला को रुक्मिणी और बेटे टॉम को कृष्णा नाम दिया था। गांव वाले इन नए नामों से ही पहचानते थे। सुबह शाम भगवान शिव की पूजा व आरती में शामिल होते थे।
ओम नम: शिवाय का जप कर विश्व को कोरेाना से मुक्ति दिलाने की कामना करते थे।
ऐसा हो गया था इस परिवार का जीवन
वर्जिनी, ओफली और लोला मंदिर की रसोई में हाथ बंटाते थे। मांसाहार बंद कर दिया था और छप्पर उठाने में गांव वालों का साथ पैट्रीस देते थे तो बोरी में भूसा डालने में टॉम मदद करते थे। ओफली और लोला की सहेलियां उनकी चोटी कर मेंहदी भी लगाती थीं। इस परिवार ने जाते-जाते कहा- भारत को भूलना मुश्किल है, आइ लव इंडिया।