हर माह करोड़ों खर्च फिर भी मुफ्त शिक्षा की हालत खराब
जिले में विद्यालय के विकास के लिए पिछले साल करीब 17 करोड़ रुपये का बजट था। इस बार 805 प्राथमिक व 192 उच्च प्राथमिक विद्यालय समेत कुल 1247 में 18.3 करोड़ रुपये व 34 सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए 1.62 करोड़ रुपये का बजट है।
संतकबीर नगर: परिषदीय विद्यालयों में हर माह वेतन पर करीब 16 करोड़, दोपहर के भोजन (एमडीएम) पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। कान्वेंट की तर्ज पर शिक्षा देने के कवायद के बीच तमाम विद्यालयों में बिजली, साफ पानी, शौचालय सहित कई जरूरी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। आपरेशन कायाकल्प के मानक के अनुरूप जनपद के सभी 1247 परिषदीय विद्यालय संतृप्त नहीं हो पाए हैं। बहरहाल स्कूलों में बढ़ने के बजाय बच्चों की संख्या घटती जा रही है। लोगों की निगाहें अब प्रदेश सरकार पर टिकी है। उन्हें उम्मीद है कि प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए शायद सरकार अपने बजट में इसके लिए ठोस पहल करें। सालाना किस मद में कितना मिल रहा है बजट जिले में विद्यालय के विकास के लिए पिछले साल करीब 17 करोड़ रुपये का बजट था। इस बार 805 प्राथमिक व 192 उच्च प्राथमिक विद्यालय समेत कुल 1247 में 18.3 करोड़ रुपये व 34 सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए 1.62 करोड़ रुपये का बजट है। पूर्व में शिक्षकों की संख्या 2900 रहने पर एक साल में 1.92 अरब रुपये वेतन पर खर्च हो रहे हैं। अब प्राथमिक विद्यालयों में 709 नए शिक्षक की तैनाती होने से 38.58 करोड़ रुपये और खर्च होगा। जबकि 233 अनुदेशकों को 1.97 करोड़ रुपये व 1315 शिक्षामित्रों के मानदेय पर सालाना 15.78 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। वहीं विद्यालयों में पढ़ने वाले 1.58 लाख बच्चों में मध्याह्न भोजन में कन्वर्जन कास्ट मनी के रूप में 12 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। स्कूलों में मिड-डे मील के लिए 13 सौ मीट्रिक टन चावल, गेहूं आदि खाद्य सामग्री दी जा रही है। 3328 रसोइयों के मानदेय में पांच करोड़, राशन ढुलाई पर 1.12 करोड़ रुपये व्यय हो रहा है। 141681 बच्चों में हर वर्ष प्रति छात्र-छात्रा दो सेट मुफ्त ड्रेस पर 600 रुपया वहीं स्वेटर पर दो सौ रुपया खर्च हो रहा है। शिक्षकों के प्रशिक्षण में आठ लाख व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण में करीब तीन लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। 60 फीसद विद्यालयों में डेस्क व बेच नहीं 60 फीसद प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के लिए डेस्क व बेंच नहीं है। वहीं महज 30 फीसद विद्यालयों में टाइल्स लगे हैं। परिषदीय विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा का अभाव है। स्मार्ट क्लास की सुविधा नहीं है। सरकार की मुफ्त शिक्षण व्यवस्था का लाभ गरीबी के चलते सिर्फ गरीब तबके के बच्चे ही उठा रहे हैं। बाकी अन्य लोगों को यह प्रभावित नहीं कर पा रही है। जिले में परिषदीय विद्यालयों की यह है स्थिति -एक दर्जन से अधिक विद्यालयों में सिर्फ एक शिक्षक की तैनाती। -जिले के 187 परिषदीय विद्यालयों में बिजली कनेक्शन नहीं। -जिले के 58 विद्यालयों के भवन उपयोग के लायक नहीं। -जिले के 12 विद्यालयों के भवन जर्जर हालत में। -जिले के 65 विद्यालयों में बालकों के लिए शौचालय नहीं ।
-वहीं जिले के 68 विद्यालयों में बालिकाओं के लिए शौचालय नहीं। -जनपद के सिर्फ 34 विद्यालयों में दिव्यांगों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था। सत्येंद्र कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि
उपलब्ध धनराशि से विद्यालयों में कायाकल्प कार्य कराए जा रहे हैं। जहां खामियां है, उसे दूर करने की कोशिश की जा रही है। शिक्षण व्यवस्था में अपेक्षित सुधार के लिए पहल की जा रही है। इसमें सभी का सहयोग आवश्यक है।