Move to Jagran APP

Ex MLA Haridwar Pandey: बेघर होकर भी चेहरे पर ईमानदारी का संतोष Gorakhpur News

Ex MLA Haridwar Pandey गोरखपुर के मानीराम से कांग्रेस के विधायक रहे हरिद्वार पांडेय के चेेेेेहरे पर बेघर होने के बाद भी ईमानदारी का संतोष है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 12:30 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 07:49 PM (IST)
Ex MLA Haridwar Pandey: बेघर होकर भी चेहरे पर ईमानदारी का संतोष Gorakhpur News
Ex MLA Haridwar Pandey: बेघर होकर भी चेहरे पर ईमानदारी का संतोष Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। एक बार भी ब्लाक प्रमुख, विधायक या सांसद बनना यानी गाडï़ी-बंगला और ऐशो आराम का मुकम्मल इंतजाम। राजनीति को लेकर आमजन की प्राय: यही धारणा है। पर, इस धारणा के इतर हैं पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय। वह मानीराम विधानसभा क्षेत्र से ऐसे दौर में (1980-85) कांग्रेस के विधायक रहे जब उनके करीबी दोस्त वीर बहादुर सिंह सूबे के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। पर, सियासत में उन्हें सत्ता की जी हुजूरी नामंजूर थी। मुफलिसी मंजूर करते हुए उन्होंने ईमानदारी व जीवन के नैतिक मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया। नतीजा, अपने एकमात्र पुश्तैनी खपरैल के मकान की मरम्मत तक न करा सके और यह जर्जर मकान बीते 12 जुलाई की बारिश में ढह गया। बेघर हो चुके पूर्व विधायक को इस पर भी कोई अफसोस नहीं है, बल्कि वह हर स्थिति को संतोषजनक मानते हैं।

loksabha election banner

पेंशन से चलता है दो बेटों के परिवार का खर्च, 12 की रात बारिश में ढह गया एकमात्र पुश्तैनी मकान

पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय को स्वभावत: कभी सत्ता का साथ पसंद नहीं आया। ईमानदारी व नैतिकता शुरू से उनकी प्राथमिकता रही। पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के अत्यंत करीबियों में शुमार रहे हरिद्वार पांडेय ने उनका साथ उस वक्त छोड़ दिया जब वह मुख्यमंत्री बने। हरिद्वार पांडेय कहते हैं कि वीर बहादुर से व्यक्तिगत उनका मिलना जुलना होता था, मुख्यमंत्री के रूप में नहीं। उनके पद से दूरी इसलिए बनाई कि सियासत में सिफारिश संस्कृति आपको ईमानदार नहीं रहने देती। वह कहते हैं, 'ईमानदारी का साथ मरते दम तक नहीं छोडूंगा चाहे उसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े। यही मेरी जमा पूंजी है वरना हम भी गाड़ी, बंगला व फार्म हाउस के मालिक रहते।'

वीर बहादुर सिंह ने दिल्ली बुलाकर टिकट दिलवाया

पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय बताते हैं कि चुनाव लडऩे के बारे में स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा उनसे पूछा गया तो उन्होंने मना कर दिया। जानकारी वीर बहादुर सिंह को हुई तो उन्हें दिल्ली बुलाया। पूछा गया, चुनाव लडऩे से क्यों मना कर रहे हो? हरिद्वार पांडेय ने कहा कि चुनाव लडऩे को पैसे नहीं हैं और हम संगठन में ही रहकर पार्टी की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन वीर बहादुर सिंह ने एक न सुनी। उन्होंने कहा कि तुम्हें वहां से चुनाव लडऩा है, जाकर तैयारी करो। 

चार बीघा खेती ही जमा पूंजी

पूर्व विधायक कहते हैं कि उनके पास जमा पूंजी के नाम पर चार बीघा खेती है जिसे उनके बड़े बेटे घनानंद संभालते हैं। छोटे बेटे कृष्णानंद की आठ साल पूर्व मौत हो चुकी है ऐसे में छोटे बेटे की पत्नी, तीन बेटियों व एक बेटे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है। 33 हजार रुपये पेंशन मिलती है उसी से पूरे परिवार का खर्च चलता है। खेती भगवान भरोसे है, बाढ़ आने पर पूरी फसल डूब जाती है। 

नहीं भूलेगी 12 जुलाई की रात

पूर्व विधायक बताते हैं कि 12 जुलाई की रात उनके जीवन का सबसे डरावना पल था। बारिश के कारण घर का पिछला हिस्सा अचानक गिर गया। बहू और बेटे भागकर बाहर आए, उन्हें चोट भी लगी। सब बरामदे में आकर बैठ गए। इसी बीच रात में दो बजे के करीब बरामदे का भी एक हिस्सा गिर गया। बहू और ब'चों को बगल के घर में भेजा और अपने उसी बरामदे रात काटी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.