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जंगल में यूं ही घूम रहे थे, लग गया पचास हजार का जुर्माना

सोहगीबरवा वन्‍य जीव प्रभाग के मधवलिया रेंज में आधी रात को बिना कारण घूमना तीन युवकों को महंगा पड़ गया है। संरक्षित वन क्षेत्र में घूम रहे युवकों को जुर्माना देना पड़ा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 12:49 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 10:26 AM (IST)
जंगल में यूं ही घूम रहे थे, लग गया पचास हजार का जुर्माना
जंगल में यूं ही घूम रहे थे, लग गया पचास हजार का जुर्माना

गोरखपुर/महराजगंज, विश्वदीपक त्रिपाठी। यदि गर्मी की छुट्टियों में जंगल  में घूमने की योजना बना रहे हों तो संभल जाइए। सोहगीबरवा वन्‍य जीव प्रभाग के मधवलिया रेंज में आधी रात को बिना कारण घूमना तीन युवकों को महंगा पड़ गया है। रात 12 बजे संरक्षित वन क्षेत्र में घूम रहे तीन युवकों को डीएफओ मनीष सिंह ने पकड़ लिया। जंगल में आने का वाजिब कारण नहीं बताने पर तीनों पर 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।  सोमवार रात डीएफओ मनीष सिंह ट्रामवे चौराहा से मधवलिया गेस्ट हाउस जा रहे थे। रात 12 बजे जंगल में तीन युवक बाइक पर घूमते मिल गए। डीएफओ ने उन्‍हें पकड़ लिया। तीनों से पूछताछ की गई। युवक जंगल में आने का वाजिब कारण नहीं बता सके।  जिसके बाद तीनों को हिरासत में ले लिया गया। युवकों की पहचान जोखन यादव, प्रदीप व पप्पू निवासी सिहाभार थाना बरगदवा के रूप में हुई।

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जांच पड़ताल करने के बाद उनके खिलाफ भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत केस दर्ज करते हुए 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया । जुर्माना की वसूल करने के बाद तीनों को छोड़ा दिया गया है । डीएफओ मनीष सिंह ने कहा  कि जिस जगह तीनों युवक पकड़े गए कुछ दिन पहले वहां पांच पेड़ कटा गया था। संरक्षित वन क्षेत्र में आधी रात आने का बाजिब कारण तीनों युवक नहीं बता सके।  तीनों से 40 हजार रुपये जुर्माना वसूल कर छोड़ दिया गया है।

यह है नियम

सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग को 1987 में संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया था। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 27 के अंतर्गत इस  वन क्षेत्र में बिना अनुमति घूमना प्रतिबंधित है। वन्य क्षेत्र में जाने से पूर्व संबंधित रेंज कार्यालय से अनुमति लेनी आवश्यक है। बिना अनुमति प्रवेश करने पर तीन साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।

जंगल में प्रवेश करने पर यह लगाया है शुल्क

वाहन    शुल्क

मोटरसाइकिल    20

चारपहिया वाहन    100

वाहन में बैठे लोगों का    100 (प्रति व्यक्ति)

ईको टूरिज्म के लिए विकसित हो रहा सोहगीबरवा जंगल

महराजगंज के सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग की महत्वपूर्ण स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसे  ईको टूरिज्‍म (पर्यावरण के साथ पर्यटन) के लिए  विकसित  करने की योजना है। सरकार द्वारा इस वन्‍य जीव प्रभाग के लिए चार करोड़ रुपये अवंटित किया गया है। इस दिशा में सार्थक पहल भी आरंभ हो गई है।

गैंडा व बाघ जैसे पशु हैं सोहगीबरवा की शान

अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण पहचान बनाने वाला सोहगीबरवा जंगल पशु पक्षियों का आशियाना कहा जाता है। जंगल में दो गैंडों की उपस्थिति भी दर्ज की गई है। इसके अलावा तेंदुआ 35, चीतल 1200, सांभर  300, काकड़ 230, नील गाय 1600, पाड़ा 120, सुअर 2500, बंदर 5500, लंगूर 3200, मोर 800, जंगली बिल्ली 17, लोमड़ी 230, वन गाय  350, विज्जू 180, गोह 370, खरगोश  320, डाल्फिन 10, भेड़िया 12, नेवला 32, मगर 530 की मौजूदगी जंगल में है।

आपस में जुडे हैं नेपाल, बिहार व यूपी के वनक्षेत्र

नेपाल स्थित रायल चितवन नेशनल पार्क, बिहार का बाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व  फारेस्ट व महराजगंज जिले का सोहगीबरवा वन्य क्षेत्र आपस में जुड़े हुए हैं। ऐसे में बाघ, गैंड, तेंदुआ आदि वन्य जीव तीनों वन क्षेत्रों के बड़े भू-भाग पर विचरण करते हैं।

टाइगर रिजर्व फारेस्‍ट के लिए भेजा गया है प्रस्‍ताव

428 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग को पहचान की दरकार है। इस जंगल को नाम दिलाने के लिए भेजे गए दो प्रस्ताव अभी केंद्र व प्रदेश सरकार के विचाराधीन हैं। वन्यजीव प्रभाग को टाइगर रिजर्व फारेस्ट घोषित करने के लिए प्रस्ताव बीते जनवरी माह में शासन को भेजा गया था। इसी क्रम में टाइगर प्रोजेक्ट के तहत एक अन्य प्रस्ताव भी लखनऊ गया है।

नदी मेे विलीन हो गया 32 वर्ग किमी जंगल

पूर्वांचल का जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान कहा जाने वाला सोहगीबरवा जंगल अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहा है। गंडक नदी के तेज धारा के चलते कीमती वृक्ष कटकर नदी में विलीन हो रहे हैं। निचलौल रेंज के गंडक , कलनहीं व बैठलिया बीट का अस्तित्व ही अब नदी में विलीन होने को है। पिछले दिनों भारतीय वन जीव सर्वेक्षण संस्थान देहरादून द्वारा सेटेलाइटिस के माध्यम से इस वन क्षेत्र का जो सर्वेक्षण किया गया  उसमें भी चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। संस्था द्वारा वर्ष 2011 से 2017 के बीच वन क्षेत्र में हुई क्षति की जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, उसके मुताबिक पिछले सात सालों में महराजगंज जिले में 32 वर्ग किमी जंगल नष्ट हो गया। वर्ष 2011 में कुल 461 वर्ग किमी हरियाली थी , जो अब सिमट कर महज 429 वर्ग किमी रह गई है। 

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