साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए देवरिया के प्रो. वशिष्ठ को मिला पद्मभूषण सम्मान
सरल स्वभाव के धनी डाक्टर की कक्षा पांच तक की शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से हुई। कक्षा 6 से इंटरमीडिएट तक की शिक्षा इन्होंने गोरखपुर स्थित जुबली इंटर कॉलेज से प्राप्त किया। इसके बाद एमबीबीएस की डिग्री बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में हुई।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। साहित्य और शिक्षा में उल्लेखनीय कार्य के लिए देवभूमि की मेधा को पद्मभूषण सम्मान मिला है। 81 वर्षीय प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी देवरिया जिले में पथरदेवा विकासखंड के ग्राम रामपुर शुक्ल गांव के रहने वाले हैं। वह संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में कुलपति के पद पर कार्यरत रहे हैं। वर्ष 2000 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनके एक पुत्र और एक पुत्री है । चार 4 पौत्रों में दो असिस्टेंट प्रोफेसर तथा दो व्यवसाय में हैं।
पड़ोसियों ने जताई खुशी
वर्तमान में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरीराम त्रिपाठी उनके शिष्य रहे हैं। इसके पूर्व भी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति रहे राजाराम शुक्ल भी इनके शिष्य रहे हैं। उनका
पुश्तैनी घर रामपुर शुक्ल में कभी कभी आना होता है। वर्तमान में अस्सी घाट नगवा में आवास है। पड़ोसी पद्माकर त्रिपाठी, रत्नेश त्रिपाठी, सोनू तिवारी आदि ने प्रोफेसर त्रिपाठी को पद्म भूषण सम्मान मिलने पर खुशी जाहिर की है। ग्राम प्रधान लक्ष्मीना देवी के पति बृजभान ने बताया कि प्रोफेसर त्रिपाठी का गांव में बहुत सम्मान है। वह बीच-बीच में अपने घर आते रहते हैं। काफी मिलनसार एवं शांति प्रिय व्यक्ति हैं। उनको यह सम्मान मिलने से गांव का गौरव बढ़ा है।
निश्शुल्क चिकित्सा परामर्श देते हैं पद्मश्री के लिए चयनित चिकित्सक
चिकित्सा के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित डा. कमलाकर त्रिपाठी सिद्धार्थनगर जिले में उसका विकासखंड के मदनपुर गांव के मूल निवासी हैं। सरल स्वभाव के धनी डाक्टर की कक्षा पांच तक की शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से हुई। कक्षा 6 से इंटरमीडिएट तक की शिक्षा इन्होंने गोरखपुर स्थित जुबली इंटर कॉलेज से प्राप्त किया। इसके बाद एमबीबीएस की डिग्री बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में हुई। यहीं पर सेवा भी शुरू किया और नेफ्रोलॉजी विभाग से वर्ष 2016 में सेवानिवृत्त हुए।
मरीजों को देते हैं निश्शुल्क परामार्श
इन्होंने एमडी, डीएम, एमएनएएमएस की डिग्री प्राप्त किया है। साथ ही एफआईसीपी इंग्लैंड से किया है। सेवानिवृत्ति के बाद वाराणसी स्थित अपने आवास पर सुबह नियमित रूप से मरीजों को निश्शुल्क परामर्श देते आ रहे हैं।समाजसेवा के शौकीन त्रिपाठी प्रत्येक माह अपने पैतृक गांव आकर लोगों को चिकित्सा परामर्श देते हैं। पुरस्कार के लिए चयन होने की खबर सुनते ही गांव के निशाकर त्रिपाठी, ज्ञानेश्वर त्रिपाठी, प्रमोद त्रिपाठी, पुष्कर नाथ त्रिपाठी, पुरुषोत्तम त्रिपाठी आदि लोगों ने खुशी व्यक्त किया है।