Move to Jagran APP

जानें, अयोध्या में श्रीराम मंदिर शिलान्यास की खबर से यूपी के इन सैकड़ों गांवों में क्यों है उत्साह का माहौल

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास होने की सूचना से देवरिया जिले के दर्जनों गांवों में उल्लास है। माना जाता है कि यहां श्री राम के पांव पड़े थे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 05:15 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 09:25 PM (IST)
जानें, अयोध्या में श्रीराम मंदिर शिलान्यास की खबर से यूपी के इन सैकड़ों गांवों में क्यों है उत्साह का माहौल
जानें, अयोध्या में श्रीराम मंदिर शिलान्यास की खबर से यूपी के इन सैकड़ों गांवों में क्यों है उत्साह का माहौल

महेंद्र कुमार त्रिपाठी, देवरिया। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिलान्यास को लेकर देश भर में खुशी है, लेकिन यहां का उछाह अलहदा है। राम जानकी मार्ग के किनारे बसे सैकड़ों गांव इसलिए खासा उमंग में हैं क्योंकि उनको छूकर गुजरने वाली इस सड़क ने कभी दूल्हे राम और उनकी बारात को मिथिला पहुंचाई थी और वापसी में प्रभु राम कपरवार के आसपास न सिर्फ कई गांवों के पास कुछ पल रुके बल्कि राप्ती और सरयू के संगम पर सिद्ध ऋषि का आशीर्वाद भी लिया।

loksabha election banner

श्रीराम जानकी मार्ग का करीब पैंतीस किलोमीटर हिस्सा देवरिया में आता है। पैना, कपरवार और कुंडौली में सीताराम के मन्दिर भी इस क्षेत्र के आध्यात्मिक और ऐतिहासिक प्रमाण की कहानी सुनाते हैं।

राम जानकी मार्ग के किनारे पड़ने वाले कपरवार, बेलडाड़, गौरा कटइलवा, जयनगर, पैना, मौना गढ़वा, तेलिया शुक्ल, मईल, कुंडौली और मेहरौना आदि गांवों में राममंदिर शिलान्यास को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। मईल के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक गोपाल राम बताते हैं कि उनके बचपन में तमाम घरों में राम विवाह का पूरे दिन का उत्सव होता था। मान्यता है कि श्रीराम की बारात और सीता सहित वापसी इसी रास्ते हुई थी। कुछ युवकों की तैयारी है कि शिलान्यास होने के बाद कीर्तन का आयोजन किया जाएगा। शारीरिक दूरी के साथ सभी झूमेंगे-नाचेंगे।

उधर, बिजौली भैया के रहने वाले बृजेश्वरी सिंह ने कहा कि भगवान राम के पग इसी रास्ते पर पड़े थे। इस वर्ष भी हम लोग अपने को धन्य मानते हैं।

रामजानकी मार्ग पर कपरवार राप्ती तट पर कुटी स्थित ठाकुर जी मंदिर के पुजारी रामेश्वर मिश्र बताते हैं कि शिलान्यास गौरव का पल है। प्रभु श्रीराम संगम तट पर बारात लेकर लौटते समय रुके थे। हम उन्हें दूल्हा राम की तरह देखते हैं।

श्री बाबा सूरदास कुटी के महंत रामसुंदर दास महाराज बताते हैं कि रामलला के मंदिर का शिलान्यास ऐतिहासिक है। हमारा सौभाग्य है कि हम उस राह के निवासी हैं। जिससे प्रभु श्रीराम की बारात लौटी थी। प्रभु इसी मार्ग से अयोध्या गए थे। इसलिए रामजानकी मार्ग नाम पड़ा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.