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एक बार फिर गन्ने की खेती की तरफ दिख रहा किसानों का रुख Gorakhpur News

जनपद के किसानों का गन्ने की खेती से मोह भंग हो गया था लेकिन एक बार फिर इनका झुकाव नकदी फसल की ओर बढ़ा है।

By Edited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 10:02 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 11:19 AM (IST)
एक बार फिर गन्ने की खेती की तरफ दिख रहा किसानों का रुख Gorakhpur News
एक बार फिर गन्ने की खेती की तरफ दिख रहा किसानों का रुख Gorakhpur News
देवरिया,  जेएनएन। देवरिया गन्ना उत्पादन को लेकर कभी चीनी का कटोरा कहा जाता था। देवरिया में कभी पांच चीनी मिले चलती थी। चार चीनी मिलों की बंदी के बाद किसानों ने गन्ने की खेती से मुंह मोड़ लिया। साल दर साल गन्ने का रकबा घटता गया। किसान उपजाऊ जमीन होने के बाद भी गन्ने की खेती नहीं कर रहा था। उपज का बेहतर मूल्य व समय से गन्ना पेराई के कारण एक बार फिर किसानों ने गन्ने की खेती की तरफ रुख किया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गन्ने की खेती में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गन्ने की खेती किसानों के लिए नकदी फसल है। गन्ने की फसल काटने के बाद किसानों को एक मुश्त रुपये मिल जाते हैं जिससे वह गृहस्थी का बड़ा कार्य कर लेता है। भुगतान में विलंब, प्रोत्साहन नहीं मिलने, समय से मिल का नहीं चलने समेत कई कारण हैं जिससे गन्ना किसानों का इस खेती से मोह भंग हो गया था लेकिन एक बार किसानों ने मिलों की बंदी के बावजूद इस खेती की तरफ रुख किया है।
प्रतापुर चीनी मिल ने बचाई है लाज
जनपद में कभी पांच चीनी मिलें चला करती थी। जिसमें गौरीबाजार, बैतालपुर, देवरिया, भटनी व प्रतापपुर चीनी मिल का नाम शामिल है। इसमें चार चीनी मिलें बंद हो गई और मौजूदा समय में मात्र एक चीनी मिल प्रतापपुर चालू हालत में है। प्रतापपुर चीनी मिल की पेराई क्षमता दो चीनी मिलों के बराबर है। ऐसे में मिल जब चालू होती है तो उसे पर्याप्त गन्ना नहीं मिल पाता और एक माह बाद से ही वह नो केन में बंद होने लगती है। गन्ना किसानों की लाज प्रतापपुर चीनी मिल ने बचाई है।

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