Move to Jagran APP

कोरोना के कहर से टूटी किसानों की कमर, खेत में सूख रहा बैगन- सड़क पर फेंक रहे टमाटर

पिछले साल तक गोरखपुर के कैंपियरगंज सब्जी मंडी से वाराणसी और पड़ोसी देश नेपाल की कई मंडियों में सब्जी की सप्लाई की जाती थी। लाकडाउन लगने के बाद सब्जी के कारोबार पर जो ग्रहण लगा वह इस साल भी कायम है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 01:30 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 06:35 PM (IST)
कोरोना के कहर से टूटी किसानों की कमर, खेत में सूख रहा बैगन- सड़क पर फेंक रहे टमाटर
गोरखपुर में सड़क पर फेंका गया टमाटर। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर जिले के कैंपियरगंज इलाके में राजपुर गांव का सेमरहवा टोला। बमुश्किल पांच सौ की आबादी वाले इस टोले के अधिकतर लोग सब्जी की खेती करते हैं। इससे होने वाली आय से परिवार का गुजर-बसर होता है। सेमरहवा टोले के अंबिका की पत्नी इंद्रावती देवी भी सब्जी की खेती करने वालों में शामिल हैं। इस साल उन्होंने 15 डिसमिल खेत में टमाटर की खेती की थी। फसल अच्छी थी। इसलिए अच्छी आय होने की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना के कहर ने सब्जी की खेती करने वाले किसानों की कमर तोड़ दी है। आलम यह है कि बैगन की फसल खेत में ही सूख रही तो कई किसान खेत खाली करने के लिए टमाटर, सड़क पर फेंक रहे हैं।

loksabha election banner

स्थानीय मंडी बंद होने से नहीं बिक रही सब्जी

पिछले साल तक कैंपियरगंज सब्जी मंडी से वाराणसी और पड़ोसी देश नेपाल की कई मंडियों में सब्जी की सप्लाई की जाती थी। अच्छी आय होने की वजह से इलाके के किसान भी काफी खुशहाल थे। पिछले साल मार्च में लाकडाउन लगने के बाद सब्जी के कारोबार पर जो ग्रहण लगा वह इस साल भी कायम है। कोरोना की पहली लहर का असर कम होने पर किसानों को अच्छे कारोबार की उम्मीद थी, लेकिन इस साल शुरू हुई दूसरी लहर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कोरोना कफ्र्यू की वजह से कैंपियरगंज मंडी बंद है। दूसरे शहरों से खरीदारी करने आने वाले व्यापारी आ नहीं रहे हैं। 

शादी विवाह न से मांग घटी

लगन शुरू होने पर इलाके में सब्जी की मांग होती थी लेकिन शादी समारोह काफी सीमित हो जाने की वजह से सब्जियों की मांग नहीं के बराबर ही है। जिससे सब्जी का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। बाजार में मांग न होने की वजह से गायघाट के किसान श्याम नारायण को एक एकड़ खेत में लगी बैगन की फसल सूख गई।

पिछले साल लाकडाउन लग जाने की वजह से सब्जी की खेती में काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इसकी भरपाई के लिए इससाल 15 डिसमिल खेत में टमाटर की खेती किया था। फसल अच्छी होने की वजह से अच्छा फायदा होने की उम्मीद थी, लेकिन जब कमाई का समय आया तो कोरोना शुरू हो गया। पूरी फसल खेत मे सूख रही है। कोई खरीदार नहीं है। - ईश्वर चंद, राजपुर, सेमरहवा टोला।

पिछले साल 22 हजार रुपये की लागत से 40 डिसमिल खेत में गोभी की खेती किया था। बिक्री का समय आया तो लाकडाउन लग गया। एक किलो गोभी नहीं बिकी। इस साल करैले की खेती किया हूं। सब्जी निकलने भी लगी है, लेकिन खरीदार ही नहीं है। कोरोना की वजह से इस साल भी नुकसान ही उठाना पड़ेगा। लागत भी निकलनी मुश्किल है। - मोतीलाल चौरसिया, राजपुर।

20 साल से सब्जी की खेती कर रहा हूं। फायदा भी होता रहा है, लेकिन पिछले साल से सब्जी की खेती में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस साल एक बीघा खेत में बैगन की खेती किया था। जब सब्जी निकलने लगी तो कोरोना शुरू हो गया। जिसकी वजह से बाहर के व्यापारी आ नहीं रहे हैं और स्थानीय स्तर पर मांग नहीं है। पूरी फसल खेत में ही सूख गई। - गिरीश अग्रहरी, सूरस।

सरपुतिया, भिंडी और करैले की खेती किया था। हर साल काफी मात्रा में बाहर की मंडियों में सब्जी भेजने के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी अच्छा कारोबार कर लेता था, लेकिन पिछले साल से ही कोरोना की वजह से कारोबार बुरी तरह से बैठा हुआ है। न तो बाहर की मंडी से मांग आ रही है और न ह स्थानीय स्तर पर ही सब्जी की मांग है। काफी नुकसान उठाना पड़ा है। - रामाज्ञा, राजपुर। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.