गन्ने की खेती से किसानों का हो रहा मोहभंग
सिद्धार्थनगर मेंकेवल केवटली सेंटर पर करोड़ों का बकाया है जिससे किसानों को गन्ने की बोआई करने में कठिनाई आ रही है।
भवानीगंज, डुमरियागंज, जेएनएन : हाड़तोड़ मेहनत कर उगाई गई गन्ने की फसल को बेचने के बाद भी किसानों के हाथ खाली हैं। इसकी वजह चीनी मिलें हैं, जो गन्ना खरीद तो लेती हैं, लेकिन भुगतान करने के नाम पर किसानों को सिर्फ दौड़ाती हैं। पेराई सत्र 2019-20 में किसानों का करोड़ों रुपये दबाए हैं। किसान परेशान हैं। हालात यह है कि नकदी फसल गन्ने की खेती से किसानों का मोहभंग होता जा रहा है।
तहसील क्षेत्र बेहतर उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां के किसान ज्यादातर केवल गन्ने की फसल पर निर्भर रहते हैं, लेकिन इस बार नकदी फसल उधारी हो गई। हालत यह है कि 14 दिन में भुगतान देने की बात करने वाली चीनी मिलें कई महीनों से गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान नहीं कर रही हैं। किसानों को गन्ने की अगली फसल में दिक्कत आ रही है। समय से गन्ना बेचने के बाद भी उसका भुगतान नहीं मिलना किसानों की परेशानी का बड़ा कारण है। जो किसान केवल गन्ने की फसल पर निर्भर रहते थे वह अब दूसरी फसल की ओर रुख कर रहे हैं। जिससे करीब पचास फीसद रकबा घट गया है। बजाज चीनी मिल अठदमा रुधौली में किसानों का 541.08 लाख रुपये बकाया है।
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करीब 24 बीघा में गन्ने की फसल बोई है। मुख्य खेती गन्ना ही है। इस सत्र का करीब तीन लाख रुपये का भुगतान अभी तक चीनी मिल ने नहीं किया है। जिससे इस बार गन्ने की बोआई नहीं की, 13 बीघा पेड़ी बची है। इसे सप्लाई कर हाथ जोड़ लेंगे।
रामशंकर
ग्राम सागररौजा
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16 बीघा गन्ने की बोआई की थी। चीनी मिल के क्रय सेंटर पर तौल कराया था। लेकिन अभी तक इस सत्र के करीब तीन लाख रुपये का भुगतान नहीं मिला है। इस साल केवल पांच बीघा ही गन्ने की फसल बोई है।
राजाराम
ग्राम चकमारूफ
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30 बीघा गन्ने की फसल थी, तौल कराने के बाद मिल को सप्लाई किया था। इस पेराई सत्र का करीब छह लाख रुपये का भुगतान नहीं मिला है। इस बार की बोआई नहीं की है, जब भुगतान न मिले तो ऐसी फसल का क्या मतलब।
सूर्यबली
ग्राम केवटली नानकार
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किसानों को भुगतान किया जा रहा है। जल्द ही सभी किसानों के बकाए का भुगतान कर दिया जाएगा। इस संबंध में शासन व प्रशासन को अवगत कराया गया है।
अंजनी तिवारी
मुख्य गन्ना प्रबंधक
बजाज शुगर मिल, रुधौली