Gorakhpur University: पास किए जाएंगे स्नातक प्रथम वर्ष के फेल विद्यार्थी
द्वितीय वर्ष में पास होने के बाद प्रथम वर्ष में फेल घोषित होने वाले सेंट एंड्रयूज कालेज और बीआरडी पीजी कालेज देवरिया के विद्यार्थियों का संघर्ष रंग लाया है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति ने उन्हें पास घोषित करने का निर्णय लिया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। द्वितीय वर्ष में पास होने के बाद प्रथम वर्ष में फेल घोषित होने वाले सेंट एंड्रयूज कालेज और बीआरडी पीजी कालेज देवरिया के विद्यार्थियों का संघर्ष रंग लाया है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति ने उन्हें पास घोषित करने का निर्णय लिया है। पांच दिसंबर को हुई समिति की बैैठक में इसे लेकर सहमति बनी। परीक्षा समिति ने यह भी निर्णय लिया कि फेल विद्यार्थियों के प्रथम वर्ष के अंकपत्र पर उत्तीर्ण नंबर देने के लिए एक कमेटी गठित की जाएगी। विश्वविद्यालय इसे लेकर शासन की अनुमति भी प्राप्त करेगा।
फेल विद्यार्थियों को दिए जाएंगे उत्तीर्णांक
परीक्षा समिति ने कोविड-19 के समय वार्षिक परीक्षा देकर फेल होने वाले विद्यार्थियों को उत्तीर्णांक देकर पास करने का निर्णय लिया। विद्यार्थियों का उत्तीर्णांक कितना होगा, यह निर्णय परीक्षा समिति द्वारा गठित कमेटी लेगी। बैठक के बाद कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि स्नातक के ऐसे विद्यार्थी, जो प्रथम वर्ष में फेल और द्वितीय वर्ष में उत्तीर्ण हो गए हैं, वह तृतीय वर्ष में प्रवेश ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर पर विविध पाठ्यक्रमों में नव प्रवेशित छात्रों का विवरण अपलोड करने तथा पंजीकरण शुल्क विश्वविद्यालय में जमा करने की आखिरी समय सीमा भी विस्तारित कर दी गई। अब यह ब्योरा 10 दिसंबर तक अपलोड किया जा सकेगा।
यह है मामला
सेंट एंड्रयूज कालेज के स्नातक विद्यार्थियों को जब बीते दिनों द्वितीय वर्ष की मार्कशीट जारी की गई तो आधे विद्यार्थी यह देखकर हतप्रभ रह गए कि वह द्वितीय वर्ष में तो पास हैं मगर पहले वर्ष में फेल। जबकि उनकी जानकारी के मुताबिक पहले वर्ष में उन्हें कोरोना संक्रमण के चलते प्रमोट कर दिया गया था। जब बीआरडी पीजी कालेज देवरिया के स्नातक विद्यार्थियों का परिणाम घोषित हुआ तो उनके सामने भी यही समस्या आई। इस विचित्र परिणाम के विरोध में विद्यार्थियों ने लगातार दो दिन विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन तो किया ही, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर भी अपनी शिकायत दर्ज कराई। इसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय प्रशासन को विद्यार्थियों को पास घोषित करने का निर्णय लेना पड़ा।