कुशीनगर हादसा : दस मिनट तक होता रहा विस्फोट, लोगों की चीखें निकलते रही, बेबस तमाश देखते रहे लोग
कुशीनगर में पटाखों के गोदाम में आग लगने के बाद धमाकों का क्रम करीब 10 मिनट तक चला। वह जब तक कुछ समझ पाते मुहल्ले के कई घरों को आग की लपटें घेर चुकी थीं। विस्फोट होता रहा और बेबस लोग तमाशा देखते रहे।
गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर के कप्तानगंज कस्बे में बुधवार सुबह करीब छह बजे कुछ लोग सोकर उठ गए थे, तो कुछ अभी बिस्तर में ही थे। 28 वर्षीय आजाद अहमद अपने घर से बाहर निकले ही थे कि अचानक इतना जोर का धमाका हुआ, लगा जैसे कान के पर्दे फट जाएंगे। उसके बाद धमाकों का यह क्रम करीब 10 मिनट तक चला। वह जब तक कुछ समझ पाते, मुहल्ले के कई घरों को आग की लपटें घेर चुकी थीं। विस्फोट होता रहा और बेबस लोग तमाशा देखते रहे। विस्फोटों का सिलसिला खत्म होने तक चार लोग अपनी जान गवां चुके थे।
हादसेे की कहानी, घायलों की जुबानी
हादसे में घायल होने के बाद बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर में भर्ती आजाद अहमद ने बताया कि उन्हें चिंता अपनी मां 45 वर्षीया अफसाना व 18 वर्षीया बहन शमा खातून पुत्री अली अहसन की हुई। दोनों घर के भीतर ही थीं। शमा खाना बना रही थी, तो मां दूसरे कार्यों में व्यस्त थीं। वह भीतर पहुंचे, तो देखा कि पूरा घर आग की चपेट में आ चुका है। आनन-फानन आग बुझाने में जुट गए। इसमें उनका बायां हाथ व पैर जल गया। मां अफसाना व बहन शमा आग से बुरी तरह झुलस गईं। किसी तरह मुहल्ले के अन्य लोगों की मदद से उन्हें बाहर निकाला गया। आजाद कहते हैं कि यह स्थिति मुहल्ले के कई परिवारों की थी। उन्हें तो पड़ोसी होने का खामियाजा भुगतना पड़ा। पटाखा गोदाम में लगी आग से मुहल्ले में करीब घंटे भर तक हाय-तौबा मची रही। आजाद कहते हैं पटाखों की गूंज व विकराल आग की लपटों से तो यही प्रतीत हो रहा था कि इसमें पूरा मुहल्ला साफ हो जाएगा।
चीख आती रही लेकिन सब बेबस थे
आग की लपटों के बीच घिरी नाजिया व उसके स्वजन की चीख सुनकर आस-पास के लोग जब घर के करीब पहुंचे तो वहां का मंजर देख अवाक रह गए। धुएं की गुबार व आग की लपटों के बीच फंसे लोगों को भीड़ ने बचाने की पूरजोर कोशिश की पर रह-रह कर धधकती आग के सामने वे बेबस रह गए। देखते ही देखते आग में तीन ङ्क्षजदगियां जलकर राख बन गईं। पटाखे का अवैध कारोबारी जावेद जिस गली में मकान बनाकर रहता था, वहां आने-जाने के लिए चौड़ी सड़क नहीं थी। गली में बने मकान में आग लगने के बाद वहां से न तो निकलने की स्थिति थी और नहीं अंदर पहुंच मदद करने की। यही कारण रहा कि आग के बीच घिरे लोगों को जान बचाने के लिए मौका नहीं मिला। और जावेद उसकी मां फातिमा और भीतीजी नाजिया जिंदा जल गए। जावेद की पत्नी अनवरी गोदाम के पीछे वाले कमरे में सोई हुई थी। शोर सुनकर उसकी नींद खुली। कमरे से भागकर वह अपनी जान बचा पाती कि गैस सिलेंडर में विस्फोट हो गया और वह कमरे में ही घिरी रह गई। बाहर मौजूद लोग आग बुझाने के इंतजाम में लगे रहे, लेकिन आग बढ़ती जा रही थी। देखते ही देखते आग पड़ोस के भी तीन घरों में फैल गई। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि अचानक धमाके के साथ लगी आग में किसी को भागने का मौका नहीं मिला। अंदर पुलिस के जवानों ने खतरा मोल ले घर के पिछले दरवाजे से घुस कर अनवरी को बाहर निकाला। इलाज के लिए मेडिकल कालेज, गोर ले जाते समय उसने भी दम तोड़ दिया।
बंद था दरवाजा
जावेद के घर के मुख्य दरवाजे पर लोहे का चैनल लगा है। घटना के समय चैनल अंदर से लाक था। इसके चलते आग लगने की जानकारी पर पहुंचे लोग मदद नहीं कर पाए।
पटाखे से खाक हुआ परिवार
अवैध पटाखे की आग में जावेद का परिवार खाक हो गया। दो साल पहले ही उसकी शादी अनवरी से हुई थी। घर में दोनों के अलावा मां फातिमा रहती थीं। दिवाली का त्योहार नजदीक देख जावेद पटाखा तैयार करने में जुटा था। पटाखा बनाने का काम कई दिनों से चल रहा था। पटाखा बनाते समय हुए विस्फोट में जावेद, अनवरी व फातिमा तीनों की मौत हो गई।
20-25 किग्रा आंकी जा रही बारूद की मात्रा
जिस कमरे में विस्फोट हुआ वहां 20-25 किग्रा सामान्य क्षमता वाला बारूद होने का अनुमान पुलिस लगा रही है। मकान के पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने तथा सामान के जल कर खाक हो जाने से पटाखे व बारूद के स्पष्ट आंकलन नहीं हो सकता।
अवैध पटाखों का बड़ा बाजार है कप्तानगंज
अवैध पटाखों का कप्तानगंज बड़ा बाजार है। दीवाली व छठ के पर्व पर वहां अवैध पटाखों की बिक्री बड़े स्तर पर होती है। अवैध पटाखों को लेकर बरती जा रही सक्रियता के बीच पुलिस उदासीन बनी रही।
पांच घंटे जमे रहे डीएम-एसपी
घटना की जानकारी मिलते ही डीएम भूपेंद्र एस चौधरी, एसपी विनोद कुमार ङ्क्षसह, एएसपी एपी ङ्क्षसह तत्काल मौके पर पहुंच गए। कस्बे में स्थिति सामान्य होने तक अफसर पांच घंटे तक जमे रहे।
रात तक घरों को नहीं लौटे थे लोग
घटना के बाद से दहशत में आए मोहल्ले के लोग घरों में ताला बंद कर अन्यत्र चले गए, जो देर रात तक वापस नहीं आए थे। मोहल्ले में करीब दर्जन भर घरों में ताला लटका है और सड़कों पर सन्नाटा है।
आठ वर्ष पूर्व टेकुआटार में भी हुई थी घटना
इसी तरह की घटना दो मार्च 2012 में कसया थाना क्षेत्र के अहिरौला राजा गांव में पटाखा बनाते समय धमाका होने से 35 वर्षीय मीना खातून की मौत हो गयी थी। विस्फोट इतना तेज था कि शव के के कुछ हिस्से घटनास्थल से काफी दूर गांव में गिरे थे। उसका पति मैनुद्दीन अवैध पटाखों का कारोबार करता था।
तंग गलियों में नहीं हैं आग बुझाने के इंतजाम
घनी आबादी वाले मंगल की बाजार में लगी भीषण आग घंटों धधकती रही। कस्बे में आग बुझाने के साधन न होने से मौके पर पहुंचे पुलिस के जवान व लोग असहाय नजर आए। सब इस इंतजार में थे कि दमकल की गाडिय़ां पहुंचे तो बेकाबू होती आग को काबू किया जाए। कस्बे में अगर आग बुझाने का इंतजाम रहता तो शायद आग से हुई क्षति को कम किया जा सकता था। आग पर तब काबू पाया गया जब पडरौना नगर से फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां मौके पर पहुंचीं। 20 हजार से अधिक की आबादी वाले कप्तानगंज कस्बे में आग बुझाने का कोई इंतजाम नहीं है। नगर पंचायत के पास भी किसी आपातकालीन व्यवस्था से निपटने की व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि बुधवार सुबह जब अवैध पटाखा गोदाम में भीषण आग की घटना हुई तो पुलिस व आम नागरिक कुछ देर तक असहाय बने रहे।
आग बुझाने के संसाधन अगर कस्बे में रहा होता तो पुलिस व लोगों की सक्रियता से आग को रोका जा सकता था और आसपास के तीन घरों तक इसकी आंच नहीं पहुंचती, पर संसाधनों की कमी भारी पड़ी और देखते ही देखते पटाखा के अवैध कारोबारी जावेद के घर से उठी आग ने उनके पड़ोसी अली हसन, वकील पटवा, राम सजन व रामसेवक के घर को भी लपटे में ले लिया। आग की इस घटना में अली हसन का घर भी पूरी तरह जल गया है। घटना के समय वह घर पर मौजूद नहीं थे, यही कारण है कि वह सुरक्षित बच गए। घर में रही पत्नी अफसाना तथा पांच बेटियां व तीन बेटे बुरी तरह झुलस गए। वहीं वकील पटवा, राम सजन व रामसेवक के घर में भी भारी क्षति पहुंची है।