UP budget 2021: बजट में किसानों पर मेहरबान रही है सरकार, इस बार भी उम्मीद बरकरार
किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रदेश और केंद्र सरकारें विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान दे रही है। सब मिशन आन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना के तहत अधिकतर कृषि उपकरणों पर 50 फीसद तक अनुदान दिया जा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश सरकार बजट में किसानों पर खूब मेहरबान दिखाती रही है। कृषि उपकरणों, बीज व रसायनों पर भरपूर अनुदान मिलने की वजह से आय में काफी वृद्धि तो हुई ही है, साथ ही गैर परंपरागत खेती की तरफ भी किसानों का रुझान बढ़ा है। कृषि विभाग आगे बढ़कर इस दिशा में किसानों की मदद कर रहा है। उप निदेशक कृषि ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए वित्तिय वर्ष 2021-22 के बजट में कुछ प्रावधानों किए जाने का शासन को प्रस्ताव भेजा है।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रदेश और केंद्र सरकारें विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान दे रही है। सब मिशन आन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना के तहत अधिकतर कृषि उपकरणों पर 50 फीसद तक अनुदान दिया जा रहा है। खाद, बीज और कृषि रसायनों पर मिल रहे अनुदान से भी खेती करना फायदे का सौदा साबित हो रहा है। ऋण मोचन योजना से भी किसानों को काफी राहत मिली है। फसल बीमा योजना की वजह से फसल को लेकर किसानों में सुरक्षा का भाव पैदा हुआ है। इस योजना के तहत प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई की जाती है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से भी खेती-किसानी की राह आसान हुई है।
कृषक उत्पादक संगठन भी किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे हैं। विभिन्न प्रोसेसिंग इकाईयों के माध्यम से किसानों को अपने उत्पाद की अच्छी कीमत मिल रही है। बीज प्रोसेसिंग इकाई से लेकर फल संरक्षण एवं शहद उत्पादन जैसी कई इकाईयां कृषक उत्पादक संगठनों की ओर से चलाई जा रही हैं।
आंकड़ों में गेहूं का उत्पादन
2017-18 में गोरखपुर में 195738 हेक्टेयर में हुई गेहूं की बुवाई। 783456 मेट्रिक टन हुआ उत्पादन।
2018-19 में गोरखपुर में 191384 हेक्टेयर में हुई गेहूं की बुवाई। 697598 मेट्रिक टन हुई उपज।
2019-2020 में गोरखपुर में 195495 हेक्टेयर में हुई गेहूं की बुवाई। 829287 मेट्रिक टन हुई उपज।
तीन साल में बढ़ी धान की उपज
2017-18 में गोरखपुर में 152461 हेक्टेयर में हुई धान की बुवाई। 296409 मेट्रिक टन हुआ उत्पादन।
2018-19 में गोरखपुर में 150555 हेक्टेयर में हुई धान की बुवाई। 401681 मेट्रिक टन हुई उपज।
2019-2020 में गोरखपुर में 146139 हेक्टेयर में हुई धान की बुवाई। 408605 मेट्रिक टन हुई उपज।
बजट के लिए भेजा गया यह प्रस्ताव
उप निदेशक कृषि, संजय सिंह ने बजट के लिए प्रस्ताव भेजा है। ताकि गोरखपुर मंडल के किसानों को लाभ मिल सके। इस प्रस्ताव में जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए मंडी समिति में अलग प्लेटफार्म उपलब्ध कराने की मांग की गई है। ताकि किसान अपना प्रोडक्ट आसानी से बेच सके। किसानों की आय बढ़ाने के लिए सीड प्रोडक्शन को कृषक उत्पादक संगठनों से जोडऩे का भी प्रस्ताव भेजा गया है। बीज रखने के लिए गोदाम का निर्माण कराने का प्रस्ताव भेजा गया है।
बजट से क्या है किसानों की अपेक्षा
पिपराइच के इस्माइलपुर निवासी रवि कुमार सिंह का कहना है कि रबी और खरीफ के सीजन में निर्धारित अवधि के लिए क्रय केंद्र खोले जाते हैं। किसान को हर हाल में इसी अवधि में अपनी उपज बेचनी होती है। कम से कम ब्लाक स्तर पर ही सही एक क्रय केंद्र हमेशा खुला रहना चाहिए। ताकि किसान अपनी इच्छा से अपनी फसल बेच सके। इससे प्रशासन को भंडारण की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और किसानों को भी सुविधा होगी। वहीं ब्रह्मपुर के लक्ष्मनपुर गांव निवासी आनंद सागर का कहना है कि धान की रोपाई और निराई-गुड़ाई में काफी लागत आ रही है। मजदूरों से रोपाई करना काफी महंगा साबित हो रहा है। रोपाई के लिए अत्याधुनिक मशीनें आ गई हैं। इन मशीनों को कम से कम कीमत पर किसानों को उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार को कदम उठाना चाहिए। इससे लागत कम होगी और किसानों की आय बढ़ेगी। सरदारनगर के छपरा मंसूर गांव निवासी मुकेश दुबे का कहना है कि किसान को फसल की सरकारी खरीद होने की गांरटी मिलनी चाहिए। इस बार के बजट में सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए। इससे छोटे और मध्यम किसानों को काफी फायदा होगा। खरीद की गांरटी न होने की वजह से ऐसे किसानों को बिचौलियों के हाथ उपज बेचनी पड़ती है। जिसकी वजह से उन्हें अपेक्षित फायदा नहीं मिल पाता। गगहा के मजुरी खास गांव निवासी राजदीप यादव का कहना है कि न्यूट्रिशन युक्त फसलों की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार को कदम उठाना चाहिए। इससे लोगों की सेहत तो ठीक रहेगी ही किसानों को भी अच्छा फायदा होगा। बजट में गैर परंपरागत फसलों का भी समर्थन मूल्य घोषित की व्यवस्था की जानी चाहिए। कोराना काल में देश की अर्थव्यवस्था संभालने में किसानों ने अहम भूमिका निभाई। इसलिए हर किसानों का मुफ्त में कोविड टिकाकरण करने की व्यवस्था करनी चाहिए। गोला के नबी सैनी गांव निवासी राजेश दुबे का कहना है कि वैसे तो किसानों के हित में सरकार कई योजनाएं चल रही है, लेकिन कुछ और कदम उठाए जाने चाहिए। जिन किसानों के खेत नहर और सरकारी ट्यूबवेल के पास हैं, उन्हें मुफ्त में सिंचाई की सुविधा मिलती है। लेकिन जिन किसानों के खेत नहर या ट्यूबवेल से दूर हैं, उन्हें यह सुविधा नहीं मिलती। जिसकी वजह से उन किसानों की लागत बढ़ जाती है। सरकार को बजट में ऐसे किसानों के लिए योजना बनानी चाहिए। इसके अलावा यूरिया की कीमत बढ़ गई है। जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। खाद, बीज की कीमतों को नियंत्रित रखने की दिशा में भी सरकार को कदम उठाना चाहिए।
जैविक उत्पाद के लिए होनी चाहिए बाजार की व्यवस्था
कृषि केंद्र बेलीपार के कृषि वैज्ञानिक एके तोमर का कहना है कि सरकार का जैविक खेती को बढ़ावा देने पर काफी जोर है। काफी किसान जैविक खेती कर भी रहे हैं, लेकिन जैविक उत्पादों के लिए कोई ठोस बाजार नहीं उपलब्ध है। इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए। किसानों को उपज की खरीद की गारंटी मिलनी चाहिए। इससे छोटे किसानों को लाभ मिलेगा। सरकारी खरीद के लिए क्रय केंद्रों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। छोटे किसानों की उपज खरीदने के लिए विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए। ताकि आसानी से वे अपनी फसल बेच सकें। कृषि यंत्रों पर अनुदान बढ़ाया जाना चाहिए। साथ ही अनुदान पर दिए जाने वाले उपकरणों की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए। ताकि अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें। वहीं उप निदेशक कृषि संजय सिंह का कहना है कि कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से खाद्यान्न से संबंधित फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने और खेती की तैयारी से लेकर फसल कटाई और सुरक्षित भंडारण के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। अनुदान देने की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। अनुदान की राशि, पोर्टल पर पंजीकृत किसानों के खाते में भेजी जा रही है। इससे किसानों को सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है।