हर साल बाढ़ का दंश झेलता है गोरखपुर का यह इलाका, सैकड़ों गांवों में मचती है तबाही
आमी नदी संतकबीर नगर के मगहर से सहजनवां तहसील की सीमा में प्रवेश करती है। पाली सहजनवां व पिपरौली खजनी ब्लाक के गांवों से होते हुए बांसगांव जाती है। नदी के दोनों किनारों पर बांध नहीं है जिससे बरसात में नदी का पानी फैल जाता है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। हर वर्ष बरसात में आमी नदी के उफनाने से क्षेत्र की जनता को बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है। बाढ़ से करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर फसल व तीन सौ से अधिक गांव प्रभावित होते हैं। नदी के दोनों तरफ यदि बांध बना दिया जाय तो लोगों को बाढ़ की विभीषिका से राहत मिल जाएगी।
आमी नदी मचाती है तबाही
आमी नदी संतकबीर नगर के मगहर से सहजनवां तहसील की सीमा में प्रवेश करती है। पाली, सहजनवां व पिपरौली, खजनी ब्लाक के गांवों से होते हुए बांसगांव तहसील तक जाती है। नदी के दोनों किनारों पर बांध नहीं है, जिससे बरसात में नदी का जलस्तर बढऩे से बाढ़ का पानी फैल जाता है। इससे अकेले सहजनवां तहसील के तीनों ब्लाकों के करीब तीन सौ से अधिक गांव प्रभावित हो जाते हैं और लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसल बर्बाद हो जाती है।
आमी नदी को प्रदूषण मुक्त करके बांध बनाने की मांग वर्षों से उठ रही है। सहजनवां ब्लाक के सुथनी निवासी रामदयाल ने कहा कि हर वर्ष बाढ़ का दंश झेलना पड़ रहा है। कटका के आरपी सिंंह का कहना है कि कभी आमी जीवनदायिनी होती थी, लेकिन अब अभिशाप बनती जा रही है। नदी का प्रदूषित पानी खेतों में जाने से फसलों को काफी नुकसान होता है और बाढ़ के समय तो दुर्गंध से घरों में रहना मुश्किल हो जाता है।
कुछ दूरी तक बना है बांध
बांसगांव तहसील क्षेत्र में बांसगांव से लेकर कसिहार तक करीब दो किमी की दूरी तक बांध बनाने के लिए मिट्टी भी डाली गई मगर कुछ माह बाद काम बंद हो गया। तत्कालीन मंडलायुक्त पीके मोहंती की जांच में भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद बंधे का निर्माण कार्य रोक दिया गया था।
विधानसभा में भी गूंजी है मांग
सहजनवां विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक शीतल पांडेय ने कहा कि आमी नदी के दोनों किनारे बांध बन जाने से लाखों लोगों को बाढ़ से राहत मिल जाएगी। इसको लेकर शासन को पत्र भी लिखा गया है और दो बार विधानसभा में भी मांग उठा चुके हैं।
कोडऱी कला में नहीं पहुंची राहत, खाने के लाले
सहजनवां ब्लाक का कोडऱी कला गांव आमी नदी की बाढ़ से बीते दस दिनों से घिरा है, लेकिन यहां पीडि़तों तक सरकारी राहत नहीं पहुंची है। लोगों की आजीविका का मुख्य साधन सब्जी की खेती भी डूब गई है। घरों में पानी घुसने से खाने तक के लाले पड़ गए है। पशुओं के लिए चारे का भी संकट हो गया है। गांव में मदद के नाम पर महज एक नाव मिली है। गांव की गर्भवती व दिव्यांगजन पानी से गुजरने को मजबूर हैं।
डेढ़ हजार की आबादी वाला कोडऱी कला आमी नदी की तलहटी में बसा है। बाढ़ में सारे रास्ते डूब गए हैं। मेवालाल ने बताया कि दस दिन से गांव बाढ़ से घिरा है, लेकिन सहायता के नाम पर सिर्फ एक नाव है। अन्य जगहों पर राहत सामग्री बंट रही है और यहां कोई पूछने तक नहीं आया है।