हर साल बाढ़ से बर्बाद हो जाती है फसल, रेतीली भूमि को मेहनत से बना दिया उपजाऊ Gorakhpur News
किसान जब मेहनत करें तो रेत में भी सोना पैदा कर सकता है। इसे चरितार्थ कर रहे हैं कुशीनगर जिले के दुदही विकास खंड के अमवखास के दियारा क्षेत्र के कौवाखोर भगवानपुर खुरहुरिया टोला के किसान नरेश पटेल जयप्रकाश कुशवाहा दिलीप सत्यनारायण भरत आदि।
मणिन्द्र दुबे, गोरखपुर : यह सच है कि किसान जब मेहनत करें तो रेत में भी सोना पैदा कर सकता है। इसे चरितार्थ कर रहे हैं कुशीनगर जिले के दुदही विकास खंड के अमवखास के दियारा क्षेत्र के कौवाखोर, भगवानपुर, खुरहुरिया टोला के किसान नरेश पटेल, जयप्रकाश कुशवाहा, दिलीप, सत्यनारायण, भरत आदि। बाढ़ के कारण रेत से पटी बंजर जमीन को हाड़तोड़ मेहनत कर यह उपजाऊ बना दिया है।
यहां कालानमक और बासमती धान की थी पैदावार
कभी दियारा की इस भूमि पर काला नमक से लेकर बासमती आदि धान की अच्छी उपज हुआ करती थी, लेकिन नारायणी नदी के कटान की तबाही ने इस भूमि को अपने आगोश में ले लिया तो किसान भूमिहीन हो गए। ये सरकारी अभिलेखों में बड़े काश्तकार होने के चलते सरकार के अनुदान से भी वंंचित रहे। कई वर्षों बाद वह जमीन नदी के पेट से बाहर हुई है तो इनकी उम्मीदें पुन: जग उठीं, लेकिन जमीन को रेत से पटा देख कर वे निराश हो चले। उन्हें लगा कि अब वर्षों तक यहां कोई फसल नहीं उगाई जा सकती, लेकिन ये छह किसान हर प्रतिकूल मौसम में बंजर जमीन से अपने किस्मत संवारने में जुट गए है। भूमि को फिर से उपयोगी बनाने के लिए फावड़ा, खुरपी लेकर हाड़तोड़ मेहनत में जुटे किसान रेगिस्तान सरीखी बंजर जमीन पर दोहरी फसल उपजा रहे है।
अब हो गए प्रगतिशील किसान
अमवादीगर निवासी नरेश पटेल ने पिछले वर्ष अप्रैल में रेतीले भूमि से गेहूं काटकर गन्ना की बोआई कर दी, जिसको देखने आए सेवरही मिल के कर्मचारी व गन्ना पर्यवेक्षक विजय तिवारी ने इनका चयन प्रगतिशील किसान के रूप में कर लिया। इनकी मेहनत को देखकर यहां के एक दर्जन किसान अब गन्ना के अलावा ककड़ी, खीरा, तरबूज, परवल, लौकी की खेती कर आशा की ज्योति जला किस्मत संवारने में जुटे हुए हैं। साथ ही साथ क्षेत्र के अन्य निराश किसानों के बीच नरेश पटेल कहते है कि शाम होते ही यहां से लोग जानवर व बदमाशों के डर से भाग जाते हैं, लेकिन हम रात्रि में भी यहीं रहकर फसल को जानवरों से बचाते है। अब तो यह रेत ही हम लोगों के लिए सोना है।