DM के आदेश के बाद भी PWD ने नहीं कराई नालों की लेबलिंग, भाजपा विधायक ने विधान सभा में उठाया मामला Gorakhpur News
गोरखपुर में नाले की अधिकारियों का मामला नगर विधायक डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने विधानसभा में उठाया है।
गोरखपुर, जेएनएन। नगर विधायक डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने विधानसभा में गोरखपुर के निर्माणाधीन असुरन-मेडिकल रोड तथा नाले के अनियोजित तरीके से बनाये जाने तथा भूमि-अधिग्रहित नागरिकों को मुआवजा न दिये जाने का विषय नियम -51 के तहत उठाया। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने विषय को स्वीकार करते सरकार को तीन दिन में सदन में व्यक्तव्य देने के लिए निर्देशित किया है।
नगर आयुक्त ने स्वीकार किया था, डूब जाएंगे निचले मोहल्ले
नगर विधायक ने कहा कि दिसंबर 2019 में उन्होंने स्वयं खड़े होकर, उप नगर आयुक्त अवनीन्द्र सिंह, मुख्य अभियंता सुरेश चन्द्र की उपस्थिति में लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं से नाले की लेबेलिंग कराई थी। उसी समय यह स्पष्ट हो गया था कि लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं ने निहायत गैर- जिम्मेदार आचरण किया था और मेडिकल रोड नाले और मोहल्लों के नालों का लेबल कराने की जगह सबकुछ ठेकेदार के मुलाज़िमों के हवाले छोड़ दिया था। परिणाम यह हुआ कि लेबेलिंग में पता चला की मेडिकल रोड के नाले का लेवेल मोहल्लों के नालों से 80 सेमी ऊंचा था। कोई इस बात को बताने के लिए तैयार नहीं था कि आखिर मुहल्लों से निचले स्तर का पानी चढ़कर ऊंचे मेडिकल नाले में कैसे जाएगा।
डीएम ने दिया था लिखित आदेश
नगर विधायक ने कहा कि 13 दिसंबर 2019 को उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय में नगर निगम तथा लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं की बैठक बुलाई थी। बैठक में नगर आयुक्त ने लिखित रूप से कहा कि यदि मेडिकल नाला इसी लेवेल पर बना तो उस क्षेत्र के सारे वार्डों में भीषण जलजमाव होगा। जिलाधिकारी के विजेन्द्र पाण्डियन ने लिखित रूप से आदेश जारी किया था कि लोक निर्माण विभाग के अभियंता, नगर आयुक्त के नामित प्रतिनिधि के साथ सारे नालों की एक बार फिर से लेबलिंग कराएं और नालों को उसके हिसाब से नये सिरे से बनाएं। इसके अतिरिक्त लोक निर्माण विभाग को ह्यूम पाइप निकाल कर उसके स्थान पर खुले नाले बनाने का भी निर्देश दिया गया था।
सरकार को जवाब देने का निर्देश
नगर विधायक ने कहा कि लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं ने जिलाधिकारी के आदेशों को भी ठेकेदार के दबाव में दरकिनार कर दिया। नगर निगम के मुख्य अभियंता के अनुसार उन लोगों ने नगर निगम का सहयोग लिया ही नहीं और गलत तरीके से सड़क और नाले बनने जारी हैं। उन्होंने कहा कि यह वहां रहने वाले लाखों नागरिकों के लिये बहुत खराब दिन आने वाला है, जब सडक तो बन जायेगी लेकिन नागरिक जलजमाव से हमेशा पीड़ित रहेंगे। नगर विधायक ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से उन नागरिकों को जिनकी जमीनें और मकान बिना मुआवजा दिये तोड़ दिये गये थे, मुआवजा दिलवाने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा भी की थी लेकिन अभी तक अधिकारियों ने उसका वितरण नहीं किया। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने विषय की गम्भीरता को स्वीकार करते सरकार को तीन दिनों में सदन में जवाब देने के लिए निर्देशित किया है।