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पीआइसीयू कर्मियों के मानदेय से हर माह हो रही ईपीएफ की कटौती, खाते में नहीं पहुंच रही राशि

गोरखपुर : सूबे के नौ जिलों के जिला अस्पताल के 10 पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) में 5 सा

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 May 2018 11:30 AM (IST)Updated: Tue, 08 May 2018 11:30 AM (IST)
पीआइसीयू कर्मियों के मानदेय से हर माह हो रही ईपीएफ की कटौती, खाते में नहीं पहुंच रही राशि
पीआइसीयू कर्मियों के मानदेय से हर माह हो रही ईपीएफ की कटौती, खाते में नहीं पहुंच रही राशि

गोरखपुर : सूबे के नौ जिलों के जिला अस्पताल के 10 पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) में 5 साल से कार्यरत कर्मचारियों के मानदेय से कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) कटौती में बड़ा खेल हुआ है। मानदेय में ईपीएफ कटौती दिखाई जा रहा है पर खाते में पैसा नहीं जा रहा है। इतना ही नहीं एक ही पद पर अलग-अलग मानदेय देने को लेकर कर्मचारियों ने संस्था को कटघरे में खड़ा किया है। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बस्ती के संविदा कर्मियों ने कहा है कि शोषण मुक्त मानदेय देना सुनिश्चित हो। बता दें कि बस्ती, गोरखपुर, कुशीनगर, संतकबीरनगर, महराजगंज, देवरिया, सिद्धार्थनगर, ओपेक चिकित्सालय कैली, लखीमपुर खीरी, बहराइच में जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफ्लाइटिस ¨सड्रोम (एईएस) बीमारी बच्चों पर कहर बनकर टूटती है। इसके समूल नाश और बचाव के लिए जेई वार्ड की स्थापना की गई है। अस्पतालों में वेंटीलेटर समेत अन्य उपकरण के रखरखाव के लिए 4 आपरेटर व 1 टेक्नीशियन की तैनाती की गई है। कर्मचारियों का कहना है कि मानदेय 13 हजार रुपये प्रति माह तय हुआ, लेकिन ईपीएफ के नाम पर कटौती कर महज 4000 रुपये दिए गए, बाद में मानदेय 13 हजार हजार से 10 हजार रुपये कर दिया गया, इसमें इसमें ईपीएफ काटकर 6300 रुपये दिए गए। जब ईपीएफ भुगतान का मामला उठाया गया तो पता चला कटौती हुई ही नहीं। इस बात की शिकायत शासन से भी की गई। शासन ने श्रम विभाग को जांच कर आख्या उपलब्ध कराने को कहा है। इधर अब जिला स्वास्थ्य समिति 18 फीसद वस्तु एवं सेवाकर जीएसटी काटकर 6000 रुपये मानदेय जारी कर रही है। इसको लेकर कर्मचारियों ने सवाल किया है कि कर्मचारियों के मानदेय से कौन सा जीएसटी होता है। अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा. एके श्रीवास्तव का कहना है कि कर्मचारियों के ईपीएफ से जुड़े मामले की जांच चल रही है। यहां से जो मानदेय बनता है, भेजा जाता है, संस्था कितना खाते में भेज रही, इसकी जांच कराई जाएगी।

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