कच्चे माल की कीमतें बढ़ीं, चीन कनेक्शन तलाश रहे उद्यमी Gorakhpur News
पिछले कुछ महीनों से कई वस्तुओं के कच्चे माल में तेजी से वृद्धि हुई है जिसके कारण उत्पादों की कीमत पर भी असर पड़ा है। सरिया बनाने में प्रयोग होने वाले कच्चे माल की कीमत में 75 फीसद तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। पिछले दो महीनों से कपड़ा, स्टील, प्लास्टिक, खाद्य तेल, केमिकल जैसे उत्पादों की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। बाजार में मांग बढ़े बिना ही कीमतों में हो रही इस वृद्धि को लेकर उद्यमी परेशान हैं। इस मूल्य वृद्धि को चीन से जोड़कर भी देखा जा रहा है। उद्यमियों के लिए काम करने वाला संगठन लघु उद्योग भारती इस मूल्य वृद्धि को लेकर चीन कनेक्शन तलाशने में जुटा है। कई उद्यमियों से मिले फीडबैक के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि उत्पादों की कीमत बढऩे के पीछे कोरोना संक्रमण के कारण चीन की लगभग खत्म हो चुकी साख एक बड़ा कारण है।
कच्चे माल में 35 से 40 फीसद तक की हुई है वृद्धि
पिछले कुछ महीनों से कई वस्तुओं के कच्चे माल में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके कारण उत्पादों की कीमत पर भी असर पड़ा है। सरिया बनाने में प्रयोग होने वाले कच्चे माल की कीमत में 75 फीसद तक की वृद्धि दर्ज की गई है जबकि लोहे से जुड़े अन्य उत्पादों के लिए भी क'चे माल की कीमत 35 से 40 फीसद तक बढ़ी है। यही हाल धागा उद्योग का भी है। इसमें प्रयोग होने वाले कुछ क'चे माल की कीमत बढ़ गई है। धागा महंगा होने के कारण कपड़ा भी महंगा हो रहा है। इसी प्रकार खाद्य तेल, रबर, प्लास्टिक से जुड़े सभी उत्पाद, पैङ्क्षकग मैटेरियल, रसायन व स्याही जैसे कई उत्पादों की कीमत बढ़ी है।
चीन से है यह संबंध
जितने भी उत्पादों के दाम बढ़े हैं, उनमें क'चे माल के रूप में प्रयोग होने वाली कोई न कोई वस्तु चीन से आती थी। कोरोना संक्रमण के बाद अब वहां से आयात न के बराकर है। उद्यमियों के अनुसार जो कंटेनर आ भी रहे हैं, उन्हें कई दिनों तक पोर्ट पर ही छोडऩा पड़ रहा है। अपने देश में सभी वस्तुओं का विकल्प तुरंत नहीं मिल रहा। इसके साथ ही कीमतें बढऩे के पीछे एक बड़ा कारण क'चे माल का निर्यात भी है। चीन की साख घटने के साथ ही कई छोटे देशों ने वहां से आयात करना बंद कर दिया है और अब उनकी जरूरतें भारत से पूरी हो रही हैं। प्लास्टिक दाने से जुड़े औद्योगिक इकाइयों में बनने वाले उत्पादों की कीमत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। प्लास्टिक के कूलर व पंखे के थोक रेट में पिछले दो महीने में 400 रुपये तक वृद्धि हुई है। प्लास्टिक दाने भी एक तरह के पेट्रोलियम उत्पाद हैं। क'चे माल के रूप में देश में इस उत्पाद की आपूर्ति करने वाली कंपनी का ध्यान निर्यात पर है और इसी के चलते कीमतें बढ़ी हैं।
अभी भी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहीं इकाइयां
लाकडाउन के समय लगभग सभी औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन बंद हो गया था। धीरे-धीरे करके उनका संचालन शुरू जरूर कराया गया लेकिन अभी भी पूरी क्षमता के साथ उनमें उत्पादन नहीं हो पा रहा। हार्डवेयर हो या कपड़ा उद्योग 60 से 65 फीसद उत्पादन ही हो पा रहा है। बाजार में पूरी खपत न होने के कारण क'चे माल की बढ़ी कीमतों से छोटी औद्योगिक इकाइयों पर संकट खड़ा हो गया है। उद्यमियों का कहना है कि मांग भी बढ़ी होती तो कुछ राहत मिलती लेकिन मांग न होने और लागत बढऩे के कारण अधिक दिनों तक उत्पादन कर पाना आसान नहीं होगा।
चीन से आयात बंद होना भी प्रमुख कारण
लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष दीपक कारीवाल का कहना है कि लघु उद्योग भारती प्रदेश स्तर पर अलग-अलग उद्योगों से जुड़े उद्यमियों का फीडबैक आनलाइन मीटिंग के जरिए लिया जा रहा है। चीन से कई देशों ने आयात बंद कर दिया है, जिसका असर भारत के बाजार पर भी पड़ा है। उद्यमियों की समस्याओं और सुझावों को संकलित कर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के माध्यम से केंद्र सरकार को मांगपत्र सौंपा जाएगा, जिससे उन्हे राहत मिल सके।