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Eid-ul-Azha 2021: आज मनाई जाएगी बकरीद, मस्जिदों में दो बार अदा की जाएगी नमाज

Eid-ul-Azha 2021 कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा बुधवार को मनाया जाएगा। मंगलवार को लोग तैयारियों में जुटे रहे। ईद-उल-अजहा की नमाज बुधवार की सुबह छह से 10.30 बजे तक सभी ईदगाहों व मस्जिदों में पंरपरागत तरीके से अदा की जाएगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 07:50 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 07:50 AM (IST)
Eid-ul-Azha 2021: आज मनाई जाएगी बकरीद, मस्जिदों में दो बार अदा की जाएगी नमाज
ईद-उल-अजहा की नमाज सुबह छह से 10.30 बजे तक सभी ईदगाहों व मस्जिदों में अदा की जाएगी। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा बुधवार को मनाया जाएगा। मंगलवार को लोग तैयारियों में जुटे रहे। ईद-उल-अजहा की नमाज सुबह छह से 10.30 बजे तक सभी ईदगाहों व मस्जिदों में पंरपरागत तरीके से अदा की जाएगी।

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कोविड-19 की गाइडलाइन के तहत मस्जिदों में एक साथ पचास-पचास लोग ही नमाज अदा कर सकेंगे। नमाजियों की भीड़ इकट्ठी होने से रोकने के लिए कई मस्जिदों में एक घंटे के अंतराल पर दो बार अदा की जाएगी। इस सिलसिले में देर शाम मस्जिदों से ऐलान भी किया गया। बारिश से निपटने के लिए भी इंतजाम किए गए हैं।

बाजार में रही रौनक

मंगलवार को बाजार में रौनक दिखाई दी। रेडीमेड कपड़ों के अलावा सेवई, सूखा मेवा और खोआ की जमकर खरीदारी हुई। नखास और जाफरा बाजार में सेवई खरीदने वालों की भीड़ लगी रही। वाराणसी और कानपुर की सेवई 100 से 150 रुपये किलो तो लोकल खोआ 500 रुपये किलो बिका। वहीं देर रात तक कुर्बानी के लिए बकरों की खरीदारी होती रही। खूब मोलभाव भी हुआ।

इस बार महंगाई का असर क़ुर्बानी के जानवरों पर साफ दिखा। नौ हजार से लेकर 45 हजार रुपये तक के बकरे बिके। इलाहीबाग, शाहमारुफ, अस्करगंज, उर्दू बाजार, खूनीपुर, रेती रोड, तुर्कमानपुर, जाहिदाबाद, जाफरा बाजार, उंचवा, गोरखनाथ, रसूलपुर आदि जगहों पर क़ुर्बानी के जानवर का बाजार गुलजार रहा। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में देर रात तक चहल-पहल रही। घरों में लजीज व्यंजनों को बनाने लिए तैयारियां शाम ही से शुरू हो गई।

सादगी से मनाए त्योहार

शाही मस्जिद में कुर्बानी पर चल रहे दर्स (व्याख्यान) के अंतिम दिन मंगलवार को हाफिज आफताब ने कहा कि ईद-उल-अजहा का पर्व सादगी, शांति व उल्लास के साथ मनाएं। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए। खुली जगहों पर कुर्बानी न करें। अपशिष्ट पदार्थ इधर-उधर न फेंके, उन्हें गड्ढे में दबा दें। ईद-उल-अजहा की नमाज से पहले कुछ न खाएं तो बेहतर है। ईदगाह या मस्जिद जाते वक्त तकबीरे तशरीक बुलंद आवाज से कहते हुए एक रास्ते से जाएं और दूसरे रास्ते से वापस आएं।

शांति का संदेश देता है त्योहार

हर त्योहार शांति का संदेश देता है। लिहाजा इसका ख्याल रखें कि हमारे किसी काम से दूसरों को तकलीफ न हो। बंद जगहों पर ही कुर्बानी करें। कुर्बानी का वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर न डालें। साफ-सफाई का खास तौर पर ख्याल रखें। जिन पर क़ुर्बानी वाजिब है वह क़ुर्बानी जरूर कराए। - मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी।

काेविड प्रोटोकाल का करें पालन

क़ुर्बानी इबादत है, इसे खुश दिली से अदा करें। अपशिष्ट पदार्थ व खून नालियों में न बहाकर किसी गड्ढे में दबाकर एक अच्छे मुसलमान और जिम्मेदार नागिरक का फर्ज अदा करें। कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी है, खत्म नहीं हुअा है। इसलिए काेविड प्रोटोकाल का पूरी तरह पालन करें। - मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी।


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