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Eid al-Adha In Gorakhpur: बारिश के बीच अदा 92 मस्‍ज‍िदों में अदा की गई नमाज

Eid al-Adha In Gorakhpur गोरखपुर में हल्की बारिश के बीच ईदगाहों और चुनिंदा मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की गई। हालांकि बारिश के कारण कई जगहों पर लोगों को दिक्कत पेश आई। नमाज के बाद कुर्बानी के मसायल पर उलमा ने रोशनी डाली।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 10:54 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 10:54 AM (IST)
Eid al-Adha In Gorakhpur: बारिश के बीच अदा 92 मस्‍ज‍िदों में अदा की गई नमाज
गोरखपुर में एक मस्‍ज‍िद में नमाज अदा करते नमाजी। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा बुधवार को जोश व खरोश के साथ मनाई गई। हल्की बारिश के बीच ईदगाहों और चुनिंदा मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की गई। हालांकि बारिश के कारण कई जगहों पर लोगों को दिक्कत पेश आई। नमाज के बाद कुर्बानी के मसायल यानि उसके नियम और सावधानियों व उसके मकसद पर उलमा ने रोशनी डाली। नमाजियों की भीड़ को देखते हुए कई मस्जिदों में 30 मिनट के अंतराल पर दो बार नमाज हुई। नमाज के बाद अल्लाह की राह में कुर्बानी पेश की गई। कुर्बानी का सिलसिला लगातार तीन दिनों तक चलेगा।

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मुल्क की तरक्की की मांगी दुआ

भोर से ही लोग ईद-उल-अजहा की नमाज की तैयारियों में जुट गए। नये कपड़े पहनकर ईदगाहों और मस्जिदों का रुख किया। चूंकि ईद-उल-अजहा में कुर्बानी की जल्दी होती है, इसलिये मस्जिदों में नमाज अदा करने वालों की तादाद ज्यादा दिखी। बारिश की वजह से ज्यादातर लोगों ने दूर ईदगाह न जाकर अपने घर से नजदीक की मस्जिद में ही नमाज अदा की। इस दौरान बच्चे भी पीछे नहीं रहे, नये-नये कपड़े पहन कर वह भी अपने घरवालों के साथ मस्जिद और ईदगाह पहुंचे। नमाज के बाद लोगों ने कोरोना से निजात, मुल्क की तरक्की और अमनो-अमान की दुआ के लिए हाथ उठाएं।

92 मस्जिदों में नमाज अदा की गई

शाही जामा मस्जिद उर्दू बाजार, मदीना मस्जिद रेती, ईदगाह चिलमापुर, ईदगाह हजरत मुबारक खां शहीद, ईदगाह सेहरा बाले का मैदान, ईदगाह बेनीगंज, ईदगाह इमामबाड़ा इस्टेट, ईदगाह फतेहपुर, ईदगाह रानीडिहा, ईदगाह पुलिस लाइन, गुलशने मदीना मस्जिद जेल बाईपास, अकबरी मस्जिद, जामा मस्जिद रसूलपुर, जामा मस्जिद गोरखनाथ, जामा मस्जिद लतीफनगर, मस्जिद बिछिया पीएसी कैंप, शिया जामा मस्जिद समेत 92 मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की गई। कोरोना की वजह से ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों के बाहर मेले जैसा मंजर नजर नहीं आया। नमाज और कुर्बानी से फुर्सत पाने के बाद दावतों का दौर शुरू हुआ। घरों में मिलने-मिलाने और दावतों का सिलसिला चलता रहा। लोगों ने गोश्त के पकवानों के अलावा लजीज सेवइयां, दहीबड़ा, छोले समेत कई पकवानों का लुत्फ उठाया।

बयां की कुर्बानी की फजीलत

नमाज के पूर्व मस्जिदों और ईदगाहों में इमाम ने ईद-उल-अजहा क्यों मनाते हैं इस पर रोशनी डाली। खास तकरीर में कुर्बानी की फजीलतें (विशेषता) बताई गईं। इस दौरान हजरत इब्राहीम और हजरत इस्माइल से संबंधित उस वाक्ये पर भी रोशनी डाली गयी, जिसकी याद में आज भी अल्लाह की राह में कुर्बानी पेश की जाती है।

समाज और देश के लिए कुर्बानी का जज्बा रखें युवा

नमाज से पूर्व मस्जिदों के ईमाम ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम कुर्बानी का त्योहार ईद-उल-अजहा मना रहे हैं। हम सब नमाज के बाद अपने अपने घरों को पहुंच कर अल्लाह की राह में कुर्बानी पेश करेंगें। आप सब क़ुर्बानी जरूर करें, लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें कि दूसरों को हमारे अमल से किसी तरह की तकलीफ न हो। इसलिए कुर्बानी उन्हीं जानवरों की दें, जिसकी इजाजत हमारे देश व प्रदेश की सरकार देती है। उन जानवरों की कुर्बानी हरगिज न दें, जिससे दूसरे धर्म के मानने वालों की आस्था पर चोट पहुंचती हो। इस बात की इजाजत इस्लाम भी नहीं देता। मुफ्ती वलीउल्लाह ने कहा कि अपने अंदर कुर्बानी का जज्बा पैदा कीजिए। नई पीढ़ी सिर्फ अपने बारे में सोच रही है। युवा अपने अंदर परिवार, समाज और देश के लिए कुर्बानी का जज्बा रखें, तभी देश में भाईचारे की फिजा बनेगी।

सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम

ईद-उल-अजहा को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। सभी ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों के आसपास पुलिस फोर्स तैनात की गई थी। प्रशासन ने एक दर्जन से ज्यादा अधिकारियों की ड्यूटी लगाई थी। नगर निगम की टीम भी मुस्तैद दिखी।


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