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सोहगीबरवा में जल्द मिलेगा इको टूरिज्म का लुत्फ, सात करोड़ का प्रस्‍ताव

सोहगीबरवा को ईको टूरिज्म के तहत विकसित करने की दिशा में बीते तीन वर्षों से प्रयास चल रहा है। इसे लेकर पर्यटन विभाग ने वन विभाग से प्रस्ताव मांगा था। वन विभाग की ओर से अभयारण्य के सभी चार रेंज के लिए प्रस्ताव बना है।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Tue, 16 Feb 2021 05:30 PM (IST)Updated: Tue, 16 Feb 2021 05:30 PM (IST)
सोहगीबरवा में जल्द मिलेगा इको टूरिज्म का लुत्फ, सात करोड़ का प्रस्‍ताव
क्षेत्रलीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। पर्यटकों को बहुत जल्द नेपाल की तहलहटी में 425 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सोहगीबरवा वन्य जीव अभयारण्य में इको टूरिज्म का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा। इस अभयारण्य को इको टूरिज्म क्षेत्र के रूप में विकसित की राह में आने वाली हर अड़चन समाप्त हो गई है। इसके लिए अंतिम रूप से छह करोड़ 86 लाख का प्रस्ताव बनवाकर पर्यटन विभाग की ओर से शासन को भेज दिया गया है। प्रदेश के बजट इसके लिए धनराशि के प्रावधान की उम्मीद पुख्ता होती दिखने लगी है।

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सोहगीबरवा को ईको टूरिज्म के तहत विकसित करने की दिशा में बीते तीन वर्षों से प्रयास चल रहा है। इसे लेकर जब कवायद शुरू हुई तो पर्यटन विभाग ने वन विभाग से प्रस्ताव मांगा था। वन विभाग की ओर अभयारण्य के सभी चार रेंज (लक्ष्मीपुर, पकड़ी, निचलौल और दक्षिणी रेंज) के लिए अलग-अलग प्रस्ताव बनाया और उसे इको टूरिज्म के रूप में विकसित  करने के लिए आवश्यकता बताई। प्रस्ताव पर्यटन विभाग के मानक के अनुसार नहीं था, इसलिए विभाग ने कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस से फिर से प्रस्ताव तैयार करने का निर्णय लिया। कोरोना काल के चलते यह कार्य लंबे समय तक बाधित रहा लेकिन जैसे ही इसका प्रभाव कम हुआ एक बार इसे लेकर तेजी आ गई। वन विभाग के साथ मिलकर कार्यदायी संस्था ने छह करोड़ 86 लाख का नया प्रस्ताव तैयार कर लिया, जिसे पर्यटन विभाग ने बीते दिन शासन को भेज दिया। ऐसे में इस योजना के अंजाम तक पहुंचने की उम्मीद जग गई है।

सोहगीबरवा अभयारण्य की यह है खूबी

यह अभयारण्य  भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी और महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर दोनों के बीच है। पर्यटक जब कुशीनगर से लुंबिनी या लुंबिनी से कुशीनगर जाएंगे तो इसका प्राकृतिक वातावरण उन्हेंं वहां कुछ दिन ठहरने के लिए मजबूर करेगा। सोहगीबरवा जैव विविधता के मशहूर है। दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतु और प्राकृतिक वनस्पतियां यहां मौजूद हैं। शेर और तेंदुओं की मौजूदगी से इसकी महत्ता राष्ट्रव्यापी है। इसी खासियत के चलते 1984 में सोहगीबरवा को अभ्यारण्य का दर्जा दिया गया।

इको टूरिज्म के लिए इन कार्यों का है प्रस्ताव

लक्ष्मीपुर, पकड़ी, निचलौल और दक्षिणी रेंज के रेस्ट हाउस का जीर्णोद्धार।

सभी रेंज में नाश्ते और भोजन के इंतजाम के लिए कैंटीन।

जंगली जानवरों के दिखने की संभावना वाले स्पाट का सुंदरीकरण।

जोखिम वाले स्थानों पर खतरनाक जानवरों से बचने का इंतजाम।

स्थान-स्थान पर सोलर लाइट का इंतजाम।

नये सिरे से प्रस्‍ताव तैयार

क्षेत्रलीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र का कहना है कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप सोहगीबरवा अभयारण्य को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करने लिए नए सिरे से पुख्ता प्रस्ताव तैयार किया गया है। बहुत जल्द प्रस्ताव के स्वीकृत होने की उम्मीद है। प्रस्ताव स्वीकृत होते ही इसे लेकर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।


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