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Coronavirus: फंसा सोहगीबरवा का इको टूरिज्म का विकास Gorakhpur News

425 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सोहगीबरवा अभ्यारण्य को ईको टूरिज्म के तहत विकसित करने की कवायद दो वर्ष पहले से चल रही है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 02:19 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 02:19 PM (IST)
Coronavirus: फंसा सोहगीबरवा का इको टूरिज्म का विकास Gorakhpur News
Coronavirus: फंसा सोहगीबरवा का इको टूरिज्म का विकास Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। महाराजगंज के सोहगीबरवा वन्य जीवन अभ्यारण्य में इको टूरिज्म विकसित करने की पर्यटन विभाग की योजना पर कोरोना का ग्रहण लग गया है। शासन ने इसके लिए प्रस्ताव बनाने का दायरा निश्चित कर दिया है। कोरोना संक्रमण की वजह से आई वित्तीय दिक्कत का हवाला देते हुए शासन ने इसके लिए महज एक करोड़ में प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। क्षेत्रीय पर्यटन विभाग अब नए निर्देश के दायरे में प्रस्ताव तैयार कराने की योजना बना रहा है।

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425 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सोहगीबरवा अभ्यारण्य को ईको टूरिज्म के तहत विकसित करने की कवायद दो वर्ष पहले से चल रही है। पर्यटन विभाग ने वन विभाग से भी प्रस्ताव मांगा था। वन विभाग ने अभ्यारण्य के सभी चार रेंज (लक्ष्मीपुर, पकड़ी, निचलौल और दक्षिणी रेंज) के लिए अलग-अलग प्रस्ताव बनाया और उसे पयर्टक स्थल के रूप में विकसित करने लिए सात करोड़ 92 लाख रुपये की जरूरत बताई। प्रस्ताव में बहुत ऐसे कार्यों का जिक्र था, जो पर्यटन विभाग के दायरे में नहीं आते। ऐसे में विभाग ने इसका प्रस्ताव नए सिरे से बनाने की योजना बनायी। अभी इसे लेकर तैयारी चल ही रही थी कि एक करोड़ के अंदर ही प्रस्ताव तैयार कराने का शासन का नया निर्देश आ गया। विभाग ने नए निर्देश की जानकारी शासन की ओर से निर्धारित कार्यदायी संस्था कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज (सीएंडडीएस) को दे दी है। अब संस्था इसे लेकर असमंजस में है कि वह महज एक करोड़ में इतने बड़े अभ्यारण्य को पर्यटन की ²ष्टि से विकसित करने का प्रस्ताव कैसे तैयार करे।

इसलिए बनी इको टूरिज्म की योजना

सोहगीबरवा अभ्यारण्य जैव विविधता का हब है। यहां दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतु और प्राकृतिक वनस्पतियां मौजूद हैं। चूंकि वहां से भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी और महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर दोनों पास हैं, जिसे लेकर उस क्षेत्र से पर्यटकों के आने-जाने का सिलसिला निरंतर बना रहता है। इसके अलावा नेपाल घूमने जाने के लिए भी बड़ी संख्या में पर्यटक अभ्यारण्य के पास तक पहुंचते हैं। गोरखपुर के क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र का कहना है कि शासन के निर्देश के मुताबिक निर्धारित धनराशि के दायरे में प्रस्ताव तैयार करने के लिए कार्यदायी संस्था को कहा गया है। कोशिश होगी कम से कम धनराशि में अधिक से अधिक कार्य कराया जा सके।


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