UP Bord: लापरवाही की भेंट चढ़ी आनलाइन पढ़ाई, 38 फीसद शिक्षकों ने ही बनाया है वाट्सएप ग्रुप
आनलाइन पठन-पाठन का संचालन हुए पंद्रह दिन से अधिक हो गए लेकिन गोरखपुर में अभी तक 38 फीसद शिक्षकों ने ही वाट्सएप ग्रुप बनाया है। जिससे 42 फीसद विद्यार्थी जुड़कर पढ़ाई कर रहे हैं। जिले के 485 स्कूलों में से अब तक 382 ने ही समय सारणी तैयार की है।
गोरखपुर, जेएनएन। जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में आनलाइन पढ़ाई स्कूलों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। शासन के निर्देश पर आनलाइन पठन-पाठन का संचालन हुए पंद्रह दिन से अधिक हो गए, लेकिन अभी तक 38 फीसद शिक्षकों ने ही वाट्सएप ग्रुप बनाया है। जिससे 42 फीसद विद्यार्थी जुड़कर पढ़ाई कर रहे हैं। रही बात समय सारिणी की तो जिले के 485 स्कूलों में से अब तक 382 ने ही समय सारणी तैयार की है। डीआइओएस ने यूपी बोर्ड को इसकी रिपोर्ट भेज दी है।
डीआइओएस ने यूपी बोर्ड भेजी रिपोर्ट
कोरोना के कारण सभी स्कूल बंद चल रहे हैं। विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए आनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रहीं हैं। शासन के निर्देश पर कक्षाओं का संचालन गत 20 मई से नियमित किया जा रहा है। मानीटरिंग की जिम्मेदारी डीआइओएस व संयुक्त शिक्षा निदेशक को सौंपी गई है। इसके अलावा प्रत्येक दस विद्यालय पर एक नोडल अधिकारी की भी तैनाती की गई। बावजूद इसके जिले में स्कूल आनलाइन कक्षाओं के संचालन में रुचि नहीं ले रहे हैं।
जनपद के जिन स्कूलों के शिक्षकों ने अभी तक वाट्सएप ग्रुप बनाकर आनलाइन पढ़ाई शुरू नहीं की है उन स्कूलों के प्रधानाचार्यों व नोडल अधिकारियों को जल्द से जल्द से पठन-पाठन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है। जिले में 6495 में से महज 2468 शिक्षकों ने ही वाट्सएप ग्रुप बनाया है। बोर्ड के निर्देश पर आनलाइन पढ़ाई की साप्ताहिक समीक्षा की जा रही है। इसको लेकर शिथिलता क्षम्य नहीं होगी और संबंधित के विरुद्ध नियमानुसार विभागीय कार्रवाई की जाएगी। - आरएन भारती, प्रभारी, डीआइओएस
फेल होने के बाद मिलेगा पास होने का मौका
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में अब किसी भी विद्यार्थी को फेल होने पर क्लास करने और फिर से फाइल बनाने व मौखिक परीक्षा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फीस के तौर पर एक हजार रुपये की निर्धारित धनराशि उन्हें जमा करनी होगी, उसके बाद उनके लिए कैरी ओवर परीक्षा का आयोजन होगा। इसके अलावा बीटेक प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए कौशल विकास की कक्षाओं और प्रैक्टिकल की व्यवस्था की जाएगी। ताकि यदि छात्र प्रथम वर्ष के बाद भी पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे बेरोजगारी का दंश न झेलना पड़े।