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यूपी के इस ज‍िले में खेतों में ड्रोन से हो रहा नैनो यूरिया का छिड़काव

केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय ने सिद्धाार्थनगर जिले के पिंक विलेज हसुड़ी औसानपुर गांव में चार जनवरी को ड्राेन से खेतों में नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन किया। मंत्रालय के अपर सचिव सचिन कुमार के साथ उर्वरक निर्माता कंपनी इफ्को के अधिकारी मौजूद रहे।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Tue, 04 Jan 2022 01:30 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jan 2022 01:30 PM (IST)
यूपी के इस ज‍िले में खेतों में ड्रोन से हो रहा नैनो यूरिया का छिड़काव
ड्रोन से खेत में हो रहा नैनो यूरिया का छिड़काव। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय ने सिद्धाार्थनगर जिले के पिंक विलेज हसुड़ी औसानपुर गांव में चार जनवरी को ड्राेन से खेतों में नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन किया। मंत्रालय के अपर सचिव सचिन कुमार के साथ उर्वरक निर्माता कंपनी इफ्को के अधिकारी मौजूद रहे।

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हसुड़ी औसानपुर को प्रदेश के प्रथम तकनीक से परिपूर्ण गांव होने प्राप्‍त है गौरव

हसुड़ी औसानपुर को प्रदेश के प्रथम तकनीक से परिपूर्ण गांव होने का गौरव भी प्राप्त हुआ है। ग्रामीणों की संगोष्ठी भी हुई। किसानों को उन्नत व वैज्ञानिक विधि से खेती करने के गुर बताए। ग्राम पंचायत में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षु आइएएस के दल ने भी इस तकनीकी को नजदीक से देखा और जानकारी प्राप्त की। ग्राम पंचायत में नीम के पौधे रोपित किए।

उर्वरक मंत्रालयने गांव के किसानों को तकनीकी खेती करने प्रशिक्षण देने का लिया है फैसला

केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय के अपर सचिव ने कहा शासन ने कृषि क्षेत्र में किसानों को तकनीकी खेती के लिए प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। इस विधि से कई देश में खेती की जा रही है। समय से व सही मात्रा में उर्वरक का प्रयोग किया जाएगा। मंत्रालय ने कृषि के क्षेत्र में परस्पर बढ़ रहे वैज्ञानिक तकनीक को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस गांव को चयनित किया है। प्रगतिशील किसान आय को दोगुनी करने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल करें।

ड्रोन से उर्वरक के छिड़काव करने पर खर्च में आएगी कमी

इस विधि से उर्वरक पर होने वाले अधिक खर्च से बचा जा सकता है। फसल के प्रत्येक पौधों को उनकी खुराक मिलती है। बेवजह अधिक मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करने से क्षीण हो रही भूमि की उर्वरा क्षमता को भी रोका जा सकता है। इफको के क्षेत्र प्रतिनिधि अरविंद प्रताप ने कहा कि सामान्य यूरिया के अंधाधुंध प्रयोग से खेत बंजर होते जा रहे हैं। खेत में कार्बनिक पदार्थों की कमी हो रहा है। मृदा व जल प्रदूषण बढ़ रहा है। इस कारण से फसल में अनावश्यक रूप से असमानता बढ़ती जा रही है। इसका परिणाम यह है कि फसल उत्पादन गिर रहा है। किसान को आर्थिक हानि का सामना भी करना पड़ता है।

दस फीसद सस्‍ता है नैनो यूरिया

नैनो यूरिया के प्रयोग से किसानों की लागत कम होगी, यह यूरिया बोरी से दस फीसद सस्ता है। इसका प्रयोग करने से करीब इतना ही फीसद उत्पादन में बढ़ोत्तरी भी होती है। यह सभी प्रकार के प्रदूषण से मुक्त है। सरकार की सब्सिडी पर व्यय होने वाली राशि बचती है। संचालन ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी ने किया। प्रशिक्षु आइएएस प्रसनजीत, हेमंत कलाल, कुलकर्णी श्रीकांत माधव, प्रदीप के, टी प्रतीक राव, योगेश मंधाविया, दिल्ली से इफको के डा. शंकर गोयनका, क्षेत्र प्रबंधक बस्ती जियाउद्दीन सिद्दीकी, अरविंद प्रताप, डा. प्रदीप कुमार, डा. शेष नारायण, डा. एसके मिश्रा, डा. वी मार्कंडेय सिंह, आदि मौजूद रहे।


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