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किसी की मौत पर ब्रह्मभोज में पहुंच जाते हैं डा. प्रवीण, लगवाते हैं एक पौधा

डा. प्रवीण त्रिपाठी ने पर्यावरण को बचाने के लिए एक सामाजिक आंदोलन खड़ा कर दिया है। किसी की मौत होने पर वह ब्रह्मभोज में पहुंचकर मृतक की स्मृति में परिवार के किसी सदस्य से एक पौधा लगवाते हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 07:10 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 07:10 PM (IST)
किसी की मौत पर ब्रह्मभोज में पहुंच जाते हैं डा. प्रवीण, लगवाते हैं एक पौधा
ब्रह्मभोज में जाकर पौधा लगवाते हैं डा. प्रवीण। प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : एक अनोखी पहल के जरिये शिक्षक डा. प्रवीण त्रिपाठी ने पर्यावरण को बचाने के लिए एक सामाजिक आंदोलन खड़ा कर दिया है। किसी की मौत होने पर वह ब्रह्मभोज में पहुंचकर मृतक की स्मृति में परिवार के किसी सदस्य से एक पौधा लगवाते हैं। इसकी देखभाल ऐसे की जाती है, जैसे वह परिवार का हिस्सा हो। जिले के दक्षिणांचल में उनका यह प्रयास अब रंग लाने लगा है। पौधारोपण अब ब्रह्मभोज का हिस्सा बनता जा रहा है।

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तीन साल पहले डा. प्रवीण ने 'आंसू पोंछो, वृक्ष लगाओ' अभियान की शुरुआत की

गोला के मन्नीपुर गांव निवासी व क्षेत्र के वीएसएवी इंटर कालेज में शिक्षक डा. प्रवीण ने 'आंसू पोंछो, वृक्ष लगाओ' अभियान की शुरुआत तीन साल पहले की।

डा. प्रवीण की मेहनत देख तेजी से जुड़ने लगे लोग

पर्यावरण संरक्षण के लिए शुरू किए गए इस अभियान के प्रति उनकी दीवानगी व मेहनत देख स्थानीय लोग तेजी से जुड़ने लगे। पहले जब वह पौधा लेकर किसी घर जाते तो लोग रुचि नहीं लेते थे, लेकिन अपने धुन के पक्के डा. प्रवीण हतोत्साहित नहीं हुए। अभियान को आगे बढ़ाने के लिए कर्मकांडी विद्वानों व आचार्यो से मिले और पौधारोपण को कर्मकांड में शामिल करने का अनुरोध किया। इसके बाद अभियान ने गति पकड़ी।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को करते हैं जागरूक

पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वह विद्यालय, चौराहा, श्मशान घाट पर स्वजन की याद में पौधारोपण करने के लिए दीवार पर पेंटिंग कराने के साथ ही पोस्टर लगवाते हैं। अब गांव-गांव में छात्र, शिक्षक व पढ़े-लिखे लोग इसमें रूचि लेने लगे हैं। क्षेत्र में मृतक की याद में पौधारोपण सामान्य रस्म बनता जा रहा है। डा. प्रवीण कहते हैं कि अब तक दिवंगत की याद में 1500 से अधिक पौधे लगवा चुके हैं। उनका अभियान पौधारोपण के साथ ही पौधे के संरक्षण पर भी होता है, जिससे क्षेत्र हरा-भरा हो सके।


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