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कोरोना संक्रमण काल में दूर रहकर फर्ज निभाते रहे डाक्टर दंपती, अब साथ-साथ

कोरोना संक्रमण के दौर में डा. एवी त्रिपाठी महराजगंज जिला अस्पताल जबकि उनकी पत्नी डा. अनिता त्रिपाठी सिद्धार्थनगर में मरीजों की सेवा में जुटी रहीं। इस दरम्यान दो माह तक उनके बच्चे लवी व आद्रिक अपने नाना-नानी के पास बांसी में रहे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Jul 2021 06:10 AM (IST)Updated: Thu, 01 Jul 2021 06:10 AM (IST)
कोरोना संक्रमण काल में दूर रहकर फर्ज निभाते रहे डाक्टर दंपती, अब साथ-साथ
कोरोना संक्रमण काल में दूर रहकर फर्ज निभाते रहे डाक्टर दंपती, अब साथ-साथ

महराजगंज: कोरोना महामारी का प्रभाव वर्तमान व भविष्य दोनों पर पड़ रहा है। वर्तमान जिसकी विभीषिका लोग झेल रहे हैं, वहीं इसकी आंच मनुष्य के भविष्य पर भी पड़ रहा है। लेकिन इन तमाम अंधियारे के बीच ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने कर्म और धर्म को फर्ज का शक्ल दिया है। कोरोना योद्धा की जब भी चर्चा होगी तो चिकित्सक दंपती डा. एवी त्रिपाठी और डा. अनिता त्रिपाठी जैसे शख्सियत का जिक्र जरूर होगा। कोरोना जैसी इन आंधी से जूझते हुए यह दंपती बच्चों से दो माह दूर रहकर मरीजों की सेवा में जुटे रहे।

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कोरोना वायरस को लेकर जब सबको अपनी जान की फिक्र पड़ी थी, तो यह दंपती अपने दो बच्चों (चार वर्ष और पांच वर्ष) को नाना-नानी के पास बांसी छोड़कर अलग-अलग जनपद में डाक्टर का फर्ज निभाते रहे। एक चिकित्सक की तौर पर वह जो कर रहे हैं, वह मिसाल बन गया है। कोरोना संक्रमण के दौर में डा. एवी त्रिपाठी महराजगंज जिला अस्पताल, जबकि उनकी पत्नी डा. अनिता त्रिपाठी सिद्धार्थनगर में मरीजों की सेवा में जुटी रहीं। इस दरम्यान दो माह तक उनके बच्चे लवी व आद्रिक अपने नाना-नानी के पास बांसी में रहे। डा. एवी त्रिपाठी ने बताया कि दो माह बाद जून के प्रथम सप्ताह में परिवार एक साथ हुआ, तो बच्चे काफी आनंदित महसूस किए। पिछले बार भी कोरोना में यह दंपती पांच माह तक बच्चों से दूर रहकर मरीजों की सेवा करते रहें। निगाहों में ममता, हृदय में समाज का दर्द

जिला अस्पताल के डा. प्रमोद कुमार ने कोरोना काल में अपनी महती भूमिका निभाई है। इनके फर्ज के आगे कोरोना का डर हार गया है। वह कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए निष्ठा से अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहे। कोविड हास्पिटल में करीब एक माह तक ड्यूटी के दौरान वह परिवार और बच्चों से दूर रहे। अपनी कुशलता से उन्होंने 180 मरीजों की जान बचाई है। उन्होंने कहा कि निगाहों में बच्चों और परिवार की ममता थी, लेकिन हृदय में समाज का दर्द भी था। इसलिए एक छत के नीचे रहते हुए स्वजन से दूरी बनाकर रहा और कोरोना मरीजों की सेवा करता रहा। आक्सीजन के लिए रतजगा करते रहे सीएमएस

जब जिला आक्सीजन की किल्लत से जूझ रहा था, उस समय मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एके राय इसकी व्यवस्था के लिए रतजगा कर रहे थे। मरीजों की तड़प और तीमारदारों की बेचैनी उन्होंने बड़े नजदीक से महसूस किया। जिसके कारण वह दिन-रात एक करके आक्सीजन की लिए गाड़ी भेजते और आक्सीजन प्राप्त होने पर उसे उतरवाते थे। साथ ही मरीजों को आक्सीजन उपलब्ध कराते थे, ताकि इसके अभाव में किसी की जान न जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल सभी के लिए बहुत ही दुखदायी रहा। लेकिन अब जिले में आक्सीजन की दिक्कत नहीं रहेगी। जिला अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लग गया है। खुद की चिता किए बगैर कोरोना संक्रमित की सेवा करते रहे डाक्टर

हृद्ग2ह्यबहुत से डाक्टर ऐसे भी हैं जो न केवल अस्पताल के भीतर बल्कि उसके बाहर भी समाज की सेवा कर रहे हैं। कुछ इलाज सहित फ्री दवाएं बांट रहे हैं, तो कुछ समाज में सेहत के प्रति लोगों में जागरूकता फैला रहे हैं। रतनपुर चिकित्साधिकारी डा. अमित राव गौतम फरवरी 2020 से भारत-नेपाल सीमा पर लगाए गए जांच शिविर से आज तक अपनी सेवा देते आ रहे हैं। इस बीच वह कोरोना की चपेट में आए, उसके बाद भी हिम्मत नहीं हारे। खुद की चिता किए बगैर सेवा ही लक्ष्य के बल पर मरीजों की सेवा करते रहे। इस बीच कुछ डाक्टर व स्टाफ भी संक्रमित हो गए, फिर भी जनता की सेवा का जज्बा कम नहीं हुआ। उन्होंने बताया उनका उद्देश्य एक मात्र लोगों की सेवा करना है। कोरोना महामारी से जंग जीतने के लिए टीम पूरी मेहनत के साथ लगी हुई है। इस बार भी डाक्टर्स डे मरीजों की देखभाल करते हुए निकलेगा।्र नौतनवा सीएचसी पर तैनात डा. राजीव शर्मा कोरोना काल में स्वजन की चिता किए बगैर लोगों की सेवा में लगे रहे। बीते वर्ष नौतनवा नगर में बनाए गए क्वांरटाइन सेंटर पर ठहरे नेपाली नागरिकों की सेवा में लगे रहे। जबकि उस दौरान उनके बीच जल्दी कोई जाना नहीं चाहता था। बावजूद देखभाल करते रहे। वैसे आज भी लोगों की सेवा करने का जज्बा कम नहीं हुआ। वह टीकाकरण को लेकर गंभीर हैं, शिविर में टीकाकरण कराने के लिए लोगों को जागरूक करते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के कारण सब कुछ बदल गया। ऐसी बीमारी, जिसकी पहले दवा नहीं थी। लेकिन वर्तमान में युद्ध स्तर पर टीकाकरण चल रहा है। ऐसे में उम्मीद जगी है कि एक न एक दिन वायरस खत्म हो जाएगा। कोरोना महामारी से जंग जीती जा सकेगी। बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। बस, एहतियात बरतकर इसे हरा सकते हैं। डाक्टरों का एक मकसद संक्रमितों की सेवा है। इस बार का डाक्टर्स डे जनता की सेवा में समर्पित रहेगा। कोरोना काल में सेवा की मिसाल बनीं डा. अंजली सिंह

चिकित्सक को धरती का भगवान कहकर पुकारा जाता है। जिस पर विश्वास कर लोग स्वयं को समर्पित कर देते हैं। उसी तरह का समर्पण चिकित्सक भी अपने मरीजों के प्रति रखते हैं। जिसके लिए वह अपने स्वजन व बच्चों की ममता को त्याग समाज सेवा में जुटे रहते हैं। ऐसा ही एक त्याग करने वाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र निचलौल के महिला चिकित्सालय की डा. अंजली सिंह हैं। उन्होंने कोरोना काल के शुरुआती दिनों से ही लोगों के बीच रहकर उनकी जांच व इलाज किया। इस दौरान वह अपने दोनों बच्चों से दूर रहीं। कुशीनगर जिला के ग्राम सखुअनिया निवासी डा. अंजली सिंह ने बताया कि उनकी निचलौल सीएचसी में नियुक्ति अगस्त 2017 में हुई थी। इसके बाद से ही वह निचलौल महिला चिकित्सालय में कार्य कर रही हैं। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद जनवरी माह में ही उनकी ड्यूटी भारत-नेपाल सीमा पर लगाई गई थी। जहां उन्होंने एक वर्ष ड्यूटी किया। उन्होंने बताया कि उनके पति का देहांत एक दुर्घटना में वर्ष 2009 में ही हो गया। इसके बाद दोनों संतान तान्या व रणवीर सिंह की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर है, लेकिन कोरोना ड्यूटी के दौरान व अपनी ममता भूलकर लोगों की सेवा में लगी रहीं। इस दौरान वह इमरजेंसी में महिलाओं को फोन से सलाह व इलाज भी करती रहीं। अब ओपीडी शुरू होने के बाद अस्पताल में महिलाओं के इलाज में जुटी हुई हैं।


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