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Gorakhpur Gram Panchayat By-election: नहीं डिगा विश्वास, मृत प्रधानों के स्वजन के सिर ही सजा ताज

Gorakhpur Gram Panchayat By-election चुनाव जीतने के बाद मृत ग्राम प्रधानों के परिजनों पर लोगों ने एक बार फिर विश्वास जताया है। प्रधानों की मौत के बाद रिक्त पदों पर हुए उपचुनाव में उन्हीं मृत प्रधानों के स्वजन के सिर पर ही ताज सजा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 07:30 AM (IST)
Gorakhpur Gram Panchayat By-election: नहीं डिगा विश्वास, मृत प्रधानों के स्वजन के सिर ही सजा ताज
पंचायत उप चुनाव में लोगों ने अपने पुराने ग्राम प्रधान पर ही विश्वास जताया है। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जेएनएन। पंचायत सामान्य निर्वाचन में जनता का विश्वास हासिल कर प्रधान बनने वाले सात प्रत्याशी असमय निधन के कारण भले ही विकास के सपने को पूरा न कर पाए हों लेकिन उनके निधन के बाद भी गांव के लोगों का विश्वास उनके परिवार से डिगा नहीं था। रिक्त पदों पर हुए उपचुनाव में उन्हीं मृत प्रधानों के स्वजन के सिर पर ही ताज सजा है। किसी की पत्नी चुनाव जीती हैं तो किसे के बेटा-बेटी। निर्वाचन के बाद इन प्रधानों ने अपने दिवंगत स्वजन के सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया है।

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छह ग्राम पंचायतों में प्रधान पद पर हुए चुनाव में म़ृत प्रधानों की पत्नी या बेटे को मिली जीत

सरदारनगर के ग्राम पंचायत बरईपार की सीट पर इस बार 21 वर्षीय कंचन यादव निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं। ओबीसी महिला की यह सीट उनकी माता के निधन के बाद खाली हुई थी। इसी तरह बड़हलगंज ब्लाक के बेईली गांव से सामन्य निर्वाचन में प्रधान चुने गए राजेश यादव का भी शपथ ग्रहण से पहले ही निधन हो गया था। उनकी सीट पर उनके पुत्र रणविजय उर्फ पंकज यादव ने 1121 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्होंने हरिलाल को हराया। इसी ब्लाक के जैतपुर गांव में पवन साहनी ने सामान्य निर्वाचन में जीत हासिल की थी लेकिन वह जिंदगी की जंग हार गए थे। उपचुनाव में उनकी पत्नी सरिता देवी मैदान में थीं और उन्होंने प्रतिद्वंद्वी अविनाश को हराया। सरिता को 289 वोट मिले।

यहां भी परिजनों पर जताया विश्वास

भटहट क्षेत्र के परफार्मेंस ग्रांट वाले गांव जंगल हरपुर में भुआल सामान्य निर्वाचन में प्रधान चुने गए थे लेकिन परिणाम से पहले ही उनका निधन हो गया था। इस बार उनकी पत्नी कुसुमावती देवी मैदान में थीं। सामने चार प्रतिद्वंद्वी थे लेकिन वह 283 मतों से चुनाव जीत गईं। भुआल को 63 वोटों से ही जीत मिली थी। जंगल कौड़िया के अहिरौली गांव में इंद्रा देवी प्रधान चुनी गई थीं। इस बार उनके पुत्र अभय यादव पर जनता ने भरोसा जताया और उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नीलम को 583 मतों के अंतर से हराया।

पिपराइच के बरईपुर ग्राम पंचायत से सामान्य निर्वाचन में प्रधान चुने गए सुरेश प्रसाद को कोरोना को गया था। उन्होंने कोरोना वार्ड से ही शपथ भी ली थी लेकिन दो जून को उनका निधन हो गया। उपचुनाव में उनकी पत्नी जग्गी देवी मैदान में थीं। उन्होंने नर्वदा देवी को 304 मतों से हराकर जीत हासिल की।

पिपरौली ब्लाक के मिश्रौलिया ग्राम पंचायत पर सबकी नजर थी। यहां मतदान से एक दिन पहले ही प्रत्याशी राघवेंद्र दुबे उर्फ गिलगिल दुबे को उनके प्रतिद्वंद्वी ने गोली मार दी थी। मतदान संपन्न होने के बाद इलाज के दौरान राघवेंद्र की मौत हो गई। परिणाम आया तो वह 296 मतों से चुनाव जीत गए थे। उपचुनाव में उनकी पत्नी विभा दुबे मैदान में थीं। हत्यारोपित तो इस बार मैदान में नहीं था लेकिन विनय स्वरूप मिश्रा ने ताल ठोंकी थी। पर, गांव के लोगों ने विभा को 469 मतों से जीत दिलाकर इस परिवार पर भरोसा कायम रखा।


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