गोरखपुर, जेएनएन। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में अब संपन्न और गरीब का मामला उठने लगा है। भेदभाव दूर करने के लिए दलित आरक्षण में क्रीमीलेयर की व्यवस्था बनाने की मांग की जाने लगी है। संपन्न एससी-एसटी के परिवार को आरक्षण का लाभ न देने की मांग राष्ट्रपति से की गई है।
राष्ट्रपति को भेजा पत्र
अखिल भारतीय अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यक संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने डीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर हर साल अनुसूचित जाति व जनजाति के परिवारों का सर्वेक्षण कराने की मांग की है। संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. लालचंद्र प्रसाद जाटव ने कहा कि एक बार सांसद और दो बार विधायक हो चुके एससी-एसटी वर्ग के नेताओं का सुरक्षित सीट से चुनाव लडऩे का अधिकार समाप्त होना चाहिए।
कुछ लोग बार-बार ले रहे आरक्षण का लाभ
पत्र में लिखा है कि आइएएस, आइपीएस, आइएफएस, पीसीएस, पीसीएस जे, डॉक्टर, इंजीनियर और क्लास वन अफसर के परिवार को भी आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। ऐसा होने से समाज के सबसे निम्न वर्ग को फायदा मिलेगा और वह नौकरी में आकर परिवार का जीवन स्तर सुधारेगा। आरोप लगाया कि जो दलित परिवार आरक्षण का लाभ लेकर संपन्न हो गए हैं वह कमजोरों का ध्यान नहीं रख रहे हैं। यही लोग बार-बार आरक्षण का लाभ ले रहे हैं।
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