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Doctor Advice: ब्लैक फंगस से घबराएं नहीं, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं- ऐसे करें बचाव

लंबे समय तक कोरोना के चलते बीमार रहने शुगर किडनी व कैंसर के मरीजों की तथा स्टेरायड की दवाएं खाने से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसलिए उन्हें ब्लैक फंगस होने की आशंका अधिक है। इसलिए ऐसे मरीज सावधान रहें। विशेष सतर्कता बरतें।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 01:05 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 06:34 PM (IST)
Doctor Advice: ब्लैक फंगस से घबराएं नहीं, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं- ऐसे करें बचाव
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अमित अमित मित्तल। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नही हैं। यह हमारे वातारवण में पहले से मौजूद है। जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हाेती है। वह इससे ग्रसित हो जाता है। लंबे समय तक कोरोना के चलते बीमार रहने, शुगर, किडनी व कैंसर के मरीजों की तथा स्टेरायड की दवाएं खाने से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसलिए उन्हें यह बीमारी होने की आशंका है। इसलिए ऐसे मरीज सावधान रहें। विशेष सतर्कता बरतें। अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की कोशिश करें। इससे घबराने की जरूरत नहीं है।

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यह बातें नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अमित अमित मित्तल ने कही। वह दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम 'हैलो डाक्टर' में फोन पर जनता के सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस की आशंका उन्हें भी है जो ज्यादा दिन से आक्सीजन पर हैं। स्टेरायड की दवाएं बिना डाक्टर के परामर्श के न खाएं। आंखों में लाली या रोशनी कम होने पर तत्काल डाक्टर से परामर्श करें। प्रस्तुत हैं सवाल- जवाब।

सवाल- मैं कोरोना संक्रमित होने के बाद 10 दिन अस्पताल में था। इस समय ब्लैक फंगस की बात सामने आ रही है। बचाव के लिए क्या करें? - इंद्रेश पांडेय, गोरखनाथ

जवाब- भाप लें, गरारा करें। स्टेरायड का प्रयोग डाक्टर की सलाह पर ही करें। शुगर को नियंत्रित रखें।

सवाल- मेरी उम्र 17 साल है। मैं चश्मा उतारना चाहती हूं। - अदिति साहू, खजनी

जवाब- कांटैक्ट लेंस लगाया जा सकता है। अभी कोरोना खत्म होने का इंतजार करें।

सवाल- दाहिनी आंख में मोतियाबिंद हो गया है। धुंधला दिखाई दे रहा है। -छत्रसाल सिंह, गगहा

जवाब- कोरोना खत्म होने के बाद आपरेशन करा लीजिएगा। तब तक कोई लुब्रिकेटिंग आइ ड्राप डालते रहिए।

सवाल- चार साल पहले आंख का आपरेशन हुआ था। अब कीचड़ व पानी आ रहा है। -संदीप कुमार, नेपाल रोड

जवाब- पुन: आपरेशन करना पड़ेगा। तब तक गर्म पानी से सेंकाई करते रहिए और कोई एंटीबायोटिक आई ड्राप डालते रहिए।

सवाल- अक्सर बिलनी निकल जाती है। दवा करने पर ठीक हो जाती है। फिर हो जाती है। -प्रियंका जायसवाल, पादरी बाजार

जवाब- गर्म पानी से सेंकाई करिए। न्यू स्पोरिन मलहल लेकर पलक के अंदर लगाइए।

सवाल- मां कोरोना निगेटिव हो चुकी हैं। लेकिन खाना हजम नहीं हो रहा है। -पूजा त्रिपाठी, रानीबाग

जवाब- जिस डाक्टर की दवा चल रही है, उनसे यह बात बताइए।

इन्होंने भी पूछे सवाल

हरपुर बुदहट से शैलेश साहू, सौरभ साहू, छात्रसंघ चौराहा से शालिनी पांडेय, बरगदवां से अमरेश श्रीवास्तव, उनवल से आयुष कुमार, खजनी से गौरव सिंह, कूरी बाजार से चंद्र प्रकाश, खोराबार से रतन जायसवाल, अलीनगर से राकेश जायसवाल, कूड़ाघाट से सुमन देवी, रुस्तमपुर से अमित तिवारी, बशारतपुर से प्रवीन कुमार, शिवपुर सहबाजगंज से रजनीकांत पांडेय, छोटे काजीपुर से एससी श्रीवास्तव व नंदा नगर से एचएन सिंह ने भी सवाल पूछे।

कुछ महत्वपूर्ण सवाल

सवाल- मास्क के ऊपरी हिस्से में प्लास्टिक या मेटल का एक तार होता है। जिसे मास्क पहनने पर नाक के दोनों तरफ दबा दिया जाता है। इसकी वजह से जो सांस हम छोड़ते हैं, वह आंखों में जाती है। इससे आंखों को क्या नुकसान हो सकता है?

जवाब- आंखों में सूखापन बढ़ सकता है। इसके लिए लुब्रिकेटिंग आई ड्राप डाला जा सकता है।

सवाल- जिस मरीज को आक्सीजन पर रखा जाता है, उसमें भी फेस मास्क का उपयोग किया जाता है। ऐसे में आक्सीजन भी आंखों तक जाने की आशंका रहती है। क्या आक्सीजन भी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है?

जवाब- आक्सीजन से आंखों को नुकसान नहीं होता। हमारी आंखें खुली होती हैं और प्राकृतिक आक्सीजन उनमें जाता ही रहता है। लेकिन जब मरीज को कृत्रिम आक्सीजन दिया जाता है तो सिलेंडर के साथ एक अटैचमेंट जोड़ा जाता है, उसमें फेस मास्क और एक चैंबर होता है। चैंबर में डिस्टिल वाटर डाला जाता है। वह पानी यदि पुराना है तो आक्सीजन के जरिये आंखों में संक्रमण पहुंच सकता है। वह पानी नियमित बदलते रहना चाहिए।

ब्लैक फंगस के लक्षण

नाक से पानी आना, सिर दर्द, चेहरे व आंखों में सूजन, दांत में दर्द, आंख की रोशनी अचानक कम होना, एक चीज दो दिखाई देना।

बचाव

रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करें। शुगर नियंत्रित रखें। कृत्रिम आक्सीजन ले रहे हैं तो पानी नियमित बदलते रहें, ताकि उसमें फंगस विकसित न होने पाए। नियमित रूप से भाप लें। डाक्टर की सलाह पर ही स्टेरायड दवाओं का सेवन करें।


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