Coronavirus: रहते हैं संक्रमितों के बीच और पॉजिटिव भी नहीं हुए, जानें-ऐसे योद्धाओं की कहानी Gorakhpur News
जिले के कई स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मी संक्रमितों के बीच जाकर भी उससे बचे रहे। इनमें कई ऐसे हैं जो मार्च से ही कोरोना मरीजों व संदिग्धों के बीच काम कर रहे हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना से डरने की नहीं, बचाव करने की जरूरत है। जिले के कई स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मी संक्रमितों के बीच जाकर भी उससे बचे रहे। इनमें कई ऐसे हैं जो मार्च से ही कोरोना मरीजों व संदिग्धों के बीच काम कर रहे हैं। बार-बार उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। इसका मूल कारण, उन्होंने सुरक्षा के सभी उपाय अपनाए और पूरी सतर्कता बरती।
कार्यस्थल के साथ घर पर भी सतर्कता जरूरी
रैपिड रेस्पांस टीम (आरआरटी) के प्रभारी एसीएमओ डॉ.एसएन त्रिपाठी की एंटीजन और रीयल टाइम पालिमर चेन रियेक्शन (आरटीपीसीआर) से जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है, जबकि वह होम आइसोलेशन वाले मरीजों के घर नियमित जाते हैं। मरीजों से दो गज की दूरी से बात करते हैं। उनका कहना है कि कार्यस्थल के साथ-साथ घर पर भी सतर्क रहना बेहद आवश्यक है। चाहे कोई कितना करीबी क्यों न हो, वह सामने आता है, तो सतर्कता नहीं छोडऩी है। मरीजों की बहुलता वाले इलाकों में जाने पर दो-दो मॉस्क का इस्तेमाल करता हूं।
ये भी रहते हैं काफी सतर्क
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी केएन बरनवाल मार्च से कोविड ड्यूटी कर रहे हैं। वह मधुमेह के मरीज हैं। प्रवासियों की स्क्रीनिंग से लेकर कोविड मरीजों के जांच शिविर तक में उनका जाना हुआ। समय-समय पर एंटीजन, आरटीपीसीआर और ट्रूनेट विधि से उन्होंने कोरोना जांच कराई, लेकिन निगेटिव रहे। उनका कहना है कि हाथों की लगातार साबुन-पानी या सैनिटाइजर से सफाई, मॉस्क का उपयोग और रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के नियमित सैनिटाइजेशन के कारण वह बीमारी से बचे हुए हैं।
सतर्कता ही कोरोना से बचाव
कोविड जांच करने वाले लैब टेक्निशियन आयुष सोनी न केवल कार्यस्थल पर बल्कि घर में भी पूरी सतर्कता रखते हैं। उनका मानना है कि डर की बजाय सतर्कता से ही बीमारी से बचा जा सकता है। होम आइसोलेशन में स्वस्थ हुए आइडी सिंह का कहना है कि आयुष डॉक्टर उनके घर आकर मदद करते थे। बेसिक हेल्थ वर्कर ज्ञान प्रकाश 18 मार्च के बाद से ही कोविड ड्यूटी कर रहे हैं। कभी सर्विलांस टीम के सदस्य के तौर पर तो कभी आरआरटी का हिस्सा बनकर। उन्हें कोविड बहुल इलाकों में जाना पड़ा, लेकिन सतर्कता के कारण वह भी कोरोना से बचे हुए हैं। ज्ञान प्रकाश का कहना है कि वह सुबह उठ कर योग व्यायाम करते हैं और फिर पूरे परिवार के लिए काढ़ा तैयार करते हैं। गिलोय और अश्वगंधा का सेवन करते हैं। सीएमओ डा. श्रीकांत तिवारी का कहना है कि सतर्कता वह उपकरण है जिसके जरिये कोरोना मरीजों के बीच जाकर भी बीमारी से बचा जा सकता है। छोटी-छोटी सावधानियां बहुत जरूरी हैं। किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी है।
बरतें ये सावधानी
कार्यस्थल और घर पर सतर्क रहना बेहद आवश्यक। चाहे कोई कितना ही करीबी क्यों न हो, उससे भी दो गज की दूरी बनाए रखें। मास्क का इस्तेमाल कत्तई बंद न करें। हाथों को बार-बार साबुन से धोते रहें या सैनिटाइज करते रहें। योग-व्यायाम नियमित करते रहें।