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धीरे-धीरे दफन होता जा रहा धर्मसिंहवा का बौद्ध स्तूप Gorakhpur News

संतकबीर नगर जिले के मेंहदावल स्थित धर्मसिंहवा का बौद्ध स्तूप धीरे-धीरे दफन होता जा रहा है। इसके साथ ही यह अपनी पहचान भी खोता जा रहा है। जो स्थल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन का केंद्र बन सकता था वह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 11:55 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 11:55 AM (IST)
धीरे-धीरे दफन होता जा रहा धर्मसिंहवा का बौद्ध स्तूप Gorakhpur News
अतिक्रमण की चपेट में बौद्ध स्तूप के पास स्थित पोखरा। जागरण

अतुल मिश्रा, गोरखपुर : सैकड़ों वर्ष पुरानी विरासत व ऐतिहासिकता को समेटे हुए संतकबीर नगर जिले के मेंहदावल स्थित धर्मसिंहवा का बौद्ध स्तूप धीरे-धीरे दफन होता जा रहा है। इसके साथ ही यह अपनी पहचान भी खोता जा रहा है। जो स्थल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन का केंद्र बन सकता था, वह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। बौद्ध स्तूप का सुंदरीकरण व इसको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के दावे और वादे पिछले दो दशकों में कइयों बार किए गए, लेकिन कार्ययोजना जमीन पर आज तक नहीं कर सकी। अब तो नई पौध इसकी विरासत के बारे में भी अनभिज्ञ है। बुजुर्गों को बौद्ध स्तूप की प्रासंगिकता के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी है।

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यह है बौद्ध स्तूप का इतिहास

मेंहदावल तहसील क्षेत्र के धर्मसिंहवा कस्बे में स्थित बौद्ध स्तूप का निर्माण सैकड़ों वर्ष पूर्व बौद्ध भिक्षुओं द्वारा कराया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि पूर्व में यहां बौद्ध भिक्षु भारी संख्या में आते थे। यहां बैठक हुआ करती थी। धम्म संघ की बैठक को लेकर इस स्थान को धर्मसिंहवा कहा जाने लगा। बौद्ध स्तूप के बगल में एक पोखरा स्थित है, जिसमें बौद्ध भिक्षु स्नान करते थे। लंबे समय तक यहां बौद्ध भिक्षुओं का जमावड़ा लगा रहता था। धर्म के प्रचार-प्रसार में यहीं से बौद्ध भिक्षु निकलते थे। बौद्ध स्तूप के बदहाल होने के साथ-साथ इसके पास स्थित पोखरा भी पूरी तरह से गंदगी व अतिक्रमण की चपेट में है। बौद्ध स्तूप व पोखरे को अब किसी मसीहा का इंतजार है। जो इसकी पुरानी विरासत को लौटा सके।

सुंदरीकरण को लेकर अधिकारियों का हो चुका है दौरा

बौद्ध स्तूप की बदहाली व स्थानीय लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए विधायक राकेश सिंह बघेल ने एक वर्ष पूर्व पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ बौद्ध स्तूप स्थल का जायजा लिया था। जल्द ही इसके सुंदरीकरण की कार्ययोजना जमीन पर उतारने का वादा भी किया गया था, लेकिन एक वर्ष बाद भी योजना जमीन पर नहीं उतर सकी।

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है धर्मसिंहवा

संतकबीर नगर व सिद्धार्थनगर की सरहद पर स्थित धर्मसिंहवा अत्यंत पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता है। बौद्ध स्तूप का सुंदरीकरण होने से यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। नेपाल से सटे होने के कारण बौद्ध भिक्षुओं का आवागमन भी आसान हो सकता है। अगर बौद्ध स्तूप का सुंदरीकरण व इसको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ-साथ इस कस्बे को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई जा सकती है।

विकसित किया जाएगा पर्यटन स्‍थल के रूप में

जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने कहा कि बौद्ध स्तूप के संरक्षण व सुंदरीकरण को लेकर प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेजा गया है। प्रस्ताव को  मंजूरी मिलने के बाद बौद्ध स्तूप का सुंदरीकरण कराते हुए इसको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

कई बार लिखा पत्र

विधायक राकेश सिंह बघेल ने कहा कि बौद्ध स्तूप के सुंदरीकरण को लेकर कई बार पत्र लिखा गया। हाल ही में मुख्यमंत्री से मिलकर अनुरोध किया हूं। उन्होंने बौद्ध स्तूप का सुंदरीकरण कराने का आश्वासन दिया है। उम्मीद है कि जल्द कार्ययोजना जमीन पर उतरेगी।


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