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गोरखपुर में मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने लगाई राप्ती नदी में डुबकी Gorakhpur News

माघ कृष्ण अमावस्या गुरुवार को परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाई गई। इसे मौनी अमावस्या भी कहते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने राप्ती के राजघाट तट पर स्नान कर दान किया। लोगों ने गाय की बछिया का दान कर वैतरणी पार करने की मंगल कामना की।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 12:40 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 12:40 PM (IST)
गोरखपुर में मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने लगाई राप्ती नदी में डुबकी Gorakhpur News
गोरखपुर में मौनी अमावस्‍या पर लोगों ने राप्‍ती नदी पर स्‍नान किया। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। माघ कृष्ण अमावस्या गुरुवार को परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाई गई। इसे मौनी अमावस्या भी कहते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने राप्ती नदी के राजघाट तट पर स्नान कर दान किया। लोगों ने गाय की बछिया का दान कर वैतरणी पार करने की मंगल कामना की। स्नान, दान के साथ ही राप्ती तट पर जयघोष गूंज रहा है।

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स्नान के बाद तिल, गुड़ व आंवला भी दान किया

राप्ती नदी के राजघाट पर सुबह से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे। नदी के दोनों तटों पर बड़ी संख्या में लोगों ने गंगा मैया के जयघोष के साथ डुबकी लगाई। माहौल उत्सव व उल्लास से परिपूर्ण है। स्नान के बाद लोगों ने तिल गुड़ व आंवला का भी दान किया तथा स्वयं तिल गुड़ ग्रहण किया। पं. शरद चंद्र मिश्र के अनुसार इस दिन प्रयाग या पवित्र नदियों में स्नान करने के पश्चात तिल के लड्डू,तिल का तेल, आंवला और वस्त्र का दान करना चाहिए। साधु-महात्माओं और निर्धनों के निमित्त काष्ठ का दान करना चाहिए। इस दिन ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व है। गुड़ में काला तिल मिलाकर दक्षिणा सहित लाल कपड़े में बांधकर ब्राह्मण या किसी सुपात्र को दान देना चाहिए।

यह है मौनी अमावस्‍या का महत्‍व

माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या की प्रसिद्धि मौनी अमावस्या के रूप में है। इस पवित्र तिथि को मौन होकर स्नान करने का विशेष महत्व है। इसी से इसे मौनी अमावस्या कहते है। माघ मास में गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है।विशेष तौर पर त्रिवेणी स्नान की बड़ी महिमा है। अमावस्या इस महीने का सबसे बड़ा पर्व है।इस महीने मे तीर्थराज प्रयाग मे बड़ा मेला लगता है। प्रत्येक बारह वर्ष बाद कुम्भ मेले का भी आयोजन होता है। पुराणों मे मौनी अमावस्या के दिन प्रयाग मे स्नान की बड़ी महिमा का वर्णन मिलता है।कहा गया है कि इस दिन प्रयाग में त्रिवेणी पर स्नान या पवित्र बहती हुई नदियों मे स्नान से भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।स्नान के बाद इस दिन दान का विशेष फल मिलता है। दान में दिखावा फल को न्यून कर देता है।पुराणों मे इस दिन शान्त रहकर परमात्मा के चिन्तन और मन के मौन की बात कही गयी है।


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