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Flood in gorakhpur : उतरती नदियों ने बढ़ाई प्रशासन की सतर्कता, धीरे-धीरे घट रहा पानी

राप्ती एवं रोहिन नदियों के जलस्तर में गिरावट शुरू होना सकारात्मक संकेत जरूर है लेकिन उतरती नदियों ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। राप्ती एवं रोहिन दोनों नदियों का अंतिम छोर गोरखपुर में पड़ता है जिससे यहां पानी का दबाव बढ़ रहा है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 06:45 AM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 06:45 AM (IST)
Flood in gorakhpur : उतरती नदियों ने बढ़ाई प्रशासन की सतर्कता, धीरे-धीरे घट रहा पानी
गोरखपुर में नदियों का बढ़ रहा जलस्‍तर। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : तेजी से बढ़ रही राप्ती एवं रोहिन नदियों के जलस्तर में गिरावट शुरू होना सकारात्मक संकेत जरूर है, लेकिन उतरती नदियों ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। राप्ती एवं रोहिन, दोनों नदियों का अंतिम छोर गोरखपुर में पड़ता है, जिससे यहां पानी का दबाव बढ़ रहा है। नदियों के उतरने से बहाव तेज हुआ है जिससे बांध के कटने का खतरा अभी बना हुआ है। सतर्कता बढ़ाते हुए प्रशासन एवं सिंचाई विभाग की टीमों ने बांध पर निगरानी बढ़ा दी है।

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इस बार 77.32 मीटर तक पहुंच गया था राप्‍ती नदी का जलस्‍तर

राप्ती नदी का जलस्तर इस बार दूसरे सर्वोच्च स्तर 77.32 मीटर तक पहुंच गया था। 1998 में इस नदी का अब तक का सर्वोच्च जलस्तर 77.54 मीटर दर्ज किया गया था। पिछले चार दिनों से नदी का पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है। शाम चार बजे नदी का जलस्तर 76.98 मीटर रिकार्ड किया गया। नदी अभी भी खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर बह रही है। इसी तरह रोहिन नदी का जलस्तर 83.05 मीटर रिकार्ड किया गया। यह नदी खतरे के निशान से मात्र 61 सेंटीमीटर ऊपर रह गई है। यह नदी डोमिनगढ़ में आकर राप्ती नदी में मिलती है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में पानी का दबाव बना हुआ है। राप्ती नदी के घटने से बांधों पर कटान का खतरा बढ़ा है। पाली क्षेत्र में सहजनवां-डुमरिया बाबू बांध पर सुरगहना के पास रविवार से रुक-रुक कर कटान हो रही है। इसी तरह कौड़ीराम क्षेत्र में राप्ती नदी का दबाव बना हुआ है। कलानी-बेला मलाव बांध पर कटान हो रही है। गोर्रा नदी का जलस्तर अभी भी उच्चतम बिन्दु पर बना हुआ है। इस नदी के कारण कई गांवों के लोगों में भय बना हुआ है।

अगले 72 घंटे महत्वपूर्ण मान रहा प्रशासन

नदियों के उतार को देखते हुए प्रशासन अगले 72 घंटे को महत्वपूर्ण मान रहा है। माना जा रहा है कि 48 से 72 घंटे में पानी का दबाव कम हो सकता है और नदी बांध से दूर हो सकती है। बांध से बहाव दूर होने पर बांधों के कटने का खतरा भी कम हो जाएगा।

बाढ़ के बाद बीमारियों का खतरा

बाढ़ के बाद गर्मी के चलते बीमारियों की आशंका भी है। प्रशासन की ओर से इसको लेकर भी तैयारी की जा रही है। लोगों में अभी से क्लोरीन की गोलियां एवं दवा का वितरण किया जा रहा है। इस बात के लिए जागरूक किया जा रहा है कि वे पानी उबालकर ठंडा कर लें और उसके बाद छानकर पीयें।

तटबंधों पर रखी जा रही है निगरानी

जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने कहा कि नदियों में पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है। अंतिम छोर होने के कारण दबाव बना हुआ है। तटबंधों पर निगरानी रखी जा रही है। अगले दो से तीन दिनों में काफी हद तक राहत मिल जाने की उम्मीद है। बाढ़ के बाद बीमारियों की आशंका है, उससे निपटने के उपाय भी किए जा रहे हैं।


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