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स्वजन से बिछुड़े बांग्लादेशी मासूम की मदद को बढ़े हाथ

कैंडिड सिटी स्कूल बांग्लादेश भेजने का उठाएगा खर्च मासूम को अपनों के पास पहुंचने की बढ़ी उम्मीद

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Jul 2021 11:34 PM (IST)Updated: Fri, 09 Jul 2021 11:34 PM (IST)
स्वजन से बिछुड़े बांग्लादेशी मासूम की मदद को बढ़े हाथ
स्वजन से बिछुड़े बांग्लादेशी मासूम की मदद को बढ़े हाथ

जागरण संवाददाता, देवरिया: राजकीय बालगृह देवरिया में बांग्लादेश के 11 वर्षीय मासूम को उसके वतन भेजने में मदद के लिए शहर का एक स्कूल प्रबंधन आगे आया है। स्कूल मासूम को बांग्लादेश भेजने का खर्च उठाने को तैयार है। मदद की पेशकश करते हुए स्कूल प्रबंधन ने जिलाधिकारी और जिला परिवीक्षा अधिकारी को पत्र लिखा है।

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जागरण ने 21 जून के अंक में 'बांग्लादेशी मासूम को दो साल से अपने मामून का इंतजार' शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। खबर पढ़ने के बाद शहर के भुजौली कालोनी स्थित कैंडिड सिटी स्कूल की प्रधानाचार्य प्रियंका सिंह ने मदद की पेशकश की है। प्रधानाचार्य ने कहा कि जागरण की खबर से पता चला कि मासूम माता-पिता से दो साल से बिछड़ा हुआ है। उसकी पीड़ा समझी जा सकती है। स्कूल प्रबंधन उसे उसके माता-पिता के पास बांग्लादेश भेजने में जो भी खर्च आएगा, उसे वहन करने को तैयार है। जिला परिवीक्षा अधिकारी प्रभात कुमार ने कहा कि स्कूल ने मदद के लिए जो कदम बढ़ाया है, वह सराहनीय है। नियमानुसार जो भी मदद लेने लायक होगी, ली जाएगी। प्रशासन भी मदद करेगा। ऐसे अपनों से हुआ दूर मासूम: मासूम के पिता मामून बांग्लादेश के किशनगंज जिले के गोपालाश्रम में रहते हैं और राजमिस्त्री हैं। जून 2019 में वह परिवार सहित चादरपोशी के लिए अजमेर शरीफ आए थे। वापसी में ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे। पानी लेने के लिए मासूम किसी स्टेशन पर उतरा, इस बीच ट्रेन चल दी। परेशान मासूम गोरखपुर आने वाली ट्रेन में बैठ गया। गोरखपुर में प्लेटफार्म पर भटकते देख चाइल्डलाइन के कर्मियों ने उसे संरक्षण में ले लिया। चार महीने संरक्षण गृह में रखा। नवंबर 2019 में उसे देवरिया के राजकीय बालगृह में भेज दिया। हिदी बोलने नहीं आने से उसे शुरुआत में काफी परेशानी हुई लेकिन अब उसने हिदी सीख ली है। जिला प्रोबेशन विभाग ने मासूम के बताए पते पर पत्राचार कर जानकारी हासिल की। अब उसे बांग्लादेश भेजने की कोशिश की जा रही है।


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