Move to Jagran APP

Nepal News: नेपाल में राजशाही लागू करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे लोग, कई शहरों में प्रदर्शन

नेपाल के लोग राजशाही व्यवस्था लागू करने की मांग करने लगे हैं। नेपाल के लोग राजशाही में सीमित अधिकारों में जीने को तैयार हैं। लेकिन वह ओली को अब देश का नेतृत्व करते नहीं देखना चाहते हैं। राजशाही समर्थकों ने रैली निकालकर ओली सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 09:02 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 08:33 AM (IST)
Nepal News: नेपाल में राजशाही लागू करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे लोग, कई शहरों में प्रदर्शन
यूपी से सटा भारत नेपाल का प्रवेश द्वार। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है उनका चीन प्रेम। हालात यह हो गया कि अब नेपाल के लोग राजशाही व्यवस्था पुन: लागू करने की मांग भी करने लगे हैं। नेपाल के लोग राजशाही में सीमित अधिकारों में जीने को तैयार हैं। लेकिन वह ओली को अब देश का नेतृत्व करते नहीं देखना चाहते हैं। राजशाही समर्थकों ने रैली निकालकर ओली सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया।

loksabha election banner

नेपाल के कई शहरों में प्रदर्शन

नेपाल के राजशाही समर्थन और हिन्दुत्ववादी प्रदर्शनकारियों ने बुटवल, धनगढी, महेन्द्र नगर, जनकपुर, रौटहट, विराटनगर, सहित अन्य जगहों पर रैलियांं आयोजित की गई।

कई संगठनो ने लिया हिस्सा

राजशाही समर्थन में नेपाल के कई संगठनो जैसे विश्व हिन्दू महासंघ, शैव सेना नेपाल, राष्ट्रीय सरोकार मंच, गोरक्षनाथ नेपाल, राष्ट्रीय शक्ति नेपाल, वीर गोरखाली जैसे संगठन इन रैलियों में आगे रहे।

यह प्रमुख मांगेंं

राष्ट्रीय शक्ति नेपाल के अध्यक्ष केशर बहादुर बिस्टा ने राजशाही का समर्थन करते हुए कहा, हमारे तीन प्रमुख एजेंडे हैं। संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना, नेपाल को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में बहाल करना और संघवाद को खत्म करना। क्योंकि यह लोगों को विभाजित करता है और राष्ट्र को खतरे में डालता है। उन्होंने आगे कहा कि आम जनता का बचना मुश्किल हो गया है। देश संकट में है, लेकिन, हमारे नेता देश को लूट रहे है।

2008 में खत्म हुई थी राजशाही

नेपाल में 28 मई 2008 को राजशाही पूर्ण रूप से खत्म हो गई थी। 2017 में हुए चुनाव में तत्कालीन सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन (माओवादी दलों) के कम्युनिस्ट गठबंधन को जनादेश मिला। लेकिन इसके बाद में इन सभी दलों ने मिलकर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी बनाई। जो वर्तमान में देश पर शासन कर रही है। मौजूदा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली फरवरी 2018 में दूसरी बार नेपाल की सत्ता में लौटे थे। शुरुआत में तो सबकुछ ठीक चला, लेकिन चीन प्रेम के चलते जल्द ही वह दूसरों के निशाने पर आ गए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.