गोरखपुर विश्वविद्यालय ने कोरोना पाजिटिव विद्यार्थियों के लिए नहीं की कोई व्यवस्था, संक्रमित हुए तो बर्बाद होगा पूरा साल
Gorakhpur university exam 2022 विश्वविद्यालय का दावा है कि कोविड प्रोटोकाल के साथ परीक्षाओं को पूरी सुरक्षा के साथ सम्पन्न करा लिया जाएगा लेकिन कोरोना संक्रमित छात्र परीक्षा कैसे देगा इस विषय पर उसका ध्यान गया ही नहीं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने देश भर में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के बीच सीबीसीएस (च्वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) के तहत सेमेस्टर परीक्षा की तैयारी तो कर ली लेकिन इसमें कोरोना संक्रमित विद्यार्थियों की चिंता नहीं दिख रही। अगर कोई कोरोना संक्रमित होने की वजह से परीक्षा नहीं दे सका तो उसका आगे क्या होगा, इस विषय में विश्वविद्यालय की ओर से न तो कोई निर्णय लिया गया है और न ही कोई योजना बनाई गई है। ऐसे में उस विद्यार्थी का साल बर्बाद हाेना तय है, जो संक्रमण की वजह से परीक्षा देने से वंचित रह जाएगा। विश्वविद्यालय का परीक्षा विभाग इस कहकर पल्ला झाड़ ले रहा कि शासन की ओर से अभी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुआ है।
22 जनवरी से शुरू हो रही विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध् महाविद्यालयों में परीक्षा
17 जनवरी को आयोजित एक मात्र परीक्षा के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध् महाविद्यालयों की परीक्षा विस्तृत रूप से 22 जनवरी से शुरू हो रही है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच आफलाइन परीक्षा के आयोजन के विश्वविद्यालय के निर्णय का शिक्षकों से लेकर विद्यार्थी तक विरोध कर रहे है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन अपने निर्णय पर अडिग है। विश्वविद्यालय का दावा है कि कोविड प्रोटोकाल के साथ परीक्षाओं को पूरी सुरक्षा के साथ सम्पन्न करा लिया जाएगा लेकिन कोरोना संक्रमित छात्र परीक्षा कैसे देगा, इस विषय पर उसका ध्यान गया ही नहीं।
विश्वविद्यालय को शासन के दिशा निर्देश का इंतजार
विश्वविद्यालय के पास इस सवाल का जवाब न होने से, परीक्षा के सफल आयोजन के उसके दावे की पाेल खुल रही है। महाविद्यालयों के शिक्षक और स्व-वित्तपोषित महाविद्यालयों के प्रबंधक इसे विश्वविद्यालय प्रशासन की अक्षमता करार दे रहे हैं। उधर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डा. अमरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि परीक्षा का आयोेजन शासन के मार्गदर्शन में हो रहा है। ऐसे छात्र जो संक्रमित होने की वजह से परीक्षा से वंचित रह जाएंगे, उनके विषय में निर्णय को लेकर शासन के दिशा-निर्देश का इंतजार है।
कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में आफलाइन परीक्षा का निर्णय ही उचित नहीं है। इसका मैं पुरजोर विरोध करता हूं। परीक्षा के निर्णय में कोरोना संक्रमित छात्रों के विषय में न सोचना विश्वविद्यालय की नाकामी का सबूत है। विश्वविद्यालय का परीक्षा का निर्णय पूरे शहर को संक्रमित कर देगा। - डा. धीरेंद्र सिंह, महामंत्री, गोरखपुर विवि संबद्ध् महाविद्यालय शिक्षक संघ।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रदेश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों ने अपनी परीक्षा टाल दी है, ऐसे में गोरखपुर विश्वविद्यालय को क्या जल्दी है, समझ में नहीं आ रहा। यह तो विद्यार्थियों की जान को जोखिम में डालना है। कोरोना संक्रमित विद्यार्थियों के बारे में न सोचना तो और बड़ी लापरवाही है। - डा. सुधीर कुमार राय, महामंत्री, स्व-वित्तपोषित प्रबंधक महासभा, गोरखपुर।