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केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर बढ़ रहा डीडीयू, जानें-एक छात्र की चिट्ठी से विश्‍वविद्यालय की विशेषताएं

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर में बीए तृतीय वर्ष के छात्र अरुण कुमार मिश्रा का कहना है कि परिसर में शैक्षणिक कार्य तो बेहतर होता ही है। गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के हरेभरे वातावरण में सुकून भी खूब मिलता है।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 03:10 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 04:40 PM (IST)
केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर बढ़ रहा डीडीयू, जानें-एक छात्र की चिट्ठी से विश्‍वविद्यालय की विशेषताएं
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर में बीए तृतीय वर्ष के छात्र अरुण कुमार मिश्रा।

गोरखपुर, जेएनएन। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का छात्र होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। यहां का छात्र कहलाने पर गर्व का अहसास होता है। यह विश्वविद्यालय भले ही राज्य विश्वविद्यालय की श्रेणी में आता है लेकिन परिसर में हो रहे नित नए बदलाव और सुधरती व्यवस्था को देखकर इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय कहने की इच्‍छा होती है। मैंने तो अपने दिल गोरखपुर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दे भी दिया है।

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छात्रों को मिल रही रोजगार शिक्षा

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर में बीए तृतीय वर्ष के छात्र अरुण कुमार मिश्रा का कहना है कि परिसर में शैक्षणिक कार्य तो बेहतर होता ही है। यहां के हरेभरे वातावरण में सुकून भी खूब मिलता है। अगर बात करें अध्ययन-अध्यापन की तो यहां के सभी शिक्षक ज्ञान के भंडार के साथ साथ मित्रवत व्यवहार लिए हुए है। कोरोना महामारी जैसी विकट परिस्थिति में भी नए-नए प्रयोगों द्वारा शिक्षण कार्य अनवरत जारी रखना विश्वविद्यालय प्रशासन के गौरव को बढ़ाता है। वर्तमान दौर में विश्वविद्यालय एक नए कीर्तिमान को स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान न देकर रोजगारपरक शिक्षा देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई व्यावसायिक कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। मेरी नजर में  इनमें एंटरप्रेन्योरशिप कोर्सेज, होटल मैनेजमेंट, पत्रकारिता से जुड़े कोर्स बेहद महत्वपूर्ण हैं। सभी कोर्स आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। परिसर में 'क्लीन कैंपस ग्रीन कैंपस जैसी मुहिम चलाना बेहद सराहनीय पहल है। इसके लिए मैं कुलपति प्रो. राजेश सिंह को बधाई देता हूं, साथ ही साथ आभार भी ज्ञापित करता हूं।

अब खेल में भी ऊंचाई पर पहुंचेगा विश्‍वविद्यालय

विश्वविद्यालय में खेल का माहौल बनाने के लिए की जा रही पहल उत्साहित करने वाली है। पहल अगर आशानुरूप सफलता हासिल कर सकी तो वह दिन दूर नहीं जब विश्वविद्यालय के छात्र खेल की दुनिया में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकते नजर आएंगे। यहां मैं पुस्तकालय को लेकर एक सलाह जरूर देना चाहूंगा। इसे देश की आधुनिकतम लाइबे्ररी के रूप में विकसित किए जाने के लिए नई योजना बनाई जानी चाहिए। पुस्तकालय में नई प्रमाणिक किताबों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। इसका सीधा लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा।


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