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तीसरी नजर/मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है

यहां पढ़ें दैनिक जागरण गोरखपुर का साप्‍ताहिक कॉलम तीसरी नजर।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 09:55 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 10:22 PM (IST)
तीसरी नजर/मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है
तीसरी नजर/मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है

नवनीत प्रकाश त्रिपाठी, जेएनएन। मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है, क्या मेरे हक में फैसला देगा। श्यामदेउरवा, महराजगंज की युवती को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म की घटना और सुदर्शन फाकीर के इस शेर का अजीब सा रिश्ता जुड़ गया है। गुलरिहा इलाके के भटहट कस्बे में स्थित एक नर्सिंगहोम के सामने तीन सितंबर को सुबह साढ़े आठ बजे के आसपास युवती अद्र्धनग्न हालत में मिली थी। पुलिस को उसने बयान दिया कि पांच युवकों ने अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया है। श्यामदेउरवा पुलिस पहले तो सकते में आ गई, मगर हालात को नियंत्रण में लेने में उसे देर भी नहीं लगी। युवती के परिजनों को ऊंच-नीच का हवाला दिया। उनको समझा-बुझाकर युवती को विक्षिप्त और अपहरण व दुष्कर्म की घटना को फर्जी करार दे दिया, मगर एडीजी की सख्ती की वजह से श्यामदेउरवा पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा। मने मुंसिफ बना कातिल ही तय करेगा कि जुर्म हुआ था या नहीं।

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वह दिन दूसरा था..

वर्दी वाले महकमे के मुखिया पहले डाक्टर साहब थे। उनकी अपनी कार्यशैली थी। न तो खुद नाराज होते और न ही किसी को नाराज होने देते थे। सबकी बात सुनते और फैसले भी ऐसे लेते थे कि सभी खुश रहें। 22 माह बाद उनका तबादला हुआ। उनकी जगह कुमार साहब आए। उन्होंने सिस्टम को अपने हिसाब से टाईट करना शुरू किया। मौज में रह रहे मातहतों की यहीं से मुश्किल शुरू हो गई। साहब ने आदेश दिया कि सभी लंबित विवेचनाएं निस्तारित होनी चाहिए। पहले तो मातहतों ने समझा कि जैसे सभी साहब आदेश देते हैं, वैसा ही यह भी है। मगर कुमार साहब सख्त जान निकले। उनका रुख देखकर इंस्पेक्टर और दारोगा, विवेचनाएं निस्तारित करने में इस कदर जुट गए कि घर से बाहर निकला ही छोड़ दिया। खबरची से रहा नहीं गया। पूछने पर एक दारोगा जी ने छूटते ही प्रतिक्रिया दी कि छोडि़ए, वह दिन दूसरा था, यह दिन दूसरा है।

तंत्र-मंत्र और मर्डर मिस्ट्री

गुलरिहा इलाके में पति-पत्नी की तरह रह रहे अनरजीत और रीमा की तीन अगस्त की रात हत्या कर दी गई थी। पूरी तरह से ब्लाइंड मर्डर । मृतकों के परिजन पहले दिन से ही किसी से दुश्मनी होने से इन्कार करते रहे। कातिलों की तलाश में पुलिस ने बहुत दंद-फंद किया। मोबाइल फोन के काल डिटेल से लेकर टावर लोकेशन तक खंगाला। संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की, लेकिन हत्यारों का सुराग नहीं लगा। इसी बीच रीमा के परिवार की एक महिला ने दावा किया कि उसके ऊपर देवी आ गई हैं। देवी के हवाले से उसने बताया कि अमुक-अमुक लोगों ने हत्या की है। पुलिस ने उन सभी को हिरासत में ले लिया जिनका नाम कथित देवी ने बताया था। कड़ाई से पूछताछ भी की लेकिन नतीजा सिफर निकला, मगर तंत्र-मंत्र, मर्डर मिस्ट्री और पुलिस की कार्यप्रणाली इन दिनों इलाके में चर्चा का विषय बन गई है।

नेताजी के कुर्ते की बटन

चौरीचौरा इलाके के नेताजी दो दिन पहले एसएसपी से मिलने पहुंचे। कुर्ते की बटन खुली हुई थी। अंदर से सोने की मोटी चेन झांक रही थी। ठसक से एसएसपी के चेंबर में घुसे। आने की वजह पूछने पर उन्होंने एसएसपी की तरफ एक प्रार्थना पत्र बढ़ा दिया। इसमें चौरीचौरा इलाके कुछ लोगों को मनबढ़ बताते हुए कार्रवाई करने की मांग की गई थी। आवेदक का नाम पढ़कर एसएसपी ने पूछा यह आप ही हैं। नेताजी ने बताया नहीं उनके भाई का नाम है। आवेदक कहां है कि सवाल पर नेताजी ने बताया कि वह घर है। जवाब सुनकर एसएसपी का तेवर बदल गया। आवेदक को भेजने की बात कहकर प्रार्थना पत्र उन्हें लौटा दिया। इसी दौरान नजर नेताजी के कुर्ते की खुली बटन पर पड़ी तो कड़ी फटकार लगाते हुए एसएसपी ने बटन बंद रखने की हिदायत दे डाली। खिसियाए नेताजी बटन बंद करते हुए चेंबर से बाहर निकल गए।


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