जनता सब जानती है...गलत नंबर डायल कर दिए नेताजी Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से राजेश्वर शुक्ला का साप्ताहिक कालम जनता सब जानती है...
गोरखपुर, जेएनएन। चर्चित शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े में एक रसूखदार पर मुकदमा दर्ज हुआ तो उन्हें बचाने के लिए बड़ी-बड़ी सिफारिशें भी आने लगीं। देश की ताकतवर पार्टी के दमदार कहे जाने वाले एक नेताजी से न रहा गया और वह भी पहुंच गए आला अफसर के पास सिफारिश लेकर। पहले इधर-उधर की बातें कीं। इसके बाद उन्होंने रसूखदार पर दर्ज मुकदमे का जिक्र किया और कार्रवाई को ही गलत ठहराने की कोशिश में जुट गए। इसके बाद जो हुआ, नेताजी ने उसकी कल्पना भी नहीं की होगी। आला अफसर ने नेताजी से कहा, आपको कैसे पता चला कि गलत कार्रवाई हुई है, आपको मालूम है कि आप किसकी पैरवी कर रहे हैं। इस मामले में न पडि़ए तो ही अच्छा है। इतना सुनने के बाद नेताजी ने हाथ जोड़ा और निकल लिए। कक्ष से बाहर निकले तो उनके एक चेले ने कह ही दिया, लगता है गलत नंबर डायल हो गया नेताजी।
चलो शिकायत ही कर दें
शहरी क्षेत्र में विकास की जिम्मेदारी संभालने वाले विभाग में इन दिनों काफी गहमागहमी है। इस विभाग में जब भी कोई नया काम होना होता है, तो विवाद शुरू हो जाता है। यहां पिछले दिनों करोड़ों की निविदा निकली तो ठीकेदारों की उम्मीदें परवान चढऩे लगीं। इनमें कुछ ऐसे भी थे जो दबाव बनाकर काम लेना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने विभाग में भागदौड़ शुरू की लेकिन दाल नहीं गली। कर्मचारियों से लेकर अफसरों पर दबाव बनाया, फिर भी बात नहीं बनी। इतने में उसी समूह के एक साथी ने सुझाव दिया कि चलो बड़े अफसर से शिकायत कर देते हैं, हो सकता है कि इससे बात बन जाए। फिर क्या था, अगले दिन वे बड़े अफसर के यहां शिकायत करने पहुंच गए। अफसर ने पूछा कि आपको कैसे पता चला कि इसमें गड़बड़ी हुई है, कोई प्रमाण हो तो दीजिए। इस पर कल आएंगे की बात कहकर निकल लिए।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया
एक राष्ट्रीय पार्टी के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं। पार्टी के बड़े पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के पास कोई काम नहीं है, लिहाजा किसी भी प्रदेश में चुनाव हो तो प्रचार के लिए निकल पड़ते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो पार्टी का प्रचार कम करते हैं अपना ज्यादा। पिछले माह कुछ लोग दिल्ली विधान सभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी का प्रचार करने गए। वहां से भी अपनी मार्केटिंग शुरू कर दी। चुनाव परिणाम आने के बाद पार्टी की जो गति हुई, किसी से छिपी नहीं। कुछ कार्यकर्ता जो जाने से वंचित रह गए, वह तंज कसने से नहीं चूके। एक पुराने वफादार कार्यकर्ता ने कह ही दिया कि यह महाशय जहां भी जाते हैं वहां पार्टी को हराकर ही दम लेते हैं। दावे तो बड़े-बड़े करते हैं और नतीजे आने पर इनकी स्थिति खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसी हो जाती है। इतना सुनते ही सभी हंस पड़े।
फिर एक्सप्रेस पर सवार हुए जनाब
आम जनता से कर वसूलने वाले विभाग के एक 'छोटे अफसर' इन दिनों खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। वजह उनका एक्सप्रेस ट्रेन पर सवार होना बताया जा रहा है। कुछ दिनों पहले जब इनके 'साहब' का तबादला हुआ तो इनकी रफ्तार काफी कम हो गई। लोग कहने लगे कि अब यह जनाब एक्सप्रेस की सवारी के लायक नहीं रहे। जनाब भी क्या करते? लोगों के कमेंट चुपचाप सुनते रहे। अचानक उनके महकमे में 'नए साहब' की तैनाती हो गई। बस क्या था, जनाब ने बिना किसी देरी के रफ्तार पकड़ ली। ऑफिस का नजारा बदल गया। जो कभी कमेंट करते फिर रहे थे, अब वही कहने लगे हैं कि ये तो फिर से एक्सप्रेस टे्रन पर सवार हो गए हैं। अब तक मुंह छिपाते फिर रहे थे, देखो कैसे इनकी चाल बदल गई है। इसी में एक सज्जन कहते सुने गए, अब चुप रहने में ही भलाई है।