तीस रुपये तो नाजिल हिलाने का चार्ज है..
दुनिया ने भले कितनी तरक्की क्यों न कर ली हो अपने चंदू चाचा बिलकुल नहीं बदले हैं। तीस साल पहले भी बाइक में तीस रुपये का तेल भरवाते थे और आज भी भरवाते हैं। दैनिक जागरण के साप्ताहिक कालम चौपाल में पढ़ें गोरखपुर के पुलिस महकमे के अंदरखाने की खबरेें..
गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। दुनिया ने भले कितनी ही तरक्की क्यों न कर ली हो, अपने चंदू चाचा बिलकुल नहीं बदले हैं। तीस साल पहले भी बाइक में तीस रुपये का तेल भरवाते थे और आज भी भरवाते हैं। यह और बात है कि तीस साल पहले वह तीस रुपये का पेट्राल डलवाकर तीस दिन चलते थे। आज तीस रुपये का तेल डलवाते हैं और शहर के एक पंप से दूसरे पंप तक नहीं जा पाते हैं। तीन दिन पूर्व किसी तरह से बाइक ढकेलकर वह पेट्रोल पंप तक पहुंचे। चाचा ने आदत के मुताबिक तीस रुपये का पेट्रोल मांगा। पंपकर्मी ने पंप की नाजिल टंकी में डालकर निकाल ली। चाचा ने बाइक स्टार्ट की, लेकिन वह पेट्रोल पंप से आगे नहीं बढ़ सके। चाचा ने पंपकर्मी से सवाल किया, यह क्या। पंपकर्मी ने बताया कि तीस रुपये तो नाजिल के ऊपर पंप घुमाने का चार्ज है। इसमें बाइक की टंकी थोड़े न फुल होगी।
पंडितजी से हाथ की रेखा दिखा रहे सोखा
पंडितजी के दरबार में इस बार दक्षिण वाले सोखा भी थे। सोखा को दरबार में देखकर पंडितजी दंग रह गए। तीन माह पहले क्या जलवा था। गांव के बाहर गाड़ियों की लंबी कतार और हर पांच मिनट में अकड़म-बकड़म छू। पंडितजी भी कभी अपनी समस्या लेकर सोखा के पास गए थे। बेटा मेरी सुनता ही नहीं है। उसके लिए वशीकरण यंत्र करना होगा। सोखा ने जो उपाय बताया कि वह पंडित जी के बस का नहीं था। माह भर से अपने कप्तान साहब सोखाओं की कुंडली बांच रहे हैं। पिपराइच में एक सोखा ने बच्चे की हत्या क्या कर दी, सारे सोखाओं के ग्रह नक्षत्र भी बिगड़ गए। सोखा के लिए बच्चा चुराने गई महिला चौरीचौरा में धर ली गई। अब थाने पर सुबह सोखाओं को हाजिरी लगानी पड़ रही है। पंडित जी हाथ देखते ही बोले- समय नहीं ठीक है। सोखा बोले-मुंबई चला जाउंगा। यहां नहीं रहूंगा।
साहब बाेलेंगे नहीं, एप बनाएंगे
एक राजा अपने चित्रकार से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें अपना महामंत्री बना दिया। प्रजा जैसे ही कोई समस्या लेकर महामंत्री के पास जाती, वह उसे चित्र बनाकर दे देते और कहते कि इससे आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा। अपने साहब भी महामंत्री से कम नहीं हैं। वह बैठे भले हों कानून व्यवस्था की निगरानी के लिए लेकिन मूलत: हैं इंजीनियर। उनका मानना है कि दुनिया की कोई भी समस्या हो, उसका समाधान एक इंजीनियर ही कर सकता है। पुलिस की ट्रेनिंग से लेकर ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम तक उन्होंने करीब दर्जनभर एप बना रखे हैं। यह और बात है कि उनकी योग्यता को अपने जोन वाले साहब नहीं समझ रहे हैं। साहब पहले भी कम बोलते थे, लेकिन जगत नारायण ने उन्हें बोलने लायक ही नहीं छोड़ा। साहब ने ठान लिया है कि एक ऐसा एप बनाएंगे कि कोई पुलिस कर्मी न वसूली करेगा, न ही नर्स से मोहब्बत।
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पर रोना आया
अपने सोमू को एक युवक से मोहब्बत हो गई। सोमू दिन भर बैंड पर नांचता और बाद का वक्त वह अपने दोस्त के साथ गुजारता। स्थिति यह हो गई कि दोनों का एक-दूसरे के बगैर रहना मुश्किल हो गया। सोमू ने ठान लिया कि लोग कुछ भी कहे, रहेगा दोस्त के साथ ही। वह उसके साथ दिल्ली गया और सोमू से सीमा बन गया। दोनों राजी-खुशी रहने लगे। सोमू दिन भर नांचता और उसी कमाई से दोनों का खर्च चलता। सोमू को जब यकीन हो गया कि उन्हें कोई अलग नहीं कर सकता तो वह दोस्त के साथ घर आ गया। यहां जैसे ही उसका दोस्त अपनी पत्नी व बच्चों के पास गया उसने सोमू को अपने साथ रखने से मना दिया। सोमू की मुलाकात उसकी पत्नी से हुई। उसने घर चलने को कहा तो वह फूट कर रोने लगी और बोला अब मैं सोमू नहीं, सीमा हूं।