इन सब्जियों की खेती से हो सकते हैं मालामाल, जानें- कब होती है इनकी बुवाई Gorakhpur News
खेत की दो से तीन जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाने के बाद खीरा और ककड़ी की बुआई करनी चाहिए। खीरे की बुआई क्यारियों के अंदर कतार में की जानी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 1.5 मीटर रखें और पौधे से पौधे की दूरी एक मीटर रखना बेहतर होगा।
गोरखपुर, जेएनएन। फरवरी में जायद की फसलों की बुआई शुरू हो जाती है। इस सीजन सब्जी की खेती कर किसान अच्छा फायदा कमा सकते हैं। फरवरी से मार्च के बीच प्रमुख रूप से खीरा, ककड़ी, करेला, लौकी और तरोई आदि सब्जियों की खेती किसान भाइयों के लिए फायदे का सौदा साबित होगी। बेलीपार कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. एसके तोमर बताते हैं कि आलू और सरसों की फसल से खाली हुए खेत में सब्जियों की बुआई की जा सकती है। अलग-अलग सब्जियों के लिए खेत को अलग तरीके से तैयार करना पड़ता है।
ऐसे करें बुआई
खीरा व ककड़ी : खेत की दो से तीन जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाने के बाद खीरा और ककड़ी की बुआई करनी चाहिए। खीरे की बुआई क्यारियों के अंदर कतार में की जानी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 1.5 मीटर रखें और पौधे से पौधे की दूरी एक मीटर रखना बेहतर होगा। बुआई के 20 से 25 दिन के अंदर निराई-गुड़ाई करना जरूरी है। तापमान बढऩे पर हर सप्ताह हल्की सिंचाई करते रहें। ककड़ी की बुआई के लिए एक एकड़ खेत में एक किग्रा बीज की जरूरत होती है। इसे हर तरह की मिट्टी में उगाया जाता है। बुआई से पहले कम से कम तीन बार खेत की जुताई करें। अंतिम जुताई के समय मिट्टी में गोबर की खाद मिला दें। दो-दो मीटर क्यारियां बनाकर कतार में बुआई करें। पौधे से पौधे और कतार से कतार के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर रखें।
करेला : हल्की दोमट मिट्टी करेले की फसल के लिए उपयुक्त होती है। 2.5 से पांच मीटर की दूरी पर करेले के बीज बोने चाहिए। बुआई से पहले बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इससे अंकुरण जल्दी और अ'छा होता है। नदी के किनारे की भूमि करेले की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है।
लौकी : करेले की तरह ही लौकी की खेती भी हर तरह की मिट्टी में होती है। एक हेक्टेयर खेत में 4.5 किग्रा बीज की जरूरत होती है। बुआई से पहले 24 घंटे तक बीज को पानी में भिगोकर रखना चाहिए। बुआई के लिए 2.5 से 3.5 मीटर की दूरी पर 50 सेंटीमीटर चौड़ी और 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी नालियां बनानी चाहिए। नालियों के दोनों किनारों पर 60 से 75 सेंटीमीटर की दूरी पर दो से तीन सेंटीमीटर गहरी बुआई करनी चाहिए।
भिंडी : फरवरी से मार्च के बीच भिंडी की अगैती बुआई की जाती है। दो से तीन बार जुताई करने के बाद पाटा चलाकर खेत को समतल करना चाहिए। बुआई कतार में होनी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे के बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। बुआई के 15 से 20 दिन पर पहली निराई-गुड़ाई करनी जरूरी है।
तरोई : नदी के किनारे की भूमि इसके लिए उपयुक्त होती है। बुआई से पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करने के बाद दो से तीन बार हैरो या कल्टीवेटर से खेत की जुताई करनी चाहिए। कतार में बुआई की जाती है। कतार से कतार और पौधे से पौधे के बीच की दूरी एक मीटर रखनी चाहिए।