फर्जी पेरोल कांड का नहीं हो पाया पर्दाफाश
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : फर्जी पेरोल पर कैदी को छुड़ाने वाले गिरोह के सदस्य पुलिस की प
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : फर्जी पेरोल पर कैदी को छुड़ाने वाले गिरोह के सदस्य पुलिस की पकड़ से दूर हैं। जांच में प्रकाश में आए भुवनेश्वर के युवक और कचहरी के कर्मचारी अभी तक कैंट पुलिस की पकड़ से दूर हैं। फर्जी सरेंडर आदेश के साथ कैदी को जेल ले जाने वाले सिपाही की भूमिका भी अभी तय नहीं हो पाई है।
तिवारीपुर क्षेत्र के रमदत्तपुर निवासी संदीप यादव सजायाफ्ता कैदी है। वह फर्जी पेरोल पर छह माह तक जेल से बाहर रहा। वह 11 मई की दोपहर सरेंडर आदेश लेकर जेल पहुंचा। आदेश की कापी कैदी के लेकर आने पर तत्कालीन जेलर रामकुबेर सिंह ने उसे पकड़ लिया। भेद खुलने पर संदीप को लेकर जेल गया सिपाही दिवाकर मिश्र भाग निकला।
जाच में सरेंडर आदेश फर्जी मिलने पर जेलर रामकुबेर सिंह ने कैंट थाने में कैदी संदीप यादव और सिपाही दिवाकर मिश्र के खिलाफ साजिश के तहत फर्जी दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने का मुकदमा दर्ज कराया है। घटना दिन सिपाही के ड्यूटी से गैर हाजिर होने की जानकारी मिलने पर एसएसपी शलभ माथुर ने उसे निलंबित कर दिया है। 50 दिन से चल रही जांच में कैंट पुलिस को भुवनेश्वर के रहने वाले एक युवक और कचहरी के मुंशी की भूमिका संदिग्ध मिली है। यह लोग पुलिस की पकड़ से अभी तक दूर है।
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यह है मामला :
तिवारीपुर थाने में कैदी संदीप यादव पर वर्ष 2007 में हत्या, हत्या के प्रयास, बलवा और धमकी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरोप सिद्ध होने पर उसे सात साल की सजा सुनाई। मंडलीय कारागार में सजा काटने के दौरान ही अपने सहयोगियों के साथ साजिश रचकर फर्जी पेरोल (अस्थाई समयबद्ध रिहाई) का आदेश तैयार करा लिया। इस आदेश के सहारे 11 नवंबर 2017 को वह बाहर आ गया। छह महीने बाद फर्जी सरेंडर आदेश लेकर जेल पहुंचने पर पकड़ा गया।
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कोट-
- कैदी को फर्जी पेरोल दिलाने में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। कैंट प्रभारी से विवेचना की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। जल्द ही इस प्रकरण का पर्दाफाश होगा।
- शलभ माथुर, एसएसपी