कोर्ट ने खोली पुलिसिया कहानी की परत-दर-परत, पुलिस कर्मियों को माना दोषी
कुशीनगर में होटल में परिवार के साथ मारपीट के बाद पुलिस अभिरक्षा में भी उन्हें पीटे जाने के मामले में प्रभारी एसीजेएम ने कसया पुलिस को दोषी पाया है। फैसले में न्यायालय ने आदेश में कसया पुलिस की कार्य प्रणाली पर तल्ख टिप्पणी की है।
गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर में होटल में परिवार के साथ मारपीट के बाद पुलिस अभिरक्षा में भी उन्हें पीटे जाने के मामले में प्रभारी एसीजेएम शोभित राय ने कसया पुलिस को दोषी पाया है। फैसले में न्यायालय ने आदेश में कसया पुलिस की कार्य प्रणाली पर तल्ख टिप्पणी करते हुए इसे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अतिरिक्त भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ जांच कर एसपी को कार्रवाई के आदेश दिया है। यह मामला दिन प्रतिदिन गंभीर रूप लेता जा रहा है। मामले में पुलिस चारो तरफ से घिरती नजर आ रही है।
कार्रवाई के लिए एसपी को लिखा
कोर्ट ने पुलिस के प्रथम सूचना रिपोर्ट की ऐसा कहा है कि गिरफ्तारी प्रपत्र में घटना होटल में 15 दिसंबर को रात नौ बजे दर्शायी गई है। गिरफ्तारी भी उसी तारीख को दर्शित है, लेकिन मेडिकल जांच आख्या 16 दिसंबर की दिखाई गई है। न्यायालय के समक्ष युवकों ने थाने के अंदर बुरी तरह मारने-पीटने की बात कही है। मेडिकल प्रपत्र और युवकों के शरीर पर चोटों के देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि थाने में पुलिस कर्मियों द्वारा उच्च और उच्चत्तम न्यायालय के निर्देशों और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अभिरक्षा में युवकों पर बल प्रयोग किया गया है। न्यायालय ने विवेचक सहित दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक को न्यायालय के आदेश की एक प्रति प्रेषित करने का आदेश दिया है।
न्यायालय ने पूछा, किस आधार पर दर्ज किया लूट का मुकदमा
न्यायालय ने विवेचक द्वारा प्रस्तुत रिमांड में धारा 198 पर भी टिप्पणी की है। कहा है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट व केस डायरी में कहीं भी यह उल्लेखित नहीं है कि युवक किसी भी प्रकार के घातक हथियार से लैस होकर लूट या डकैती का प्रयास कर रहे थे। न्यायालय ने सवाल खड़ा किया है कि आखिर किस आधार पर पुलिस ने लूट के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया। कोर्ट ने लूट के प्रयास के मुकदमे को भी निरस्त कर दिया है।
जमानत याचिका खारिज
गिरफ्तार युवकों की रिहाई के लिए एसीजेएम कसया न्यायालय में जमानत प्रपत्र प्रस्तुत किया गया। युवकों के अधिवक्ता व सहायक अभियोजन अधिकारी की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि अपराध अजमानतीय व गंभीर प्रकृति का है। यह सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है। जमानत का आधार पर्याप्त नहीं है। न्यायालय ने युवकों की जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया।
घटनास्थल पर पहुंचे डीआइजी, जांची हकीकत
उधर, मारपीट की घटना अखबार में छपने एवं इंटरनेट पर आने के बाद हाईप्रोफाइल हो गई है। सूत्रों की माने तो मामला शासन और सीएम स्तर तक पहुंचा है। विभिन्न एजेंसियां इसकी जांच में जुटी है। डीआइजी राजेश डी मोदक गुपचुप ढंग से सादी वर्दी में होटल पर पहुंचे और संचालक से घटना के बावत विस्तार से जानकारी प्राप्त की। इसकी भनक पुलिस को भी नहीं लगी। वहां से वह सीधे थाने पहुंचे। पुलिस कर्मियों से पूछताछ की और तत्काल रवाना हो गए। इतना ही नहीं डीआइजी मोदक ने दूरभाष के माध्यम से घटना के समय मौजूद रहीं लड़कियों से बातचीत की और उनसे मुकम्मल जानकारी भी प्राप्त की। सूत्रों के अनुसार मामले का सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा संज्ञान लेने के बाद अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने रिपोर्ट तलब की है। डीआइजी उसी सिलसिले में जांच के लिए आए थे।
अपने ही बुनेे जाल में उलझ गई पुलिस
मामले में उलझ रही पुलिसिया कहानी न्यायालय के तल्ख टिप्पणी के बाद और उलझ गई है। तहरीर में बताई गई पुलिसिया कहानी कोर्ट में झूठ साबित हुई। अपने ही बुनी कहानी में उलझी पुलिस के चेहरे की रंगत अंदरखाने की बेचैनी को बयां कर रही है। थाने के बड़े ओहदेदार से सिपाही तक सहमे हुए हैं। उन्हें कार्रवाई का भय सता रहा है।
दो सिपाही निलंबित
घटना के दौरान सबसे पहले मौजूद रहे सिपाही रमेश यादव व कमलेश यादव को प्रथमदृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है। तीसरे घायल सिपाही आफताब का इलाज हो रहा है।