Coronavirus Lockdown: हमने लॉकडाउन में जीना सीख लिया Gorakhpur News
Coronavirus Lockdown लॉकडाउन में गोरखपुर की जनता ने जिस धैर्य का परिचय दिया है वह काबिलेतारीफ है। इसी धैर्य के कारण गोरखपुर में कोरोना का एक भी केस नहीं मिला है।
गोरखपुर, [मदन मोहन सिंह]। लॉकडाउन! एक ऐसा शब्द जिसके अर्थ से तो शायद हम परिचित थे। लेकिन इसे सार्वजनिक जीवन में अपने ऊपर व्यावहारिकता की कसौटी पर कभी कसा नहीं था। ऐसी कठिन परीक्षा कभी न दी थी। ऐसा कठोर तप कभी नहीं किया था। इस दुरूह दौर का एक माह, हमने सफलतापूर्वक गुजार दिया है। इस दौरान धार्मिक आस्था के आगे कर्तव्यबोध को ज्यादा तरजीह दी। नवरात्र जैसे पवित्र पर्व पर जहां देवालयों में सैकड़ों हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ हिलोरे मारती है, वहां सूनापन घर किए रहा। गुरु गोरखनाथ जी की सिद्धपीठ के दर्शन से श्रद्धालु वंचित रहे। जुमे की नमाज मस्जिदों की बजाय घरों में पढ़ी गई। ऐसा शायद ही कभी हुआ हो। हमें असुविधाओं की लंबी फेहरिस्त से गुजरना पड़ा है।
कड़वी दवा का असर, चार जिलों में एक भी केस नहीं
दवा कड़वी होती है, तब भी पीनी ही पड़ती है। हमने यही किया है। कहना गलत नहीं होगा कि हमने लॉकडाउन को जीना सीख लिया है। इसी की सुखद परिणति है कि जिस कोविड-19 यानी कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में हाहाकार है, उसके संक्रमण का गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और सिद्धार्थनगर में अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है। महराजगंज कोरोना मुक्त घोषित हो चुका है। इसका श्रेय हर आम-ओ-खास को जाता है, जिसने खुद को घर दहलीज तक सीमित रखा। दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र और अन्य प्रांतों से आए हजारों परदेसी अपने गांव पहुंचकर भी घर नहीं गए। अपने बंधु-बांधव की चिंता करते हुए स्वयं को स्कूल, पंचायत घरों या तंबू-कनात में 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन रखा। पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों, डॉक्टरों से लेकर नर्सिग स्टाफ ने अपनी सांसों में खतरनाक वायरस के खतरे को महसूस किया। लेकिन अपने दायित्वों के निर्वहन को सवरेपरि रखा।
किया बहुत कुछ, कहा कुछ नहीं
कोई भूखा न रह जाए इसके लिए व्यवसाइयों-उद्यमियों, सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने खुलकर योगदान दिया। इसमें तमाम ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने ‘नेकी कर दरिया में डाल’ की राह चुनी। बहुत कुछ किया, लेकिन कहा कुछ नहीं। कोरोना के जंग में इन सब योद्धाओं के जज्बे को अनगिन सलाम बनता है। लेकिन कुछ चिंता भी सिर उठाती हैं। संत कबीरनगर में नया मोर्चा खुल गया है। यहां दो लोग संक्रमित पाए गए हैं। बगल का जिला बस्ती सर्वाधिक प्रभावित है। यहां कोरोना संक्रमितों की संख्या 20 तक पहुंच गई है। अभी यह सवाल जिंदा है कि बस्ती में कोरोना वायरस पहुंचा कैसे? यहां संक्रमण का सिलसिला एक संक्रमित मरीज की मौत से शुरू हुआ और धीरे-धीरे उसके परिवार व संबंधियों में 14 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। चार और दीगर लोग भी संक्रमित हैं। लेकिन जज्बा रहा तो यहां भी हम जीत जाएंगे। इसमें सबसे अहम हथियार है संयम और समझदारी। लॉकडाउन फिलहाल तीन मई तक कायम रहेगा।
हम होंगे कामयाब
जिस तरह हमने एक महीने तक खुद को प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी, पुलिस-प्रशासन और चिकित्सकों की सलाह को गांठ से बांधकर रखा है, उसी तरह दस दिन और गुजार दिए तो इस घातक वायरस को मात देने की कामयाबी हमारे सामने होगी। चुनौतियां इसके आगे भी होंगी। जान है तो जहान है, इसलिए शारीरिक दूरी के नियमों का हर हाल में पालन करना होगा। मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलना होगा। कोरोना के संक्रमण के लक्षण को छुपाने की बजाय प्रशासन और चिकित्सा महकमे से साझा करना होगा। इन एहतियाती उपायों को अटूट संकल्प के रूप में अपनाना होगा, क्योंकि संकल्प से ही सिद्धि है। कोरोना हारेगा और हम जीतेंगे।
लॉकडाउन को सफल बनाने में जी-जान से जुटी टीम
कोरोना में कर्मचारियों की ड्ïयूटी
मजिस्ट्रेट: 200
सात तहसीलों के कर्मचारी: 1298
जिला कंट्रोल रूम: 60 कर्मचारी (कलेक्ट्रेट)
पंचायती राज विभाग: 4000 कर्मचारी
नगर पंचायतों: 550 सफाई कर्मचारी
गोरखपुर विकास प्राधिकरण: 25 कर्मचारी।
बिजली निगम: 250 कर्मचारी।
नगर निगम: 480 नियमित व 2156 आउटसोर्सिंग कर्मचारी
पुलिस विभाग
14 सौ पुलिसकर्मी लॉकडाउन में कर रहे ड्यूटी
दो हजार होमगार्ड जवानों को भी किया गया है तैनात
तीन फायर टेंडर की मदद से शहर को किया जा रहा सैनिटाइज
अन्य विभाग
जिला पूर्ति विभाग के कुल 56 कर्मचारी
जिले के कुल 1935 कोटेदार
4.5 लाख रसोई गैस सिलेंडरों की हुई होम डिलीवरी
एक से 12 अप्रैल तक 7.2 लाख राशन कार्डधारकों को दिया गया राशन
15 अप्रैल से 23 अप्रैल तक तक 7.05 लाख राशन कार्डधारकों को दिया गया राशन
कोरोना वार्ड में स्टॉफ, बेड व वेटीलेटर का चार्ट
जिला अस्पताल- 6 डॉक्टर, 15 स्टाफ नर्स, 15 अन्य पैरामेडिकल स्टाफ
मेडिकल कालेज- 40 डॉक्टर, 46 स्टाफ नर्स,46 अन्य पैरामेडिकल स्टाफ
सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्र चरगांवा- 4 डॉक्टर, 14 पैरामेडिकल स्टाफ।
टीबी अस्पताल- 7 डॉक्टर, 40 पैरामेडिकल स्टाफ।