Coronavirus: डेथ आडिट से मिली जानकारी, समय से अस्पताल न पहुंचने से हुईं ज्यादातर मौतें
बीआरडी के प्राचार्य डा. गणेश कुमार के अनुसार डेथ आडिट में यह बात सामने आई है कि ज्यादातर मौतें देर से अस्पताल पहुंचने के कारण हुईं। जिनकी मौतें हुईं वे अति गंभीर अवस्था में आए थे। उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की गई थी।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर-बस्ती मंडल में कोरोना संक्रमण की शुरुआत 31 मार्च से ही हो गई थी। लेकिन गोरखपुर में इसकी शुरुआत 26 अप्रैल से हुई। बावजूद इसके अन्य जिलों के मुकाबले गोरखपुर में संक्रमित सबसे ज्यादा मिले और मौतें भी अधिक हुईं। डेथ आडिट कमेटी के अनुसार कोरोना काल में थोड़ी सी चूक के चलते ज्यादातर लोगों की जान चली गई। जो भी मौतें हुई, वे बहुत ही गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचे थे। यदि वे समय से कोविड अस्पताल पहुंच जाते तो ज्यादातर की जान बचाई जा सकती थी।
कोरोना का शुरुआती दौर भयानक
कोरोना का शुरुआती दौर भयानक था। संक्रमित मिलने पर एंबुलेंस घर जाती थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराती थी। पूरा मोहल्ला इस दृष्टि से देखता था कि जैसे कोई अपराधी पकड़ा गया हो। संक्रमितों व उनके परिवार को भी भेदभाव का शिकार होना पड़ा। लोग संक्रमित के घर जाना नहीं चाहते थे। पूरा मोहल्ला सील कर दिया जाता था। इस वजह से लक्षण दिखने के बाद भी लोग कोरोना जांच कराने से बचते रहे। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां जांच हुई तो पाजिटिव निकले। प्रयास के बाद भी इनमें से ज्यादातर लोगों को बचाया नहीं जा सका। अगर यही लापरवाही नहीं होती तो स्थितियां कुछ और रहतीं।
डेथ आडिट में मौतों के बारे में मिली जानकारी
बाबा राघव दास मेडिकल कालेज गोरखपुर के प्राचार्य डा. गणेश कुमार के अनुसार डेथ आडिट में यह बात सामने आई है कि ज्यादातर मौतें देर से अस्पताल पहुंचने के कारण हुईं। जिनकी मौतें हुईं वे अति गंभीर अवस्था में आए थे। उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की गई थी। लक्षण दिखने पर कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, तत्काल अस्पताल पहुंच जाना चाहिए।
जिला संक्रमित मौतें
गोरखपुर 20767 337
देवरिया 6671 92
महराजगंज 5744 90
कुशीनगर 5612 60
बस्ती 4983 97
संत कबीर नगर 3217 45
सिद्धार्थ नगर 3963 51
नोट- आंकड़े 22 दिसंबर तक के हैं।