चौथे दिन भी जारी रहा प्रो. कमलेश गुप्ता का सत्याग्रह, वेतन काटे जाने की नोटिस से भड़के शिक्षक
थोड़ी देर में सत्याग्रह के लिए बिछी चादर सत्याग्रहियों से भर गई। इसी बीच किसी ने शिक्षकों की तनख्वाह काटे जाने की बात छेड़ दी और कहा कि भाइयों तनख्वाह काटे जाने की नोटिस जारी हो चुका है देखिए अभी कौन-कौन सी आकाशवाणी होने वाली है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शांति के साथ विरोध का आग्रह था तो चेहरे पर विद्रोह का आक्रोश भी। एकजुट होकर बैठाकर मैदान में जमे रहने की प्रतिबद्धता शांति और आक्रोश के बीच संतुलन बना रही थी। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ प्रो. कमलेश गुप्त के सत्याग्रह के दौरान 24 दिसंबर को उनका साथ देने आए शिक्षक से लेकर विद्यार्थी तक की मनोदशा कमोबेश ऐसी ही थी। बावजूद इसके एक घंटे के सत्याग्रह में हिस्सा लेने पहुंचे लोग रह-रह कर अपना विरोध मौखिक रूप से दर्ज कराने से खुद को रोक नहीं पा रहे थे।
बढ़ने लगा है प्रोफेसर गुप्ता समर्थन
लगातार चौथे दिन सत्याग्रह के लिए निर्धारित समय दोपहर बाद 2:20 बजे प्रो. कमलेश अपने कुछ साथियों के साथ धरने पर बैठ गए। थोड़ी देर में सत्याग्रह के लिए बिछी चादर सत्याग्रहियों से भर गई। कुछ देर सभी लोग शांत रहे तभी किसी ने शिक्षकों की तनख्वाह काटे जाने की बात छेड़ दी और कहा कि भाइयों तनख्वाह काटे जाने की नोटिस जारी हो चुका है, देखिए अभी कौन-कौन सी आकाशवाणी होने वाली है। यह सुनना था कि पीछे चबूतरे पर बैठे शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चित्तरंजन मिश्र आगे आए और बोले इसे आकाशवाणी कहते हैं, यह तो दुर्वाणी है।
नोटिस का जवाब देने के लिए दिया गया तीन दिन का समय
प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी ने जब उन्हें बताया कि तनख्वाह की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, तब तनख्वाह काटे जाने की बात कही जा रही है। नोटिस का जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है जबकि वह हाथ में ही डेढ़ दिन बाद आई है। इसपर प्रो. चित्तरंजन बोले, तनख्वाह कटती है तो कुलपति और वित्त अधिकारी के खिलाफ अमानत में खयानत का मुकदमा दर्ज कराइए। ऐसा वह 1990 में ही कर चुके हैं। वेतन काटना आसान नहीं, इसके लिए पूरी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।
क्रिसमस में कुलपति की शैक्षणिक यात्रा पर उठे सवाल
यह सुनकर प्रो. उमेश बोले, कुलपति क्या बाेलेंगे, उनके आदेश पर सेल्फ फाइनेंस कोर्स के जरिए विभागों का मिला धन बिना विभागाध्यक्ष की जानकारी के लिए निकाल लिया गया। इसी क्रम में उन्होंने कुलपति पर तंज किया कि हमारे कुलपति की अमेरिका की शैक्षणिक यात्रा पर गए हैं, जबकि क्रिसमस के चलते इस समय वहां सबकुछ बंद है। यह सब सुनकर पास बैठे प्रो. चंद्रभूषण अंकुर बोल पड़े, अरे यह वही व्यवस्था है, जिसमें कुलपति के खिलाफ जांच कुलपति से ही कराई जा रही है।
शिक्षकों ने बढ़ाई प्रोफेसर कमलेश की हिम्मत
इस चर्चा को पहले तो सबने ध्यान से सुना फिर व्यवस्था को कोसने लगे। सबने एक स्वर प्रो. कमलेश के हिम्मत की दाद दी और कहा कि अब न्याय मिलने तक उनका पुरजोर साथ देने की जरूरत है। जैसे ही सत्याग्रह की एक घंटे की अवधि पूरी हुई, प्रो. कमलेश उठ खड़े हुए और सबका आभार ज्ञापन करते हुआ अपने अलग-अलग तरीके से सत्याग्रह में तब तक साथ देने की अपील की जबतक कुलपति को हटा नहीं दिया जाता। इससे पहले शुक्रवार की सुबह प्रो. कमलेश ने हेलीपैड पर क्लास तो नहीं लिया लेकिन वहां पहुंची कुछ छात्राओं की कापी जरूर जांची।
कुलपति का चार्ज देने पर उठे सवाल
सत्याग्रह के दौरान कुलपति का चार्ज दिए जाने को लेकर खासी चर्चा रही। प्रो. कमलेश ने कहा कि विश्वविद्यालय की व्यवस्था के अनुसार कुलपति के न रहने पर उसका चार्ज या तो प्रति कुलपति या वरिष्ठतम शिक्षक को दिया जाता है। हमारे कुलपति ने जूनियर व्यक्ति को चार्ज देकर यह बताने की कोशिश की है कि संवैधानिक व्यवस्था में उनका कोई विश्वास नहीं। परिनियम, अध्यादेश, शासनादेश इन सबको वह अपने आदेश का गुलाम समझते हैं।
आज से जनसंपर्क कर समर्थन जुटाएंगे प्रो. कमलेश
शनिवार से विश्वविद्यालय मेंं शीतकालीन अवकाश होने के चलते प्रो. कमलेश ने विश्वविद्यालय खुलने तक सत्याग्रह को विराम दिया है। अवकाश के दिनों में वह अपने सत्याग्रह में जनसमर्थन जुटाएंगे। इसके लिए लोगों से जनसंपर्क करेंगे। इस बात की घोषणा उन्होंने शुक्रवार को सत्याग्रह के बाद की।
यह लोग भी सत्याग्रह में रहे मौजूद
एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी, प्रो. अजेय कुमार गुप्ता, प्रो. सुशील तिवारी, डा. दुर्गा प्रसाद यादव, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष फतेह बहादुर सिंह, गुआक्टा के महामंत्री डा. धीरेंद्र सिंह, प्रो. बीएस वर्मा, प्रो. सुधीर कुमार, निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष अमन यादव, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा संघ के अध्यक्ष डा. दिग्विजय नाथ पांडेय, महामंत्री श्याम नारायण सिंह आदि मौजूद रहे।
काली पट्टी लगाकर किया अध्यापन
सत्याग्रह में प्रो. कमलेश का साथ देने वाले शिक्षकों ने 24 दिसंबर को काली पट्टी लगाकर अध्यापन किया। प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रो. सुधीर कुमार, प्रो. गोपाल प्रसाद, प्रो. बीएस वर्मा जैसे कुछ शिक्षक सुबह ही विश्वविद्यालय गेट पर पहुंच गए और परिसर में प्रवेश कर रहे इच्छुक शिक्षकों को काली पट्टी बांधी। पट्टी बांधने के लिए वह कुछ विभागों में भी गए।
शिक्षक संघ ने चर्चा के लिए बुलाई आमसभा
कुलपति के विरोध को लेकर विश्वविद्यालय में चल रही गहमा-गहमी का संज्ञान देर से ही सही विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने ले लिया है। संघ की ओर से आगामी तीन जनवरी को आमसभा की बैठक बुलाई गई है। यह तिथि पूर्व अध्यक्ष प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी और निवर्तमान अध्यक्ष प्रो. विनोद सिंह की सहमति से तय की गई है। बैठक बुलाने की आधिकारिक वजह विश्वविद्यालय की वर्तमान परिस्थिति पर चर्चा बताई गई है।
विश्वविद्यालय में शिक्षक हित से किया जा रहा खिलवाड़
एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि अपने संघटन के पदाधिकारियों द्वारा मुझे प्रो. कमलेश द्वारा किए जा रहे सत्याग्रह की जानकारी मिली। पता चला कि विश्वविद्यालय में शिक्षक हित के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसा हरगिज नहीं होने दिया जाएगा। शिक्षकों को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। शिक्षकों के समस्याओं के निस्तारण के लिए मैं हमेशा तत्पर रहता हूं।