गोरखपुर के चिडिय़ाघर में वन्यजीवों के आने सिलसिला जारी, पक्षियों की चहचहाहट भी गूंजी
डा. योगेश ने बताया कि काकाटिल पंक्षी अपनी मीठी आवाज और सुनहले रंग की वजह से काफी पसंद की जाती हैं। सफेद लाल और पीले रंग के मिश्रण से तैयार होने वाले सुनहले रंग जैसी इनकी रंगत होती है। डा. योगेश के मुताबिक स्वयंप डियर को पानी बहुत पसंद है।
गोरखपुर, जेएनएन। लोकार्पण की तैयारियों के बीच शहीद अशफाक उल्लाह खां प्राणि उद्यान (चिडिय़ाघर) में रविवार को चिडिय़ों की चहचहाहट से गूंज उठा। लखनऊ चिडिय़ाघर से देर शाम लाए गए 15 काकाटिल पंक्षियों से चिडिय़ों का बाड़ा आबाद हो गया। इनके साथ दो स्वयंप (एक नर व एक मादा) डियर भी लाए गए हैं। इस तरह से चिडि़याघर में वन्यजीवों के आने का सिलसिला अभी थमा नहीं है।
पक्षियां भी 21 दिन के लिए क्वारंटाइन
लखनऊ चिडिय़ाघर के पशु चिकित्सक डा. विजयेंद्र के नेतृत्व में गठित टीम पक्षियों और स्वयंप डियर को साथ लेकर गोरखपुर पहुंची। गोरखपुर चिडिय़ाघर के निदेशक डा. एच राजामोहन और पशु चिकित्साधिकारी डा. योगेश प्रताप सिंह की देखरेख में पक्षियों और स्वयंप डियर को उनके बाड़े में छोड़ा गया। पक्षियों और स्वयंप डियर को 21 दिन के लिए क्वारंटाइन में रखा गया है। डा. योगेश ने बताया कि काकाटिल पंक्षी अपनी मीठी आवाज और सुनहले रंग की वजह से काफी पसंद की जाती हैं। सफेद, लाल और पीले रंग के मिश्रण से तैयार होने वाले सुनहले रंग जैसी इनकी रंगत होती है। डा. योगेश के मुताबिक स्वयंप डियर को पानी बहुत पसंद है। आमतौर से ये पानी के अंदर ही रहते हैं।
चिडिय़ाघर में 58 प्रजाति के 387 वन्यजीव और पंक्षी
चिडिय़ाघर में इस साल 11 फरवरी को वन्यजीवों को लाए जाने का सिलसिला शुरू हुआ था। जो अभी तक जारी है। चिडिय़ाघर में 58 प्रजाति के 387 वन्यजीव और पंक्षी लाए जाने हैं। अभी तक बाघ, बब्बर शेर, तेंदुआ, दरियाईघोड़ा, व कई प्रजाति के सांपों सहित 90 वन्यजीव और पंक्षी चिडिय़ाघर लाए जा चुके हैं। बाकी बचे वन्यजीवों और पंक्षियों की शीघ्र लाए जाने की तैयारी चल रही है। इस बीच इसी माह चिडिय़ाघर के लोकार्पण की तैयारी की जा रही है। बताते हैं कि प्रवेश शुल्क के निर्धारण की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों का प्रवेश निश्शुल्क होगा। चिडिय़ाघर आने वाले छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को उपहार भी दिया जाएगा।