AIIMS GORAKHPUR : ऐसे भड़का मजदूरों का आक्रोश.. ठप हुआ एम्स का निर्माण कार्य Gorakhpur News
AIIMS Gorakhpur के मजदूरों में पिछले कई दिनों से आक्रोश भड़क रहा था। गेट पर सुरक्षा कर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार करने के बाद यह आक्रोश भड़क गया और मजदूर तोड़फोड़ पर उतारू हो गए।
गोरखपुर, जेएनएन। एम्स परिसर की लेबर कॉलोनी में करीब 2200 मजदूर रहते हैं। मजदूरों का आरोप है कि काम खत्म होने के बाद शाम को अगर कोई बाहर निकलता है, तो गेट पास के नाम पर सुरक्षाकर्मी दुर्व्यवहार करते हैं। अगर कोई कुछ बोलता है, तो उसकी पिटाई कर देते हैं। इस बात को लेकर मजदूर काफी आक्रोशित थे। इसके अलावा लेबर कॉलोनी की समस्याओं को लेकर भी मजदूर गुस्से में थे। शनिवार को विवाद होने पर गुस्से का ज्वार फूट पड़ा और फिर एम्स के कार्यालयों में जमकर तोड़फोड़ हुई। एम्स का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद एेसा पहली बार हुआ कि निर्माण कार्य को रोकना पड़ा हो।
मजदूरों ने बताया कि लेबर कॉलोनी में नरक जैसी स्थिति। 2200 लोगों के लिए 80 शौचालय बने हैं, जिसमें 50 खराब हैं। चालू शौचालय में भोर से ही लाइन लग जाती है। टोटी खराब होने से नहाने में भी दिक्कत होती है। कॉलोनी में गंदगी का अंबार है। दुर्गंध की वजह से सांस लेना दूभर है। शिकायत पर टाइम आफिस के अधिकारी काम से हटा देने की धमकी देते थे। रोजगार छिनने के डर से वह लोग चुप रहते थे। पिछले सुरक्षाकर्मी परिसर से बाहर जाने और अंदर आने पर परेशान कर रहे थे। गेट नंबर एक से मजदूरों के आने-जाने पर रोक थी। बगल में जाने के लिए तीन किलोमीटर घुमकर आना पड़ता था। परेशानी बताने पर सुरक्षाकर्मी बात नहीं सुनते थे। शनिवार सुबह इसी बात को लेकर सुरक्षाकर्मियों से कुछ मजदूरों की बहस हो गई। जिसके बाद मामला बढ़ गया।
कुशीनगर-गोरखपुर हाईवे किया जाम
गार्डों से विवाद के बाद मजदूरों ने कुशीनगर-गोरखपुर हाईवे जाम कर दिया। इससे अंडरपास तक वाहनों की लंबी लाइन लग गई। मौके पर पहुंची पुलिस 15 मिनट बाद मजदूरों को समझाकर एम्स परिसर में लेकर आई, इसके बाद जाम खत्म हुआ।
दोपहर तक रही अफरा-तफरी की स्थिति
सुबह आठ बजे एम्स परिसर में शुरू हुआ बवाल दोपहर 12 बजे तक चला। इस बीच अफरा-तफरी की स्थिति रही। ठेकेदार और सुपरवाइजर ने पहले मजदूरों को समझाने का प्रयास किया लेकिन उनका गुस्सा देख पीछे हट गए।
वर्दी बदलकर भागे सुरक्षाकर्मी
साथियों को पीटने का आरोप लगा रहे मजदूर काम बंद करके सबसे पहले गेट नंबर एक पर पहुंचे। यहां तैनात सुरक्षाकर्मियों मजदूरों की भीड़ देख भाग निकले। गेट पर बने गार्ड रूम में घुसकर उन्होंने तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। मजदूरों का गुस्सा देख सुरक्षाकर्मी वर्दी बदलकर परिसर से बाहर निकल गए।
तैनात की गई क्यूआरटी
एम्स परिसर में बवाल होने की सूचना पर एसएसपी ने कैंट थाना प्रभारी और आसपास के चौकी प्रभारियों को फोर्स के साथ मौके पर भेजा। टाइम आफिस व गेट पर तोडफ़ोड़ की खबर मिलने पर क्यूआरटी को भेजा गया। ऐहतियात के तौर पर फोर्स परिसर में तैनात है।
तीन दिन से चल रही थी तनातनी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शनिवार सुबह ही गेट नंबर एक से प्रवेश को लेकर सुरक्षा गार्डों और मजदूरों में कहासुनी होने लगी। इसकी जानकारी जब अन्य मजदूरों को हुई तो भारी संख्या में मजदूर गेट और टाइम आफिस पहुंच गए। गेट पर गार्डों और मजदूरों में मारपीट शुरू हो गई तो दूसरी तरफ मजदूरों ने टाइम ऑफिस में धावा बोल दिया। सभी कम्प्यूटर, मॉनीटर तोड़ते हुए फाइलें फाड़ डाली। सूचना पर पहुंची पुलिस ने लाठीचार्ज कर सभी को खदेड़ा। एम्स परिसर में सुबह आठ बजे से निर्माण कार्य शुरू होता है, जो रात तक चलता है। मजदूर पहली शिफ्ट के लिए शनिवार सुबह गेट नंबर एक से प्रवेश करने लगे। इस पर गार्डों ने मजदूरों को सिंघडिय़ा की ओर से आने को कहा। इसी बात पर कहासुनी होने लगी। फिर मारपीट शुरू हो गई। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि मजदूर हेलमेट नहीं लगाए थे। इसके चलते सुरक्षा गार्ड उन्हें रोक रहे थे। मारपीट की सूचना पर कई थानों की पुलिस वज्र वाहन मौके पर भेजा गया। एम्स परिसर में 22 सौ से ज्यादा मजदूर काम करते हैं।
टाइम ऑफिस में कुछ नहीं बचा
एम्स में निर्माण कार्य शुरू होने से पहले सिंघडिय़ा की तरफ परिसर में टाइम ऑफिस का निर्माण हुआ था। मजदूरों की पूरी जानकारी यहीं रखी हुई है। प्रवेश के समय मजदूरों को मशीन के सामने खड़े होकर फेस स्कैन कराना होता है। उसके बाद उनका प्रवेश मान लिया जाता है। गार्डों से विवाद के बाद मजदूरों ने टाइम ऑफिस का पूरी तरह तहस-नहस कर डाला।
सिंघडिय़ा का रास्ता संकरा
सिंघडिय़ा में इंडियन आयल के पेट्रोल पंप के सामने से एम्स परिसर में प्रवेश के लिए बनाया रास्ता बहुत संकरा है। मजदूरों का आरोप है कि इस रास्ते बाइक भी नहीं आ पाती है। जीआरडी की ओर बने गेट नंबर एक से आने में मजदूरों को सहूलियत रहती है। तीन दिन पहले खुले इस संकरे रास्ते से ही मजदूरों को आने को कहा जाता था। इसे लेकर गार्डों व मजदूरों में तनातनी चल रही थी।
पंखे खराब, शौचालयों के दरवाजे टूटा
एम्स परिसर में भी मजदूरों के रहने की व्यवस्था है, लेकिन स्थिति बेहद खराब है। टिनशेड के कमरे बनाए गए हैं। स्नान के लिए खुले में टंकी रखी गई है। शौचालय हैं, लेकिन सफाई नही होती। दरवाजे टूटे हुए हैं। कई कमरों के पंखे खराब हैं। परिसर में इकट्ठा जूठन और कूड़ा सप्ताह में एक दिन रविवार को ही हटाया जाता है। इसके चलते ज्यादातर मजदूर बाहर ही रहना पसंद करते हैं।
ठप हुआ काम
एम्स में पिछले साल निर्माण कार्य शुरू हुआ तबसे लेकर शुक्रवार तक कभी भी काम नहीं रुका। शनिवार सुबह बवाल के बाद मजदूरों ने काम शुरू नहीं किया। ठेकेदार व उनके आदमियों के गायब हो जाने के कारण आगे की व्यवस्था को लेकर भी कोई कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं था।
कई राज्यों से आते हैं मजदूर
एम्स परिसर में काम करने के लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, बंगाल और अन्य प्रदेशों के मजदूर आए हैं। मजदूरों का फोटोयुक्त गेट पास बना है। बिना उसके प्रवेश असंभव है।
फैक्ट फाइल
कुल निर्माण लागत- 724 करोड़
काम शुरू- 12 अप्रैल 2018
काम खत्म- 12 अप्रैल 2020
कार्यदायी संस्था- एलएनटी